ETV Bharat / city

डेंगू के इलाज में आयुर्वेदिक औषधियां भी हैं कारगर, जरूर आजमाएं - डेंगू के मरीज

पटना में लगातार डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. स्थिति यह है कि अस्पतालों में बेड की संख्या कम पड़ गई है. ऐसे में आयुर्वेदिक चिकित्सक ने ये दावा किया है कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से डेंगू का इलाज संभव है.

डेंगू
author img

By

Published : Oct 21, 2019, 8:58 PM IST

पटना: राजधानी के आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक ने डेंगू के इलाज में आयुर्वेद का इस्तेमाल करने के लिए जागरुकता अभियान चलाया. आयुर्वेदिक चिकित्सक का दावा है कि डेंगू के इलाज में आयुर्वेद काफी हद तक कारगर है. डेंगू के अलावा अन्य बुखार, पेट की गड़बड़ी, उल्टी, दस्त और लीवर की समस्या आदि कई बीमारियों में भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी बहुत कारगर है.

डेंगू के इलाज के आयुर्वेदिक तरीके
डेंगू के बढ़ते कहर को देखते हुए आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल ने डेंगू से बचाव के आयुर्वेदिक तरीके साझा किए हैं. अस्पताल के प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद ने कहा है कि जड़ी-बूटियों से डेंगू का इलाज संभव है. गिलोय, एलोवेरा, पपीते का पत्ता, तुलसी का पत्ता और अनार के जूस के सेवन से डेंगू से निजात पाया जा सकता है. प्राचार्य ने दिन में 3-4 बार इन चारों को मिलाकर 50 ग्राम जूस का सेवन की सलाह दी. इससे प्लेटलेट्स की घटती संख्या को रोकने में मदद मिलती है. ज्यादा बुखार की स्थिति में उन्होंने एलोवेरा के गुद्दे का लेप शरीर में लगाने की सलाह दी. इससे बुखार कम हो जाता है.

patna
आयुर्वेदिक औषधियां

डेंगू से बचाव के घरेलु नुस्खे
प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद का दावा है कि डेंगू से लेकर स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया जैसी सभी बीमारियों का आयुर्वेद में बेहतर इलाज है. डेंगू को लेकर उन्होंने कहा कि डेंगू से बचाव के लिए सरसों के तेल में कपूर डालकर या नीम के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए. वहीं, तुलसी के पत्ते और लौंग के पानी का प्रयोग डेंगू से बचाव और इसके इलाज दोनों में कारगर है. डेगू के मरीजों को तुलसी के पत्ते के अलावा गिलोय के पत्ते, पपीते के पत्ते का काढ़ा भी बनाकर पिलाया जाता है. साथ ही, धूप यानी हुमाद की लकड़ी को जलाकर इसका इस्तेमाल घरों में मच्छर भगाने के लिए किया जाता है.

आयुर्वेदिक चिकित्सक ने किया दावा

डेंगू का कहर
पटना सहित पूरे बिहार में इन दिनों डेंगू ने कहर बरपाया हुआ है. डेंगू के मरीजों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अस्पतालों में लोगों के लिए बिस्तर कम पड़ रहे हैं. अब तक पीएमसीएच के वायरोलॉजी लैब में 2500 से ज्यादा डेंगू के मरीजों की पहचान हुई है. इसके अलावा, प्राइवेट अस्पतालों में भी डेंगू के मरीज भड़े हुए हैं.

patna
मरीजों को देखते आयुर्वेदिक प्राचार्य

पटना: राजधानी के आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक ने डेंगू के इलाज में आयुर्वेद का इस्तेमाल करने के लिए जागरुकता अभियान चलाया. आयुर्वेदिक चिकित्सक का दावा है कि डेंगू के इलाज में आयुर्वेद काफी हद तक कारगर है. डेंगू के अलावा अन्य बुखार, पेट की गड़बड़ी, उल्टी, दस्त और लीवर की समस्या आदि कई बीमारियों में भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी बहुत कारगर है.

डेंगू के इलाज के आयुर्वेदिक तरीके
डेंगू के बढ़ते कहर को देखते हुए आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल ने डेंगू से बचाव के आयुर्वेदिक तरीके साझा किए हैं. अस्पताल के प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद ने कहा है कि जड़ी-बूटियों से डेंगू का इलाज संभव है. गिलोय, एलोवेरा, पपीते का पत्ता, तुलसी का पत्ता और अनार के जूस के सेवन से डेंगू से निजात पाया जा सकता है. प्राचार्य ने दिन में 3-4 बार इन चारों को मिलाकर 50 ग्राम जूस का सेवन की सलाह दी. इससे प्लेटलेट्स की घटती संख्या को रोकने में मदद मिलती है. ज्यादा बुखार की स्थिति में उन्होंने एलोवेरा के गुद्दे का लेप शरीर में लगाने की सलाह दी. इससे बुखार कम हो जाता है.

