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राजनीति में 'दाग' अच्छे हैं! सभी पार्टियों में बाहुबलियों की दखल बरकरार

एक दौर में जब बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की तूती बोलती थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की सख्ती के बाद राजनीति में बाहुबलियों की सीधी दखल बंद हो गई. लेकिन, राजनीतिक दलों और बाहुबलियों के गठजोड़ ने बीच का रास्ता निकाला नए प्रारूप में बाहुबलियों की पत्नियों को टिकट दिया जाने लगा और इस आड़ में बाहुबली सत्ता का सुख भोगते रहे. ये सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है.

Bihar Assembly Elections
Bihar Assembly Elections
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Published : Sep 28, 2020, 5:10 PM IST

पटना: बिहार की राजनीति पर बाहुबलियों का साया आज भी मंडरा रहा है. बाहुबली भले ही चुनाव नहीं लड़ सकते, लेकिन उनकी दखल राजनीति में कम नहीं हुई है. तमाम राजनीतिक दल बाहुबलियों के बाहुबल का इस्तेमाल करते हैं. अब चुनाव आयोग की आंखों में धूल झोंकने के लिए उनकी पत्नियों को टिकट देकर विधानसभा पहुंचा देते हैं.

बाहुबलियों से तौबा नहीं
एक दौर था जब बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की तूती बोलती थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की सख्ती के बाद राजनीति में बाहुबलियों की सीधी दखल बंद हो गई. लेकिन, राजनीतिक दलों और बाहुबलियों के गठजोड़ ने बीच का रास्ता निकाल लिया. नए प्रारूप में बाहुबलियों की पत्नियों को टिकट दिया जाने लगा. उनके बहाने बाहुबली सत्ता का सुख भोगते रहे. ये सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जेडीयू में बाहुबलियों की भरमार
जेडीयू की बात करें बनियापुर से बाहुबली धूमल सिंह पार्टी के विधायक हैं. इसके अलावा औरंगाबाद से रणविजय सिंह और सिवान से अजय सिंह लंबे समय से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. इतना ही नहीं बाहुबलियों की पत्नियों को भी टिकट देने में भी जेडीयू पीछे नहीं है. दिवंगत बाहुबली बूटन सिंह की पत्नी लेसी सिंह पार्टी की विधायक हैं.

बाहुबली अवधेश मंडल की पत्नी बीमा भारती हैं मंत्री
इसके अलावा बाहुबली अवधेश मंडल की पत्नी बीमा भारती भी बिहार सरकार में मंत्री हैं. खगड़िया के बाहुबली रणवीर यादव की पत्नी पूनम यादव भी जेडीयू की विधायक हैं. सिवान के बाहुबली नेता अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह भी इसी फेहरिस्त में शामिल हैं. बाहुबली मुन्ना शुक्ला की पत्नी अनु शुक्ला लालगंज विधानसभा से एमएलए रही हैं और चुनाव लड़ती आ रही हैं.

Bihar Assembly Elections
प्रेम कुमार, कृषि मंत्री, बिहार सरकार

बीजेपी ने बाहुबलियों की पत्नियों को दिया टिकट
बीजेपी की ओर रुख करें तो पार्टी ने बाहुबलियों की पत्नियों को टिकट देने में बिल्कुल कोताही नहीं बरती है. बक्सर के बाहुबली भुवर ओझा की पत्नी को पार्टी से टिकट मिला और वे विधायक बनी. इस चुनाव में भी उनकी ओर से दावेदारी है.

लोजपा का बाहुबलियों से गहरा नाता
लोक जनशक्ति पार्टी का बाहुबलियों से गहरा नाता रहा है. एक समय में बिहार के तमाम बाहुबली नेता रामविलास पासवान के कुनबे में शामिल थे. आज की तारीख में सूरजभान सिंह की पत्नी रीना देवी पार्टी की सक्रिय राजनीति में है. दो बार सांसद रहे और फिलहाल सुरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह सांसद हैं. इसके अलावा रामा सिंह भी लोजपा के टिकट पर सांसद रहे हैं. फिलहाल लोजपा से उनका मोह भंग हो चुका है.

Bihar Assembly Elections
दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

रेस में शामिल 'हम' भी
जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने भी पिछले विधानसभा चुनाव में बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को मैदान में उतारा था. हालांकि इस चुनाव में लवली आनंद ने आरजेडी का दामन थाम लिया है.

