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नीतीश कुमार का 71वां जन्मदिन… 'मुन्ना' से मुख्यमंत्री तक का सफर

आज सीएम नीतीश कुमार का जन्मदिन (Nitish Kumar Birthday) है. मंडल की सियासत से नेता बनकर उभरे नीतीश 2000 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि 7 दिन में ही उनको इस्तीफा देना पड़ा था. इंजीनियरिंग ग्रेजुएट नीतीश ने साल 2005 में दूसरी बार प्रदेश की कमान संभाली. वहीं, नवंबर 2020 में उन्होंने 7वीं बार राज्य की बागडोर संभाली. विरोधी उन पर राजनीतिक अवसरवादिता का आरोप लगाते हैं लेकिन वे हमेशा कहते हैं कि उनके लिए बिहार का हित सर्वोपरि है.

नीतीश कुमार का जन्मदिन
नीतीश कुमार का जन्मदिन
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Published : Mar 1, 2022, 6:01 AM IST

पटना: आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का 71वां जन्मदिन है. पिछले दो दशक से सूबे की सियासत का सबसे चमकता सितारा सीएम नीतीश का सफरनामा (Nitish Kumar Political Journey) बेहद दिलचस्प है. साल 2000 में जब पहली बार उन्होंने प्रदेश की कमान संभाली थी, तब उन्हें महज 7 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ गया था लेकिन 2005 से वे लगातार (बीच के 9 महीने को छोड़कर) राज्य की बागडोर संभाल रहे हैं. जेपी आंदोलन और मंडल की राजनीति से निकलकर उन्होंने न केवल प्रदेश स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है. विकास और कानून-व्यवस्था के बूते वे 'सुशासन बाबू' भी कहे जाते हैं.

ये भी पढ़ें: नीतीश कुमार का पूरा जीवन बिहार के विकास के लिए समर्पित- राजीव रंजन

1 मार्च 1951 को नालंदा के कल्याण बिगहा गांव में नीतीश कुमार का जन्म (Nitish Kumar Was Born In Kalyan Bigha Village of Nalanda) हुआ था. वैद्य जी के 'मुन्ना' ने सियासी गलियारे में कुशल रणनीतिकार और गंभीर व्यक्तित्व के साथ कदम आगे बढ़ाया. बाद के दिनों में उन्होंने अपने फैसलों से जहां एक तरफ लोगों को चौंकाया, वहीं प्रदेश की जनता पर अलग छाप भी छोड़ी. इसी का असर है कि नीतीश कुमार सातवीं बार बिहार की सत्ता पर काबिज हुए. मंडल की सियासत से नेता बनकर उभरे नीतीश (Nitish Kumar Emerged From Mandal Politics) पिछले 2 दशक से बिहार की राजनीति पर एकछत्र राज कर रहे हैं. पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले नीतीश ने राजनीति के गुण जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नाडीज से सीखे थे.

पटना यूनिवर्सिटी के दिनों में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में हुए छात्र आंदोलन में नीतीश कुमार का नाम पहली बार उभरा. समाजवादी धारा के नीतीश कुमार 1977 में एंटी कांग्रेस आंदोलन के दौरान पहली बार जनता पार्टी की टिकट से हरनौत से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए. 1985 में हरनौत से नीतीश कुमार ने जीत दर्ज की और पहली बार विधायक बने. साल 1987 में नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बन गए. वहीं साल 1989 में उनको जनता दल की बिहार इकाई का महासचिव बना दिया गया.

साल 1989 नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर के लिए काफी अहम था. इस साल वे 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए. लोकसभा के लिए ये नीतीश का पहला कार्यकाल था. इसके बाद साल 1990 में नीतीश अप्रैल से नवंबर तक कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे. नीतीश का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता जा रहा था. साल 1991 में दसवीं लोकसभा का चुनाव हुए नीतीश एक बार फिर से संसद में पहुंचे. इसी साल नीतीश कुमार जनता दल के महासचिव बने और संसद में जनता दल के उपनेता भी बने. करीब दो साल बाद 1993 को नीतीश को कृषि समित का चेयरमैन बनाया गया. साल 1996 में नीतीश कुमार 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए. 1998-99 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री भी रहे. एक बार फिर चुनाव हुए साल 1999 में नीतीश कुमार 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए. इस बार केंद्रीय कृषि मंत्री भी रहे.

