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नीतीश के लिए प्रतिष्ठा का सवाल तो तेजस्वी का लिटमस टेस्ट है उपचुनाव के नतीजे

बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव के नतीजों को लेकर सभी दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. राजद ने इस चुनाव में पूरी ताकत लगा दी है. वहीं, नीतीश कुमार के लिए इन दोनों सीटों का जीतना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. पढ़ें रिपोर्ट...

पटना
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Published : Nov 1, 2021, 6:30 PM IST

पटना: बिहार का विधानसभा चुनाव 2020 में हुआ था और राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई थी. लेकिन, तब राजद (RJD) सरकार बनाने से चूक गया था. इस बार सीटें तो महज दो हैं, लेकिन राजद ने पूरी ताकत लगा दी. पिछली बार चिराग फैक्टर की वजह से राजद के सबसे बड़ी पार्टी बनने की बात कही जा रही थी, लेकिन इस बार पूरा दारोमदार तेजस्वी यादव पर है. यही वजह है कि ना सिर्फ नीतीश कुमार के लिए इन दोनों सीटों का जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न है, बल्कि तेजस्वी के लिए भी यह किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है.

ये भी पढ़ें- नीतीश का RJD को जवाब: चुनाव कराना EC का काम, किसी का कोई हस्तक्षेप नहीं

तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव किस हद तक राजद और जदयू के लिए महत्वपूर्ण है यह तो चुनाव की तैयारियों से ही पता चल गया. अब नतीजे कितने महत्वपूर्ण हैं यह साफ नजर आ रहा है, क्योंकि नतीजे आने से पहले ही एक तरफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दरभंगा रवाना हो गए हैं, दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता और थिंक टैंक माने जाने वाले जगदानंद सिंह तारापुर के लिए रवाना हुए हैं. यह दोनों वहां चुनाव में गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर नतीजे आने तक डेरा डालेंगे.

देखें रिपोर्ट

''हम सब लोगों को पूरा विश्वास है कि तारापुर और कुशेश्वरस्थान दोनों जगहों की जनता का आशीर्वाद राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशियों को मिलेगा. उपचुनाव में राजद दोनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी.''- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

ये भी पढ़ें- 'लालू के आने से लोगों को याद आया जंगलराज, उपचुनाव में NDA की होगी जीत'

पूरे चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद अब नतीजे आने तक भी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दावा करते रहे कि सरकार ने प्रशासन की मदद से गड़बड़ी की है और नतीजे में भी गड़बड़ी की पूरी आशंका है. इधर, भाजपा नेता मिथिलेश तिवारी ने कहा कि बिहार में सबसे बड़ा मुद्दा तो खुद राष्ट्रीय जनता दल ही है. लोग यह सोचते हैं कि किस तरह राजद को जीतने नहीं दिया जाए.

''पिछली बार चिराग पासवान की वजह से जो कन्फ्यूजन हुआ उसका फायदा राजद को मिल गया. लेकिन, इस बार कहीं कोई कंफ्यूजन नहीं है. इस बार राजद और तेजस्वी यादव को यह पता चल जाएगा कि बिहार की जनता क्या चाहती है.''- मिथिलेश तिवारी, भाजपा नेता

ये भी पढ़ें- उपचुनाव: राजनीतिक दलों के बीच पोस्टल बैलट को लेकर तकरार, चुनाव आयोग का एक्शन प्लान तैयार

पिछली बार 75 सीटें जीतकर बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनने वाले राजद के लिए यह 2 सीटें इतनी महत्वपूर्ण कैसे हो गई. हमने वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय से बात की. उन्होंने बताया कि पिछली बार से कम महत्वपूर्ण इस बार का 2 सीटों का उपचुनाव नहीं है, क्योंकि एक तरफ जदयू के लिए यह दो सीटिंग सीटें जीतना महत्वपूर्ण है, इसलिए नीतीश कुमार ने पूरा जोर लगा दिया. वहीं, दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के लिए भी यह दोनों सीटें किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है.

''तेजस्वी और लालू के लिए यह दोनों सीटें इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं, क्योंकि उन्होंने एक तो अपने सहयोगी कांग्रेस से पंगा ले लिया और दूसरी तरफ उन्हें यह भी साबित करना है कि पिछली बार राजद को जो जीत हासिल हुई वह चिराग पासवान की वजह से नहीं, बल्कि राजद के युवा चेहरे तेजस्वी यादव की वजह से थी.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

ये भी पढ़ें- नागमणि का दावा, 'उनके समर्थन की वजह से तारापुर में RJD की जीत तय'

अब देखना है कि 2 नवंबर को आने वाले नतीजों में किसके हाथ बाजी लगती है और विधानसभा में कौन ज्यादा मजबूती के साथ नजर आता है. बता दें कि दोनों सीटों के लिए 30 अक्टूबर को मतदान हुआ था. आरजेडी की तरफ से लगातार दोनों सीटों पर जीत के दावे किए जा रहे हैं. दोनों विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव में 49.59 फीसदी मतदान हुआ था. कुशेश्वरस्थान में 49 फीसदी और तारापुर में 50.05 फीसदी मतदान हुआ था. वोटों की गिनती 2 नवंबर को होगी.