बाहुबलियों को टिकट देने में कांग्रेस भी पीछे नहीं
कांग्रेस भी बाहुबलियों को टिकट देने में पीछे नहीं है. पालीगंज के विधायक सिद्धार्थ भी बाहुबली नेता है. इसके अलावा लोकसभा चुनाव में बाहुबली नेता अनंत सिंह की पत्नी नीलम सिंह को कांग्रेस ने जेडीयू के ललन सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा था. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

Bihar Assembly Elections
भाई वीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, आरजेडी

आरजेडी और बाहुबलियों का साथ पुराना
राष्ट्रीय जनता दल यानि आरजेडी ने बाहुबली राजबल्लभ यादव को टिकट दिया था. कोर्ट ने राजवल्लभ को दोषी करार दिया, और उनकी सदस्यता भी खत्म हो चुकी है. पार्टी के बड़े बाहुबली नेता और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब कई बार चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई. संदेश विधायक अरुण यादव भी वांटेड है और उनके खिलाफ भी कई मामले दर्ज हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में अरुण अपनी पत्नी को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं.

आरजेडी की दलील
बाहुबलियों को पहले राजनीतिक दल चुनते हैं फिर जनता चुनती है. आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र का कहना है कि चुनाव लड़ने से किसी को भी रोका नहीं जा सकता. चुनाव लड़ना किसी भी नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है. लेकिन उस पर अंतिम फैसला जनता ही करती है.

Bihar Assembly Elections
राजीव कुमार, संयोजक, एडीआर

चुनाव लड़ना लोकतांत्रिक अधिकार-हम
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि कौन बाहुबली है इस बात का फैसला जनता करती है. किसी के कहने से कोई बाहुबली नहीं होता चुनाव लड़ना किसी का भी लोकतांत्रिक अधिकार है.

जनता बहुत समझदार-कृषि मंत्री प्रेम कुमार
कृषि मंत्री प्रेम कुमार का कहना है कि जनता बहुत समझदार है. वो किसी के बहकावे में नहीं आने वाली. बहुत सोच समझ कर ही जनता फैसला लेती है. जो भी बाहुबली मैदान में आएंगे तो जनता उन्हें नकार देगी.

Bihar Assembly Elections
डॉ संजय कुमार, राजनितिक विश्लेषक

राजनीति में बाहुबलियों की दखल बरकरार
राजनितिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का कहना है कि बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का दखल कम हुआ ही नहीं. बाहुबली खुद तो चुनाव नहीं लड़ते लेकिन पत्नियों को मैदान में उतार देते हैं और सत्ता सुख वही भोगते हैं.

'एडीआर की चिंता'
बिहार में एडीआर के संयोजक राजीव कुमार भी हालात को लेकर चिंतित हैं. राजीव कुमार का कहना है कि राजनीतिक दलों को सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के आदेशों को गंभीरता से लेने की जरूरत है. ये दल जनता पर छोड़ देते हैं, लेकिन बाहुबलियों का चयन पहले राजनीतिक दल करते हैं. उसके बाद सीमित विकल्प की वजह से जनता उन्हें चुनती है.

पटना: बिहार की राजनीति पर बाहुबलियों का साया आज भी मंडरा रहा है. बाहुबली भले ही चुनाव नहीं लड़ सकते, लेकिन उनकी दखल राजनीति में कम नहीं हुई है. तमाम राजनीतिक दल बाहुबलियों के बाहुबल का इस्तेमाल करते हैं. अब चुनाव आयोग की आंखों में धूल झोंकने के लिए उनकी पत्नियों को टिकट देकर विधानसभा पहुंचा देते हैं.

बाहुबलियों से तौबा नहीं
एक दौर था जब बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की तूती बोलती थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग की सख्ती के बाद राजनीति में बाहुबलियों की सीधी दखल बंद हो गई. लेकिन, राजनीतिक दलों और बाहुबलियों के गठजोड़ ने बीच का रास्ता निकाल लिया. नए प्रारूप में बाहुबलियों की पत्नियों को टिकट दिया जाने लगा. उनके बहाने बाहुबली सत्ता का सुख भोगते रहे. ये सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जेडीयू में बाहुबलियों की भरमार
जेडीयू की बात करें बनियापुर से बाहुबली धूमल सिंह पार्टी के विधायक हैं. इसके अलावा औरंगाबाद से रणविजय सिंह और सिवान से अजय सिंह लंबे समय से चुनाव लड़ते आ रहे हैं. इतना ही नहीं बाहुबलियों की पत्नियों को भी टिकट देने में भी जेडीयू पीछे नहीं है. दिवंगत बाहुबली बूटन सिंह की पत्नी लेसी सिंह पार्टी की विधायक हैं.

बाहुबली अवधेश मंडल की पत्नी बीमा भारती हैं मंत्री
इसके अलावा बाहुबली अवधेश मंडल की पत्नी बीमा भारती भी बिहार सरकार में मंत्री हैं. खगड़िया के बाहुबली रणवीर यादव की पत्नी पूनम यादव भी जेडीयू की विधायक हैं. सिवान के बाहुबली नेता अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह भी इसी फेहरिस्त में शामिल हैं. बाहुबली मुन्ना शुक्ला की पत्नी अनु शुक्ला लालगंज विधानसभा से एमएलए रही हैं और चुनाव लड़ती आ रही हैं.