वहीं, साल 2000 नीतीश के राजनीतिक करियर का सबसे अहम मोड़ था, क्योंकि इसी साल 3 मार्च को नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. हालांकि पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के कारण नीतीश कुमार को 7 दिन में इस्तीफा देना पड़ा (Nitish Kumar Had to Resign in 7 Days) था. बाद में 24 नवंबर, 2005 में नीतीश दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. बतौर सीएम उनका ये कार्यकाल पूरे पांच साल यानी 24 नवंबर, 2005 से 24 नवंबर, 2010 तक चला. बिहार की जनता ने 2010 के चुनाव में भी नीतीश कुमार पर भरोसा किया और उन्होंने तीसरी बार 26 नवंबर 2010 को बिहार की बागडोर संभाली.

इसी बीच 2013 में बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के विरोध में उन्होंने खुद को एनडीए से अलग कर लिया और अकेले ही 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने की वजह से 17 मई 2014 को नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया. बाद में कुछ मुद्दों पर गलतफहमी के बाद जीतनराम मांझी को इस्तीफा देना पड़ा और 22 फरवरी 2015 को नीतीश कुमार ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वह 19 नवंबर 2015 तक अपने पद पर बने रहे.

2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए लालू यादव के साथ नीतीश कुमार का गठबंधन (Nitish Kumar Alliance With Lalu Yadav) हुआ, जोकि कामयाब रहा. महागठबंधन की सरकार बनी और 20 नवंबर 2015 को नीतीश ने पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन उन्होंने बीच में ही (तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद) आरजेडी का साथ छोड़ दिया और 26 जुलाई 2017 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. आरजेडी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी के साथ आ गए. इसके बाद उन्होंने 27 जुलाई 2017 को छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और कार्यकाल पूरा किया. 2020 के चुनाव में एनडीए को बहुमत मिली और 16 नवम्बर, 2020 को नीतीश कुमार ने 7वीं बार सीएम पद की शपथ ली.

हालांकि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन पहले जैसा नहीं रहा और उसे 71 सीटों के मुकाबले मात्र 43 सीटें मिलीं. मंडल की राजनीति से नेता बनकर उभरे नीतीश कुमार को बिहार को अच्छा शासन मुहैया कराने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन उनके विरोधी उन पर अवसरवादी होने का आरोप लगाते रहे हैं.

ये भी पढ़ें: आखिर केसीआर और पवार नीतीश कुमार को क्यों बनाना चाहते हैं राष्ट्रपति, जानें इनसाइड स्टोरी

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पटना: आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का 71वां जन्मदिन है. पिछले दो दशक से सूबे की सियासत का सबसे चमकता सितारा सीएम नीतीश का सफरनामा (Nitish Kumar Political Journey) बेहद दिलचस्प है. साल 2000 में जब पहली बार उन्होंने प्रदेश की कमान संभाली थी, तब उन्हें महज 7 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ गया था लेकिन 2005 से वे लगातार (बीच के 9 महीने को छोड़कर) राज्य की बागडोर संभाल रहे हैं. जेपी आंदोलन और मंडल की राजनीति से निकलकर उन्होंने न केवल प्रदेश स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है. विकास और कानून-व्यवस्था के बूते वे 'सुशासन बाबू' भी कहे जाते हैं.

ये भी पढ़ें: नीतीश कुमार का पूरा जीवन बिहार के विकास के लिए समर्पित- राजीव रंजन

1 मार्च 1951 को नालंदा के कल्याण बिगहा गांव में नीतीश कुमार का जन्म (Nitish Kumar Was Born In Kalyan Bigha Village of Nalanda) हुआ था. वैद्य जी के 'मुन्ना' ने सियासी गलियारे में कुशल रणनीतिकार और गंभीर व्यक्तित्व के साथ कदम आगे बढ़ाया. बाद के दिनों में उन्होंने अपने फैसलों से जहां एक तरफ लोगों को चौंकाया, वहीं प्रदेश की जनता पर अलग छाप भी छोड़ी. इसी का असर है कि नीतीश कुमार सातवीं बार बिहार की सत्ता पर काबिज हुए. मंडल की सियासत से नेता बनकर उभरे नीतीश (Nitish Kumar Emerged From Mandal Politics) पिछले 2 दशक से बिहार की राजनीति पर एकछत्र राज कर रहे हैं. पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले नीतीश ने राजनीति के गुण जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नाडीज से सीखे थे.

