पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) को जेड प्लस सुरक्षा हासिल है जेड प्लस के अलावा मुख्यमंत्री एएसएल और एसएसजी प्रोटेक्टी भी हैं. मुख्यमंत्री की सुरक्षा में एक समय में 125 से ज्यादा लोग लगे रहते हैं. मुख्यमंत्री की सुरक्षा देखने के लिए पुलिस मुख्यालय में एडीजी सुरक्षा का पद भी सृजित किया गया है. फिलहाल, एडीजी सुरक्षा के पद पर बच्चू सिंह मीणा तैनात है. इसके अलावा सुरक्षा सेल में डीआईजी और एसपी भी तैनात हैं. पिछले एक पखवाड़े में मुख्यमंत्री की सुरक्षा में दो बड़ी लापरवाही उजागर हुई है. विभाग के अधिकारी हमलावर को मानसिक रूप से विक्षिप्त बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.
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बार-बार हो रही सुरक्षा में चूक: पहली घटना 27 मार्च को बख्तियारपुर में घटित हुई जब एक युवक तमाम सुरक्षा घेरे को धता बताते हुए मुख्यमंत्री के करीब जा पहुंचा और थप्पड़ जड़ दिया. 12 अप्रैल को दूसरी घटना हुई एक युवक ने सीएम के पास जाकर पटाखा फोड़कर सुरक्षा दावों की पोल खोल (Negligence in security of Nitish Kumar) दी. फिलहाल, अधिकारी जांच के दावे कर रहे हैं. इससे पहले भी मुख्यमंत्री पर जनता दरबार में हमला हुआ था और एक युवक ने मुख्यमंत्री के ऊपर चप्पल फेंक दी थी.
कड़ी सुरक्षा घेरे में होते हैं CM: मुख्यमंत्री की सुरक्षा तीन स्तर पर होती है. पहले लेवल पर रिंग राउंड सुरक्षा होती है. इसे सीपीटी भी कहा जाता है. इसमें अफसर से लेकर कॉन्स्टेबल तक की भूमिका अहम होती है. इस सुरक्षा घेरे में एसएसजी के ट्रेंड अधिकारी तैनात होते हैं. मुख्यमंत्री को रिंग राउंड सुरक्षा में रखा जाता है, इनकी संख्या 8 से 10 के बीच होती है. दूसरे स्तर की सुरक्षा को आइसोलेशन कार्डेन कहा जाता है. इसमें एसएसजी और कमांडो को तैनात किया जाता है. इनकी जिम्मेदारी भीड़ पर कंट्रोल स्थापित करना होता है. इसमें 10 अधिकारी तैनात किए जाते हैं.
तीसरे स्तर पर जो सुरक्षा घेरा होता है, उसे आउटर कार्डेन कहा जाता है. इस स्तर पर 25 से 30 अधिकारी तैनात होते हैं जो जिला पुलिस बल के होते हैं, उनका काम लोगों की गतिविधियों पर नजर रखना होता है. लोगों के जांच का जिम्मा भी उन्हीं के पास होता है. मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगे ज्यादातर अधिकारी एसएससी ट्रेंड होते हैं. उनकी तैनाती मुख्यमंत्री की सुरक्षा में 5 साल के लिए हो सकती है और उन्हें 40 परसेंट इंसेंटिव मिलता है.
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बता दें कि साल 2002 में एसएसजी एक्ट बना था. राबड़ी देवी के काल में एक्ट पारित हुआ था. एसएसजी की ट्रेनिंग के बाद परीक्षा में पास होना जरूरी है, जो पास होंगे उन्हीं की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सुरक्षा में होती है, लेकिन परीक्षा को इन दिनों औपचारिकता बना दिया गया है. मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात ज्यादातर अधिकारी एसएसजी की बेसिक ट्रेनिंग लिए हैं. राजस्थान के देवली में एसओजी की ट्रेनिंग होती है और वहां से ट्रेनिंग लिए कम ही अधिकारी फिलहाल मुख्यमंत्री की सुरक्षा में है.
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नियम के विरुद्ध लंबे समय से तैनात अधिकारी: फिलहाल, मुख्यमंत्री की सुरक्षा में ज्यादातर 2009 बैच के सब इंस्पेक्टर और 2010 बैच के आरक्षी तैनात हैं. इनकी संख्या 250 से ज्यादा है. ज्यादातर ने मुख्यमंत्री सुरक्षा में 10 साल पूरे कर लिए हैं. मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात डीएसपी लगभग 8 साल से काबिज हैं. इसके अलावा इंस्पेक्टर प्रकाश शर्मा, घनश्याम महतो, विनोद कुमार, गोपाल प्रसाद 10 साल या उससे अधिक समय से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात हैं. धर्मराज तिवारी लगभग 20 साल से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात हैं. नियम के विरुद्ध लंबे समय से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में अधिकारी तैनात हैं.
मुख्यमंत्री की सुरक्षा में गड़बड़ी:
- एक्सेस कंट्रोल का अभाव
- इंटेलिजेंस इनपुट सिस्टम फेल्योर
- नहीं जारी होती है एडवाइजरी
- थ्रेट असेसमेंट का अभाव
- स्पॉट ब्रीफिंग का अभाव
- पैरवी और जाति के आधार पर होती है पोस्टिंग
''मुख्यमंत्री की सुरक्षा मखौल बनकर रह गई है. पिछले कुछ दिनों में ही मुख्यमंत्री पर 2-2 हमले हुए हैं. पहले बख्तियारपुर में उन पर हमला हुआ, फिर नालंदा में सभा स्थल पर पटाखा फोड़ दिया गया. इससे ऐसा लग रहा है कि सीएम की सुरक्षा ध्वस्त हो गई है. लापरवाही तो जो सुरक्षा में लगे हुए हैं उनसे हो रही है, लोग अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं कर रहे हैं. मुख्यमंत्री की सुरक्षा में अधिकारियों की तैनाती या तो पैरवी पर होती है या फिर उनकी जाति देखी जाती है.''- अमिताभ कुमार दास, पूर्व आईपीएस
CM को अधिकारियों पर हद से ज्यादा भरोसा: सीएम नीतीश की सुरक्षा में लापरवाही की बड़ी वजह से भी है कि उसकी सुरक्षा में अधिकारी पिछले कई सालों से लगे हुए हैं. सीएम नीतीश अपने नजदीकी और भरोसेमंद व्यक्तियों पर हद से ज्यादा भरोसा करते हैं. तैनात अधिकारी इसलिए भी लापरवाह हो जाते हैं. उन पर कार्रवाई का डंडा नहीं चल पाता है. हाल के दिनों में मुख्यमंत्री पर कई बार हमले हुए, लेकिन लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई. डीजीपी एसके सिंघल ने कहा है कि मुख्यमंत्री पर हमला मामले में जो कोई भी लापरवाह पाया जाएगा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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