पटना: बीपीएससी पेपर लीक (67th BPSC Paper Leak) मामले को लेकर बिहार का राजनीतिक तापमान एक बार फिर चरम पर है. वैसे ही इस पेपर लीक कांड को लेकर राज्य सरकार बैकफुट पर है. इधर, विपक्षी दल बिहार सरकार पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. अब कांग्रेस ने बीपीएससी को ही लपेटे में ले लिया है. प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष समीर सिंह (State Congress Working President Sameer Singh) ने सीधे आरोप लगाया है कि बीपीएससी के अधिकारियों की संलिप्तता (Involvement of BPSC officials in paper leak) के बगैर पेपर लीक हो ही नहीं सकता है.
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वर्षों से चल रहा है यह खेल: प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व विधान पार्षद समीर सिंह का दावा है कि बीपीएससी में वर्षों से यह खेल चल रहा था. वहां के अधिकारियों की संलिप्तता के बिना यह संभव नहीं है. यह शर्मसार करने वाली घटना है, इससे बिहार कलंकित हुआ है. अभी जांच के बाद जिस प्रकार से परीक्षा को रद्द किया गया, यह तो लीपापोती करने की कोशिश है. इसमें देखना चाहिए कि इसके तार कहां से जुड़े हुए हैं. यह खेल कितना पुराना है.
'बहुत से मेधावी छात्रों का बीपीएससी में सेलेक्शन नहीं होता है लेकिन बड़ी संख्या में अयोग्य छात्रों का सेलेक्शन हो जाता है. ऐसे में बीपीएससी अयोग्य लोगों की भर्ती का स्थल हो गया है. बिना वहां के अधिकारियों की संलिप्तता के पेपर आउट नहीं हो सकता है. अब तो बिहार के नौजवानों को बीपीएससी पर विश्वास करने में वर्षों लग जाएंगे.' -समीर सिंह, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व विधान पार्षद
नौजवानों की नजर में संस्था की छवि गिरी: समीर सिंह ने कहा कि बीपीएससी पूरी तरह से संदेह के घेरे में है. अब सरकार को, मुख्यमंत्री को संज्ञान में लेकर दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी. बीपीएससी पर अब बिहार के नौजवानों को भरोसा नहीं है. नौजवानों की नजर में ही इस संस्था की छवि गिर गई है. सबसे पहले जरूरी है फिर से इस संस्था पर नौजवानों का भरोसा हो. इसकी कोशिश होनी चाहिए. देश में तो बिहार के बारे में पहले से ही कई तरह की बातें की जाती हैं, उंगली उठाई जाती रही हैं. यह जो बड़ा कांड हुआ है, इससे बिहार की छवि बिगड़ी है.
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आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे अधिकारी: समीर सिंह ने भ्रष्टाचार को लेकर भी सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते होंगे बिहार में भ्रष्टाचार ना हो लेकिन सच्चाई यही है. पंचायत से लेकर सचिवालय तक आकंठ भ्रष्टाचार में अधिकारी डूबे हुए हैं. बिना रिश्वत के कोई काम नहीं हो रहा है. विधायकों तक से रिश्वत मांगी जा रही है लेकिन हम लोग भ्रष्टाचार से कभी समझौता नहीं कर सकते हैं. मुख्यमंत्री जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं. सुनने में तो अच्छा लगता है लेकिन जमीनी सच्चाई यह नहीं है तो हम लोग कैसे इसमें हां कर दें. बिहार में भ्रष्टाचार मुक्त की बात कोई करता है तो हंसी-मजाक की बात जैसी लग रही है.
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