पटना यूनिवर्सिटी के दिनों में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में हुए छात्र आंदोलन में नीतीश कुमार का नाम पहली बार उभरा. समाजवादी धारा के नीतीश कुमार 1977 में एंटी कांग्रेस आंदोलन के दौरान पहली बार जनता पार्टी की टिकट से हरनौत से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए. 1985 में हरनौत से नीतीश कुमार ने जीत दर्ज की और पहली बार विधायक बने. साल 1987 में नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बन गए. वहीं साल 1989 में उनको जनता दल की बिहार इकाई का महासचिव बना दिया गया.

साल 1989 नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर के लिए काफी अहम था. इस साल वे 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए. लोकसभा के लिए ये नीतीश का पहला कार्यकाल था. इसके बाद साल 1990 में नीतीश अप्रैल से नवंबर तक कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे. नीतीश का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता जा रहा था. साल 1991 में दसवीं लोकसभा का चुनाव हुए नीतीश एक बार फिर से संसद में पहुंचे. इसी साल नीतीश कुमार जनता दल के महासचिव बने और संसद में जनता दल के उपनेता भी बने. करीब दो साल बाद 1993 को नीतीश को कृषि समित का चेयरमैन बनाया गया. साल 1996 में नीतीश कुमार 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए. 1998-99 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री भी रहे. एक बार फिर चुनाव हुए साल 1999 में नीतीश कुमार 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए. इस बार केंद्रीय कृषि मंत्री भी रहे.

वहीं, साल 2000 नीतीश के राजनीतिक करियर का सबसे अहम मोड़ था, क्योंकि इसी साल 3 मार्च को नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. हालांकि पर्याप्त संख्याबल नहीं होने के कारण नीतीश कुमार को 7 दिन में इस्तीफा देना पड़ा (Nitish Kumar Had to Resign in 7 Days) था. बाद में 24 नवंबर, 2005 में नीतीश दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. बतौर सीएम उनका ये कार्यकाल पूरे पांच साल यानी 24 नवंबर, 2005 से 24 नवंबर, 2010 तक चला. बिहार की जनता ने 2010 के चुनाव में भी नीतीश कुमार पर भरोसा किया और उन्होंने तीसरी बार 26 नवंबर 2010 को बिहार की बागडोर संभाली.

इसी बीच 2013 में बीजेपी की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के विरोध में उन्होंने खुद को एनडीए से अलग कर लिया और अकेले ही 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने की वजह से 17 मई 2014 को नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया. बाद में कुछ मुद्दों पर गलतफहमी के बाद जीतनराम मांझी को इस्तीफा देना पड़ा और 22 फरवरी 2015 को नीतीश कुमार ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वह 19 नवंबर 2015 तक अपने पद पर बने रहे.

2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए लालू यादव के साथ नीतीश कुमार का गठबंधन (Nitish Kumar Alliance With Lalu Yadav) हुआ, जोकि कामयाब रहा. महागठबंधन की सरकार बनी और 20 नवंबर 2015 को नीतीश ने पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन उन्होंने बीच में ही (तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद) आरजेडी का साथ छोड़ दिया और 26 जुलाई 2017 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. आरजेडी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी के साथ आ गए. इसके बाद उन्होंने 27 जुलाई 2017 को छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और कार्यकाल पूरा किया. 2020 के चुनाव में एनडीए को बहुमत मिली और 16 नवम्बर, 2020 को नीतीश कुमार ने 7वीं बार सीएम पद की शपथ ली.

हालांकि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन पहले जैसा नहीं रहा और उसे 71 सीटों के मुकाबले मात्र 43 सीटें मिलीं. मंडल की राजनीति से नेता बनकर उभरे नीतीश कुमार को बिहार को अच्छा शासन मुहैया कराने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन उनके विरोधी उन पर अवसरवादी होने का आरोप लगाते रहे हैं.

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