ETV Bharat / city

ये 'बाढ़ की लाई' है कुछ खास, स्वाद ऐसा कि आपको भी दीवाना बना दे - Govind Sah of barh started making laai

बाढ़ की प्रसिद्ध लाई बनाने के लिए लावा, खोवा, चीनी, काजू और किसमिस जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है. सबसे पहले खोवा तैयार किया जाता है. फिर खोवे में माढ़ा और बाकि सामग्रियां मिलाकर गोल आकार में गढ़ दिया जाता है. इसकी खासियत है कि यह कई दिनों तक अच्छी रहती है और खराब नहीं होती.

barh-famous-sweet-laai
barh-famous-sweet-laai
author img

By

Published : Feb 5, 2020, 7:03 AM IST

Updated : Feb 5, 2020, 7:40 AM IST

पटना: बिहार की मिठाईयों की बात चले और उसमें बाढ़ की लाई का जिक्र न हो ऐसा संभव नहीं. राजधानी पटना के बाढ़ अनुमंडल की प्रसिद्ध मिठाई है लाई. ये मिठाई अपने स्वाद के लिए देश-दुनिया में मशहूर है. पटना से मोकामा की ओर जाने वाले लोग अक्सर बाढ़ में रुक कर लाई खरीदना नहीं भूलते. बाढ़ सहित आसपास के क्षेत्रों में होने वाले शादी विवाह जैसे मांगलिक कामों में लाई जरूर शामिल की जाती है.

100 साल पहले हुई लाई बनाने की शुरुआत
लाई को लेकर कई तरह के तथ्य है. कहा जाता है लावा से लाई बनाने की शुरुआत हुई थी. कठिन हालातों में जब इलाके में खाने-पीने के चीजों की किल्लत हुई, तो लोग लाई बना कर खाने लगे. धीरे-धीरे ये उद्योग का रूप लेता चला गया. कहा तो ये भी जाता है कि करीब 100 साल पहले बाढ़ के चोन्दी के निवासी गोविंद साह ने लाई बनाने की शुरुआत की थी. शुरुआत में सादी लाई बनती थी, बाद में गुजरते वक्त के साथ सादे लावा की लाई के अलावा खोवा और गाय के दूध से भी लाई बनने लगी.

barh-famous-sweet-laai
बाढ़ अनुमंडल की प्रसिद्ध मिठाई लाई

मावे के साथ मिलाई जाती है कई सामग्रियां
बाढ़ की प्रसिद्ध लाई बनाने के लिए लावा, खोवा, चीनी, काजू और किसमिस जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है. सबसे पहले खोवा तैयार किया जाता है. फिर खोवे में माढ़ा और बाकि सामग्रियां मिलाकर गोल आकार में गढ़ दिया जाता है. कुछ समय तक इसे सुखाया जाता है. उसके बाद लाई को खाने के लिए तैयार किया जाता है. इसकी खासियत है कि यह कई दिनों तक अच्छी रहती है और खराब नहीं होती.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कई मशहूर हस्ती भी लाई के दीवाने
अपने स्वाद के लिए मशहूर लाई के शौकीनों में देश दुनिया के लोगों के साथ-साथ बिहार के बड़े कद्दावर नेता भी शामिल हैं. इस रास्ते से गुजरने के बाद बिना लाई खरीदे और उसका स्वाद चखे कोई राजनेता नहीं जाता. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी लाई के शौकीन हैं. राजनेता अपनी पार्टी में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में बाढ़ की लाई जरूर मंगवाते और अपने कार्यकर्ताओं के बीच बांटते हैं.

barh-famous-sweet-laai
बाढ़ में लाई की दुकान

लाई के व्यवसाइयों को नहीं मिली सरकारी मदद
हालांकि विडंबना ये है कि 5 से 7 हजार लोगों को जीविका देने वाले लाई के व्यवसाइयों को अब तक कोई सरकारी मदद, अनुदान या सहयोग नहीं मिला है. रोजाना दो से ढाई लाख रुपये की लाई की बिक्री होती है. व्यापारी लाई के दीवानों के दम पर ही खुशी-खुशी यह व्यवसाय चला रहे हैं.

पटना: बिहार की मिठाईयों की बात चले और उसमें बाढ़ की लाई का जिक्र न हो ऐसा संभव नहीं. राजधानी पटना के बाढ़ अनुमंडल की प्रसिद्ध मिठाई है लाई. ये मिठाई अपने स्वाद के लिए देश-दुनिया में मशहूर है. पटना से मोकामा की ओर जाने वाले लोग अक्सर बाढ़ में रुक कर लाई खरीदना नहीं भूलते. बाढ़ सहित आसपास के क्षेत्रों में होने वाले शादी विवाह जैसे मांगलिक कामों में लाई जरूर शामिल की जाती है.

100 साल पहले हुई लाई बनाने की शुरुआत
लाई को लेकर कई तरह के तथ्य है. कहा जाता है लावा से लाई बनाने की शुरुआत हुई थी. कठिन हालातों में जब इलाके में खाने-पीने के चीजों की किल्लत हुई, तो लोग लाई बना कर खाने लगे. धीरे-धीरे ये उद्योग का रूप लेता चला गया. कहा तो ये भी जाता है कि करीब 100 साल पहले बाढ़ के चोन्दी के निवासी गोविंद साह ने लाई बनाने की शुरुआत की थी. शुरुआत में सादी लाई बनती थी, बाद में गुजरते वक्त के साथ सादे लावा की लाई के अलावा खोवा और गाय के दूध से भी लाई बनने लगी.

