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अश्विनी चौबे ने किया सदानंद सिंह को याद, कहा- वे बिहार की राजनीति के स्तंभ थे - Sadanand Singh was pillar of Bihar politics

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे (Union Minister Ashwini Choubey) ने सदानंद सिंह (Congress leader Sadanand Singh) को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका जाना मेरे लिए पारिवारिक नुकसान है, क्योंकि हम लोगों का परिवारिक रिश्ता रहा है. दूसरे दल में होने के बावजूद हम दोनों में कभी भी टकराव की स्थिति पैदा नहीं हुई.

अश्विनी चौबे ने किया सदानंद सिंह को याद
अश्विनी चौबे ने किया सदानंद सिंह को याद
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Published : Sep 8, 2021, 3:12 PM IST

पटना: कांग्रेस नेता सदानंद सिंह (Congress Leader Sadanand Singh) को श्रद्धांजलि देने के लिए केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अश्विनी चौबे (Union Minister Ashwini Choubey) आज दिल्ली से पटना पहुंचे. एयरपोर्ट से वे सीधे बिहार विधानसभा गए, जहां सदानंद सिंह को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान चौबे ने कहा कि उन्होंने हमेशा संयमित जीवन जिया. हर किसी का उन्होंने पूरा सम्मान किया.

ये भी पढ़ें: सदानंद सिंह के निधन पर बिहार में शोक, राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि भागलपुर का कहलगांव तो मेरा ननिहाल है. इसलिए भी उनके साथ मेरा परिवारिक रिश्ता रहा है. उन्होंने कहा कि सदानंद सिंह का जाना बिहार की राजनीति के लिए बड़ी क्षति है, वे राजनीति के स्तंभ थे.

अश्विनी चौबे से बातचीत

अश्विनी चौबे ने कहा कि हम दोनों अलग-अलग दल में जरूर थे, लेकिन कभी टकराव वाली राजनीत नहीं हुई. एक-दूसरे के विचार के जरूर विरोधी रहे, लेकिन प्रेम और सम्मान में कभी कोई कमी नहीं आई.

ये भी पढ़ें: अब सिर्फ यादों में सदानंद सिंह, 1 सीट से 9 बार चुनाव जीतकर बनाया था रिकॉर्ड

सदानंद सिंह के निधन से बिहार में शोक की लहर है. न केवल कांग्रेस में, बल्कि सभी दलों में उनके चाहने वाले लोग थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी काफी नजदीकियां थी. यहां तक कि बीजेपी में भी कई नेता उनके व्यवहार कुशल होने की बात कहते हैं. सदानंद सिंह ने 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था, वे 9 बार विधायक रहे थे.

सदानंद 1969 में पहली बार विधायक बने थे. उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया था. इसके बाद से लगातार सदन में कहलगांव की जनता का प्रतिनिधित्व करते रहे. 1985 में कांग्रेस ने टिकट काट दिया तो वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर गए और जीत पाई. 1977 की कांग्रेस विरोधी लहर में भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे. सदानंद 2000 से 2005 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे.

पटना: कांग्रेस नेता सदानंद सिंह (Congress Leader Sadanand Singh) को श्रद्धांजलि देने के लिए केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अश्विनी चौबे (Union Minister Ashwini Choubey) आज दिल्ली से पटना पहुंचे. एयरपोर्ट से वे सीधे बिहार विधानसभा गए, जहां सदानंद सिंह को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान चौबे ने कहा कि उन्होंने हमेशा संयमित जीवन जिया. हर किसी का उन्होंने पूरा सम्मान किया.

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ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि भागलपुर का कहलगांव तो मेरा ननिहाल है. इसलिए भी उनके साथ मेरा परिवारिक रिश्ता रहा है. उन्होंने कहा कि सदानंद सिंह का जाना बिहार की राजनीति के लिए बड़ी क्षति है, वे राजनीति के स्तंभ थे.

अश्विनी चौबे से बातचीत

अश्विनी चौबे ने कहा कि हम दोनों अलग-अलग दल में जरूर थे, लेकिन कभी टकराव वाली राजनीत नहीं हुई. एक-दूसरे के विचार के जरूर विरोधी रहे, लेकिन प्रेम और सम्मान में कभी कोई कमी नहीं आई.

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सदानंद सिंह के निधन से बिहार में शोक की लहर है. न केवल कांग्रेस में, बल्कि सभी दलों में उनके चाहने वाले लोग थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी काफी नजदीकियां थी. यहां तक कि बीजेपी में भी कई नेता उनके व्यवहार कुशल होने की बात कहते हैं. सदानंद सिंह ने 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था, वे 9 बार विधायक रहे थे.

सदानंद 1969 में पहली बार विधायक बने थे. उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया था. इसके बाद से लगातार सदन में कहलगांव की जनता का प्रतिनिधित्व करते रहे. 1985 में कांग्रेस ने टिकट काट दिया तो वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर गए और जीत पाई. 1977 की कांग्रेस विरोधी लहर में भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे. सदानंद 2000 से 2005 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे.

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