patna
आयुर्वेदिक औषधियां

डेंगू से बचाव के घरेलु नुस्खे
प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद का दावा है कि डेंगू से लेकर स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया जैसी सभी बीमारियों का आयुर्वेद में बेहतर इलाज है. डेंगू को लेकर उन्होंने कहा कि डेंगू से बचाव के लिए सरसों के तेल में कपूर डालकर या नीम के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए. वहीं, तुलसी के पत्ते और लौंग के पानी का प्रयोग डेंगू से बचाव और इसके इलाज दोनों में कारगर है. डेगू के मरीजों को तुलसी के पत्ते के अलावा गिलोय के पत्ते, पपीते के पत्ते का काढ़ा भी बनाकर पिलाया जाता है. साथ ही, धूप यानी हुमाद की लकड़ी को जलाकर इसका इस्तेमाल घरों में मच्छर भगाने के लिए किया जाता है.

आयुर्वेदिक चिकित्सक ने किया दावा

डेंगू का कहर
पटना सहित पूरे बिहार में इन दिनों डेंगू ने कहर बरपाया हुआ है. डेंगू के मरीजों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अस्पतालों में लोगों के लिए बिस्तर कम पड़ रहे हैं. अब तक पीएमसीएच के वायरोलॉजी लैब में 2500 से ज्यादा डेंगू के मरीजों की पहचान हुई है. इसके अलावा, प्राइवेट अस्पतालों में भी डेंगू के मरीज भड़े हुए हैं.

patna
मरीजों को देखते आयुर्वेदिक प्राचार्य
Intro: डेंगू के इलाज में आयुर्वेद है संजीवनी,
डेंगू के इलाज में आयुर्वेदिक के हैं कई उपाय,
राजधानी पटना में डेंगू ले रहा है महामारी का रूप, डेंगू के डंक से राजधानीवासी हैं खौफजदा


Body:राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में इन दिनों डेंगू ने कहर बरपा रखा है, जहां अस्पतालों में लोगों के लिए बिस्तर कम पड़ रहे हैं, अब तक पीएमसीएच के वायरोलॉजी लैब में 2500 से ज्यादा मरीज की पहचान हो चुकी हैं, वहीं प्राइवेट अस्पतालों में भी डेंगू के मरीज भरे पड़े हैं, ऐसे में डेंगू के इलाज के लिए एलोपैथी से हटकर आयुर्वेद का रास्ता अपनाने को लेकर आयुर्वेदिक कॉलेज इन दिनों जागरूकता अभियान भी चला रहा है, आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने दावा किया है कि डेंगू के इलाज में आयुर्वेद काफी हद तक कारगर है, आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि जड़ी बूटियों से डेंगू का इलाज और डेंगू से मुक्ति मिल सकती है, गिलोय, एलोवेरा, पपीते के पत्ते, तुलसी के पत्ते, अनार का जूस पीने से डेंगू से मुक्ति मिल सकती हैं, हर 4 घंटे या दिन में तीन चार बार इन चारों का 50 ग्राम जूस पीने की राय दी है उन्होंने कहा कि प्लेटलेट्स का घटती संख्या को रोकने में मदद मिलती हैं

उनका दावा है कि डेंगू, स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया इन सभी बीमारियों का आयुर्वेद में बेहतर इलाज है एलोपैथी में डेंगू का कोई इलाज नहीं है


डॉक्टरों की माने तो डेंगू हो जाने पर शरीर में 1 मिलीलीटर खून में 30- 40, हजार प्लेटलेट्स होते हैं, इतनी प्लेटलेट्स रोजाना मरते हैं और बनते ही रहते हैं, डेंगू में शरीर का काम आंशिक रूप से बंद हो जाता है, जिसके कारण प्लेटलेट्स का बनने की गति धीमी हो जाती है, ऐसे में डॉक्टर मरीज के शरीर में पानी की सप्लाई बनाए रखते हैं, और ब्लड प्रेशर देखते हैं, उनकी कोशिश होती है कि शरीर में यूनिटी बढे और मरीज का शरीर जल्द ही ठीक हो

डेंगू के कारणों में प्लेटलेट्स का कम होना, बुखार होना, पेट की गड़बड़, उल्टी और दस्त और लीवर का काम ठीक नहीं होने जैसे कई कारणों को जड़ी बूटियों ठीक करता है


Conclusion:आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य डॉ दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि डेंगू से पीड़ित मरीजों को सबसे पहले सरसों का तेल लगाया जाता है, तुलसी के पत्ते, गिलोय के पत्ते, पपीते के पत्ते का काढ़ा बनाकर भी उसे पिलाया जाता है जबकि गेहूं एवं जौ के अलावा धूप यानी हुमाद कि लकडी जलाकर घरों में मच्छर भगाए जा सकते हैं


बाईट:--डॉ दिनेश्वर प्रसाद, प्राचार्य, आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल, पटना
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.