barh-famous-sweet-laai
बाढ़ अनुमंडल की प्रसिद्ध मिठाई लाई

मावे के साथ मिलाई जाती है कई सामग्रियां
बाढ़ की प्रसिद्ध लाई बनाने के लिए लावा, खोवा, चीनी, काजू और किसमिस जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है. सबसे पहले खोवा तैयार किया जाता है. फिर खोवे में माढ़ा और बाकि सामग्रियां मिलाकर गोल आकार में गढ़ दिया जाता है. कुछ समय तक इसे सुखाया जाता है. उसके बाद लाई को खाने के लिए तैयार किया जाता है. इसकी खासियत है कि यह कई दिनों तक अच्छी रहती है और खराब नहीं होती.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कई मशहूर हस्ती भी लाई के दीवाने
अपने स्वाद के लिए मशहूर लाई के शौकीनों में देश दुनिया के लोगों के साथ-साथ बिहार के बड़े कद्दावर नेता भी शामिल हैं. इस रास्ते से गुजरने के बाद बिना लाई खरीदे और उसका स्वाद चखे कोई राजनेता नहीं जाता. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी लाई के शौकीन हैं. राजनेता अपनी पार्टी में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में बाढ़ की लाई जरूर मंगवाते और अपने कार्यकर्ताओं के बीच बांटते हैं.

barh-famous-sweet-laai
बाढ़ में लाई की दुकान

लाई के व्यवसाइयों को नहीं मिली सरकारी मदद
हालांकि विडंबना ये है कि 5 से 7 हजार लोगों को जीविका देने वाले लाई के व्यवसाइयों को अब तक कोई सरकारी मदद, अनुदान या सहयोग नहीं मिला है. रोजाना दो से ढाई लाख रुपये की लाई की बिक्री होती है. व्यापारी लाई के दीवानों के दम पर ही खुशी-खुशी यह व्यवसाय चला रहे हैं.

Intro:स्वाद का राजा बाढ़ अनुमंडल का लाइ
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव भी हैं लाइ के शौकीन
नालंदा। बिहार के मिठाइयों का जिक्र हो उसमें बाढ़ अनुमंडल का लाई का जिक्र न हो ऐसा संभव नहीं है । पटना के बाढ़ अनुमंडल का प्रसिद्ध मिठाई है लाई। लाइ देश-दुनिया में मशहूर हो चुका है। पटना से मोकामा की ओर जाने वाले लोग अक्सर बाढ़ में रुक कर लाइ जरूर खरीदते हैं । इतना ही नहीं बाढ़ सहित आसपास के क्षेत्रों में होने वाले शादी विवाह में बाढ़ का लाई विभिन्न आइटम में एक आइटम जरूर होता है। इतना ही नहीं शादी विवाह में आने वाले लोगो, अपने सगे संबंधियों को भेंट स्वरूप लाइ देने का काम करते हैं।


Body:कहा जाता है कि लावा से लाइ बनाने की शुरुआत हुई थी, क्योंकि पूर्व में यहां वर्षो पूर्व खाने के लिए सही से नही मिल पाती थी जिसके बाद लोग लाई बना कर खाने लगे। लोग लावा का लाइ बना कर खाना शुरू किए थे। धीरे-धीरे यह उद्योग का रूप लेता चला गया । करीब 100 साल पूर्व बाढ़ के चोन्दी पर के गोविंद साह के द्वारा लाई बनाने की शुरुआत की गई थी । उसके बाद यहां उद्योग का रूप लेता चला गया । शुरुआत में सादा लाइ बनता था। धीरे-धीरे इसमें बढ़ोतरी हुई और खोवा और मावे का लाइ बनना शुरू हुआ । उसके बाद गाय के दूध से भी लाइ बनना शुरू हो चुका है।
अपने स्वाद के लिए मशहूर लाइ के शौकीनों में देश दुनिया के लोग ही नहीं बल्कि बिहार के बड़े बड़े कद्दावर नेता भी शामिल है। इस मार्ग से गुजरने के बाद बिना लाइ खरीदें और उसका स्वाद चखे कोई राजनेता नहीं जाते हैं । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी लाइ के शौकीन है इन नेताओं के द्वारा पार्टी के आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में बाढ़ का लाइ जरूर मंगाया जाता है ,जिसे कार्यकर्ताओं के बीच बांटने का काम किया जाता है।
हालांकि कहा जाता है कि लाई का व्यवसाय में फिलहाल 5 से 7 हज़ार लोग जुड़े है और इसी से उन लोगो की जीविका चलती है। प्रति दिन दो से ढाई लाख रुपये की लाई की बिक्री होती है, लेकिन अब तक इन लोगो को कोई सरकारी मदद नही मिल सका है ताकि यह लोग अपने इस व्यवसाय को आगे बढ़ा सकें।


Conclusion:बाढ़ के प्रसिद्ध लाइ बनाने के लिए दानेदार फसल, खोवा, चीनी काजू, किसमिस आदि सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। सबसे पहले खोवा तैयार किया जाता है । फिर खोवे में माढा, चीनी, किसमिस, काजू आदि मिलाकर गोलाकार में लपेट दिया जाता है । कुछ समय तक इसे सुखाया जाता है, उसके बाद लाइ को खाने के लिए तैयार किया जाता । कहा जाता है कि यह कई दिनों तक रह जाती है और खराब भी नहीं होता है।
बाइट। रमेश कुमार, ग्राहक
बाइट। शशिभूषण कुमार, व्यवसायी
बाइट। अविनाश कुमार, व्यवसायी
बाइट। रत्न कुमार गुप्ता, कारीगर
पी टू सी कुमार सौरभ
Last Updated : Feb 5, 2020, 7:40 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.