Bihar Assembly Elections
प्रेम कुमार, कृषि मंत्री, बिहार सरकार

बीजेपी ने बाहुबलियों की पत्नियों को दिया टिकट
बीजेपी की ओर रुख करें तो पार्टी ने बाहुबलियों की पत्नियों को टिकट देने में बिल्कुल कोताही नहीं बरती है. बक्सर के बाहुबली भुवर ओझा की पत्नी को पार्टी से टिकट मिला और वे विधायक बनी. इस चुनाव में भी उनकी ओर से दावेदारी है.

लोजपा का बाहुबलियों से गहरा नाता
लोक जनशक्ति पार्टी का बाहुबलियों से गहरा नाता रहा है. एक समय में बिहार के तमाम बाहुबली नेता रामविलास पासवान के कुनबे में शामिल थे. आज की तारीख में सूरजभान सिंह की पत्नी रीना देवी पार्टी की सक्रिय राजनीति में है. दो बार सांसद रहे और फिलहाल सुरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह सांसद हैं. इसके अलावा रामा सिंह भी लोजपा के टिकट पर सांसद रहे हैं. फिलहाल लोजपा से उनका मोह भंग हो चुका है.

Bihar Assembly Elections
दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम

रेस में शामिल 'हम' भी
जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने भी पिछले विधानसभा चुनाव में बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को मैदान में उतारा था. हालांकि इस चुनाव में लवली आनंद ने आरजेडी का दामन थाम लिया है.

बाहुबलियों को टिकट देने में कांग्रेस भी पीछे नहीं
कांग्रेस भी बाहुबलियों को टिकट देने में पीछे नहीं है. पालीगंज के विधायक सिद्धार्थ भी बाहुबली नेता है. इसके अलावा लोकसभा चुनाव में बाहुबली नेता अनंत सिंह की पत्नी नीलम सिंह को कांग्रेस ने जेडीयू के ललन सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा था. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

Bihar Assembly Elections
भाई वीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, आरजेडी

आरजेडी और बाहुबलियों का साथ पुराना
राष्ट्रीय जनता दल यानि आरजेडी ने बाहुबली राजबल्लभ यादव को टिकट दिया था. कोर्ट ने राजवल्लभ को दोषी करार दिया, और उनकी सदस्यता भी खत्म हो चुकी है. पार्टी के बड़े बाहुबली नेता और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब कई बार चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई. संदेश विधायक अरुण यादव भी वांटेड है और उनके खिलाफ भी कई मामले दर्ज हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में अरुण अपनी पत्नी को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं.

आरजेडी की दलील
बाहुबलियों को पहले राजनीतिक दल चुनते हैं फिर जनता चुनती है. आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र का कहना है कि चुनाव लड़ने से किसी को भी रोका नहीं जा सकता. चुनाव लड़ना किसी भी नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है. लेकिन उस पर अंतिम फैसला जनता ही करती है.

Bihar Assembly Elections
राजीव कुमार, संयोजक, एडीआर

चुनाव लड़ना लोकतांत्रिक अधिकार-हम
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि कौन बाहुबली है इस बात का फैसला जनता करती है. किसी के कहने से कोई बाहुबली नहीं होता चुनाव लड़ना किसी का भी लोकतांत्रिक अधिकार है.

जनता बहुत समझदार-कृषि मंत्री प्रेम कुमार
कृषि मंत्री प्रेम कुमार का कहना है कि जनता बहुत समझदार है. वो किसी के बहकावे में नहीं आने वाली. बहुत सोच समझ कर ही जनता फैसला लेती है. जो भी बाहुबली मैदान में आएंगे तो जनता उन्हें नकार देगी.

Bihar Assembly Elections
डॉ संजय कुमार, राजनितिक विश्लेषक

राजनीति में बाहुबलियों की दखल बरकरार
राजनितिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का कहना है कि बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का दखल कम हुआ ही नहीं. बाहुबली खुद तो चुनाव नहीं लड़ते लेकिन पत्नियों को मैदान में उतार देते हैं और सत्ता सुख वही भोगते हैं.

'एडीआर की चिंता'
बिहार में एडीआर के संयोजक राजीव कुमार भी हालात को लेकर चिंतित हैं. राजीव कुमार का कहना है कि राजनीतिक दलों को सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के आदेशों को गंभीरता से लेने की जरूरत है. ये दल जनता पर छोड़ देते हैं, लेकिन बाहुबलियों का चयन पहले राजनीतिक दल करते हैं. उसके बाद सीमित विकल्प की वजह से जनता उन्हें चुनती है.

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