पटना: बिहार का विधानसभा चुनाव 2020 में हुआ था और राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई थी. लेकिन, तब राजद (RJD) सरकार बनाने से चूक गया था. इस बार सीटें तो महज दो हैं, लेकिन राजद ने पूरी ताकत लगा दी. पिछली बार चिराग फैक्टर की वजह से राजद के सबसे बड़ी पार्टी बनने की बात कही जा रही थी, लेकिन इस बार पूरा दारोमदार तेजस्वी यादव पर है. यही वजह है कि ना सिर्फ नीतीश कुमार के लिए इन दोनों सीटों का जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न है, बल्कि तेजस्वी के लिए भी यह किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है.

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तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव किस हद तक राजद और जदयू के लिए महत्वपूर्ण है यह तो चुनाव की तैयारियों से ही पता चल गया. अब नतीजे कितने महत्वपूर्ण हैं यह साफ नजर आ रहा है, क्योंकि नतीजे आने से पहले ही एक तरफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दरभंगा रवाना हो गए हैं, दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता और थिंक टैंक माने जाने वाले जगदानंद सिंह तारापुर के लिए रवाना हुए हैं. यह दोनों वहां चुनाव में गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर नतीजे आने तक डेरा डालेंगे.

देखें रिपोर्ट

''हम सब लोगों को पूरा विश्वास है कि तारापुर और कुशेश्वरस्थान दोनों जगहों की जनता का आशीर्वाद राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशियों को मिलेगा. उपचुनाव में राजद दोनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी.''- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

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पूरे चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद अब नतीजे आने तक भी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दावा करते रहे कि सरकार ने प्रशासन की मदद से गड़बड़ी की है और नतीजे में भी गड़बड़ी की पूरी आशंका है. इधर, भाजपा नेता मिथिलेश तिवारी ने कहा कि बिहार में सबसे बड़ा मुद्दा तो खुद राष्ट्रीय जनता दल ही है. लोग यह सोचते हैं कि किस तरह राजद को जीतने नहीं दिया जाए.

''पिछली बार चिराग पासवान की वजह से जो कन्फ्यूजन हुआ उसका फायदा राजद को मिल गया. लेकिन, इस बार कहीं कोई कंफ्यूजन नहीं है. इस बार राजद और तेजस्वी यादव को यह पता चल जाएगा कि बिहार की जनता क्या चाहती है.''- मिथिलेश तिवारी, भाजपा नेता

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पिछली बार 75 सीटें जीतकर बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनने वाले राजद के लिए यह 2 सीटें इतनी महत्वपूर्ण कैसे हो गई. हमने वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय से बात की. उन्होंने बताया कि पिछली बार से कम महत्वपूर्ण इस बार का 2 सीटों का उपचुनाव नहीं है, क्योंकि एक तरफ जदयू के लिए यह दो सीटिंग सीटें जीतना महत्वपूर्ण है, इसलिए नीतीश कुमार ने पूरा जोर लगा दिया. वहीं, दूसरी तरफ तेजस्वी यादव के लिए भी यह दोनों सीटें किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है.

''तेजस्वी और लालू के लिए यह दोनों सीटें इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं, क्योंकि उन्होंने एक तो अपने सहयोगी कांग्रेस से पंगा ले लिया और दूसरी तरफ उन्हें यह भी साबित करना है कि पिछली बार राजद को जो जीत हासिल हुई वह चिराग पासवान की वजह से नहीं, बल्कि राजद के युवा चेहरे तेजस्वी यादव की वजह से थी.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

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अब देखना है कि 2 नवंबर को आने वाले नतीजों में किसके हाथ बाजी लगती है और विधानसभा में कौन ज्यादा मजबूती के साथ नजर आता है. बता दें कि दोनों सीटों के लिए 30 अक्टूबर को मतदान हुआ था. आरजेडी की तरफ से लगातार दोनों सीटों पर जीत के दावे किए जा रहे हैं. दोनों विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव में 49.59 फीसदी मतदान हुआ था. कुशेश्वरस्थान में 49 फीसदी और तारापुर में 50.05 फीसदी मतदान हुआ था. वोटों की गिनती 2 नवंबर को होगी.

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