बेतियाः बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election 2021) का बिगुल क्या बजा, जनप्रतिनिधि वोटरों को लुभाने में लग गए हैं. अब ऐसे में आदर्श आचार संहिता (Code Of Conduct In Bihar) का उल्लंघन हो या कोरोना गाइडलाइन को ताख पर रखा जाए, उन्हें क्या फर्क पड़ता है. पूरे बिहार से ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें प्रतिनिधि वोटरों को लुभाने के लिए आर्केस्ट्रा करवा रहे हैं. ताजा वीडियो बेतिया के नरकटियागंज प्रखंड के केसरिया से वायरल हुआ है. मुखिया पुत्र ने बार बालाओं को बुलाकर अश्लील गानों पर नाच करवा दिया.
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वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह से बार बाला लोगों के बीच जाकर डांस कर रही है. इस दौरान स्टेज के पास मुखिया पुत्र बैठे हैं. लोगों का हुजूम लगा है. डांसर को मुखिया पुत्र खींचकर गोदी में बैठाकर सेल्फी ले रहे हैं. वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर लोग ऐसे विकास पर तरह-तरह की टिप्पणी दे रहे हैं.
बिहार पंचायत चुनाव को लेकर पूरे प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू है. लेकिन कई जगहों पर इसकी अवहेलना हो रही है. ऐसा ही एक मामला नरकटियागंज के प्रखंड से सामने आया है. यहांं मतदाताओं को लुभाने के लिए मुखिया पुत्र ने बार बालाओं से जमकर ठुमके लगवाए. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर लोग खूब मजे ले रहे हैं.
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरकार और प्रशासन पूरी तरह से सख्त है. मुखिया जी को आचार संहिता की भी परवाह नहीं है. वीडियो वायरल कर बताया जा रहा है कि निवर्तमान मुखिया पुत्र द्वारा आर्केस्ट्रा का आयोजन किया गया था. दरअसल जिले के नरकटियागंज प्रखण्ड स्थित केसरिया पंचायत के मुखिया पुत्र सुनील कुमार इन दिनों अपने पंचायत के मतदाताओं को रिझाने के लिए बार बालाओं को डांस करा रहे हैं.
वहीं सोशल मीडिया पर एक फेसबुक यूजर ग्राम पंचायत राज केसरिया द्वारा लिखा जा रहा है कि मुखिया जी द्वारा हमारे गांव में आर्केस्ट्रा कराकर गांव और पंचायत का विकास किया जा रहा है. पोस्ट में सवाल पूछा जाता है कि क्या विकास यहीं तक सीमित है. अगर विकास चाहिए तो अपनी कीमती वोट ऐसे जनप्रतिनिधियों को न दें. ऐसे लोगों से युवाओं व समाज की संस्कृति पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. हालांकि वायरल वीडियो और फोटो कब की है, ये जानकारी नहीं हो पा रही है.
बता दें कि आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों के लिए बराबरी का समान स्तर उपलब्ध कराना, प्रचार अभियान को स्वस्थ्य रखना और राजनीतिक दलों के बीच विवाद को टालना है. सत्ताधारी पार्टी इस दौरान सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग नहीं कर सके, इसलिए केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं. इस दौरान मंत्री या अधिकारी अनुदान, नई योजनाओं की घोषणा, लोकार्पण, शिलान्यास, भूमिपूजन या किसी प्रकार का कोई कार्यक्रम नहीं कर सकते हैं
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नोट- ईटीवी भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.