पटना: 67वीं बीपीएससी परीक्षा का पेपर लीक होने को लेकर बिहार सरकार बेहद दबाव में है. राज्य सरकार की किरकिरी के बाद आर्थिक अपराध इकाई (EOU inquiry in 67th BPSC Paper Leak ) के लिए मामले का खुलासा करना बड़ चैलेंज दिख रहा है. प्रारंभिक जांच में जिस स्टाइल में पेपर लीक की जानकारी आ रही है, उससे इसमें किसी बड़े गैंग के शामिल होने की बातें सामने आ रही (Big Gang Suspected In BPSC Paper Leak Case ) है. परीक्षा फार्म भरवाने, सेंटर मैनेज करने, प्रश्न पत्र का फोटो स्टेट कराकर पीडीएफ में बदल कर दूसरी जगहों पर सोशल मीडिया से भेजना के बिंदुओं पर निगरानी जांच कर रही है.
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कहीं सोल्वरों को आंसर हल करने के लिए तो नहीं भेजा था पेपरः विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ एक जिले का सेंटर मैनेज होता तो प्रश्नों को पीडीएफ बनाकर नहीं भेजा जाता. सोशल मीडिया से कई फोटो भेजने में कई बार समय लगाता है और फोटो का सीक्वेंस बदल जाता है. माना जा रहा है कि कम समय में जल्द से जल्द सही फार्मेट में टारगेट पर प्रश्न प्रत्र पहुंचाने के लिए पहले उसका फोटो स्टेट किया गया. इसके बाद फोटो स्टेट को स्कैन किया गया. भेजने में आसानी हो इसके लिए पीडीएफ में प्रश्न पत्र को बदला गया. सुरक्षा एजेंसी इस लाइन पर जांच कर रही है कि कहीं पीडीएफ बनाकर पटना या दिल्ली में बैठे सोल्वरों को पेपर तो नहीं भेजा गया, ताकि वे प्रश्नों को हल कर उसका उत्तर मैनेज सेंटरों पर बैठे उम्मीदवारों को समय से भेजा जा सके.
कई संदिग्ध कोचिंग संस्थान भी निगरानी के रडार परः बीपीएससी पर्चा लीक मामले में निगरानी की रडार पर सिविल सर्विस की तैयारी कराने वाली कई संदिग्ध कोचिंग संस्थानों भी है. बताया जा रहा है कि जिस तरह से एक सेंटर पर एक साथ कई उम्मीदवार कमरे में बैठ कर परीक्षा दे रहें. जबकि बड़ी संख्या में उम्मीदवार बाहर इंतजार कर रहे हैं. जांच एजेंसी इस बात को भी खंगाल रही है कि आरा के जिस सेंटर पर हंगामा हुआ था वहां पहले से परीक्षा देने वाले छात्रों का प्रोफाइल क्या है. वे किस जिले के हैं. वे कहां रहकर किस कोचिंग में पढ़ाई करते थे. क्या सभी छात्रों के बीच किसी कॉमन नंबर से कोई, कॉल या सोशल मीडिया पर कोई मैसेज भेजा गया है नहीं.
सिर्फ दो कमरों में बैठे उम्मीदवारों पर कृपा क्योंः सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि आरा के वीर कुंवर सिंह सेंटर पर कुछ छात्र मोबाइल लेकर एग्जाम दे रहे हैं. छात्रों से लेकर आम लोग इस पर सवाल कर रहे हैं कि वीर कुंवर सिंह सेंटर पर जिन छात्रों का सेंटर उन दो कमरों में था, उन्हें ही क्यों स्पेशल ट्रीटमेंट दिया गया था. क्या किसी रैकेट की मदद से सबों को साथ में फार्म भरवाया गया या सेंटर अलॉट होने के बाद सबों से संपर्क किया गया. वे सब कैसे एक दूसरे से जुड़े हैं.
छापेमारी और पूछताछ का सिलसिला जारीः 8 मई को हुए बीपीएससी पेपर लीक मामले में आर्थिक अपराध इकाई की ओर से बनाई गई एसआईटी की टीम के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एजेंसी को कई अहम सुराग मिले हैं. अब तक मिले सुरागों के अनुसार पूरे मामले में बड़े गैंग के बिना इस स्तर पर गड़बडी संभव नहीं है. इसको लेकर निगरानी की टीम आरा सहित कई और जिलों में गैंग से जुडे़ लोगों की तलीश कर रहें हैं. वहीं कई लोगों से निगरानी की टीम लगातार पूछताछ कर रही है. वहीं इस मामले में नई गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है.
वायरल करने वाले मोबाइल की तलाश जारीः निगरानी सूत्रों के अनुसार प्रश्न पत्रों को व्हाट्सप्प के माध्यम से लीक करने वालों की तलाश लगातार जारी है. अभी तक जो जिन भी नंबरों की पहचान हो रही है, वहां से प्रश्न पत्र अटैच नहीं हुआ था. सिर्फ उन नंबरों से उसे फॉरवर्ड किया गया है. मूल सोर्स नंबर के मामले का खुलासा संभव नहीं है. इस लिए कई आईटी विशेषज्ञ भी लगातार इस मामले में काम कर रहे हैं.
गैंग में कई लोगों के शामिल होने की आशंकाः सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार मामले की गंभीरता को देखते हुए आर्थिक अपराध इकाई संदिग्ध लोगों पर नजर रह रही है. बीपीएससी पेपर लिक मामले में कई बड़े लोगों के शामिल होने की बातें चल रही है. निगरानी प्रश्न पत्रों के सेंटर पर छात्रों तक वितरित होने के हर चैनेल को चेक रही है. कहां कब आया. किस ने रिसीव किया. उम्मीद जतायी जा रही है कि इस रैकेट में कई सेंटरों के केंद्राधीक्षक, कक्ष वीक्षक, दंडाधिकारी, कोचिंग संचालक निगरानी की गिरफ्त में आयेंगे.
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