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भारत-नेपाल करार में अरुण कोसी पनबिजली परियोजना से बिहार को होगा लाभ

भारत-नेपाल समझौते के तहत नेपाल के अरुण कोसी पर पनबिजली इकाई बनने से बिहार को बाढ़ समस्या से राहत मिलेगी. भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश के संयुक्त उपक्रम एसजेवीएन लिमिटेड ने नेपाल के हिस्से में अरूण कोसी में विभिन्न चरणों में 2059 मेगावट की पनबिजली परियोजनाओं (Hydroelectric Projects of 2059 MW) के निर्माण से करार किया है. पढ़ें पूरी खबर..

कोसी पनबिजली परियोजना
कोसी पनबिजली परियोजना
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Published : May 18, 2022, 11:08 PM IST

पटना: भारत-नेपाल समझौते के तहत नेपाल के अरुण कोसी पर पनबिजली इकाई (Arun Kosi Hydroelectric Project in Indo Nepal Agreement) बनने से बिहार को बाढ़ समस्या से कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद जगी है. कहा तो जा रहा है कि इससे बिहार को सस्ती बिजली मिलने का रास्ता भी साफ हुआ है. भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश के संयुक्त उपक्रम एसजेवीएन लिमिटेड ने नेपाल के हिस्से में अरूण कोसी में विभिन्न चरणों में 2059 मेगावट की पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण से करार किया है. कहा जा रहा है कि इस योजना से उत्तर बिहार को कोसी नदी के कारण आने वाली बाढ़ से काफी हद तक निदान मिलेगा.

पढ़ें-सुपौल में CM नीतीश, निर्माणाधीन फिजिकल मॉडलिंग सेंटर व कोसी तटबंध का किया निरीक्षण

मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव बोलेः बिहार के उर्जा और योजना एवं विकास विभाग के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव भी कहते हैं कि अरूण कोसी पर पनबिजली इकाई बनने से बिहार को बिजली मिलेगी तथा कोसी की पानी को भी नियंत्रण किया जा सकेगा. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इससे कोसी इलाके सहित उत्तर बिहार के कई जिलों को लाभ हो सकेगा. कोसी में प्रत्येक वर्ष बाढ़ आती है, जिससे सुपौल, सहरसा, खगड़िया, कटिहार, अररिया, मधेपुरा, पूर्णिया, भागलपुर जिले प्रभावित होते हैं. वीरपुर में बराज के माध्यम से इसके पानी को नियंत्रित किया जाता है. लेकिन, बारिश के दिनों में जलस्तर में वृद्धि होने के बाद इन्हें रोकना मुश्किल होता है.

बताया जाात है कि सात विभिन्न धाराओं से निर्मित होने वाली कोसी नदी में सर्वाधिक पानी अरुण कोसी से ही आता है. तकरीबन 40 फीसदी पानी अरुण कोसी का है. इसके कारण कोसी की क्षमता काफी बढ़ जाती है. खासकर मानसून के समय कोसी में अत्यधिक पानी का कारण अरुण कोसी ही माना जाता है. कहा जा रहा है कि नेपाल में अरुण पनबिजली प्रोजेक्ट से पानी के निर्बाध बहाव पर रोक लगेगा. बांध बनाकर पानी से पनबिजली पैदा होगी.

कोसी नदी बचाओ अभियान के संयोजक और पयार्वारणविद भगवान पाठक कहते हैं कि सात धाराओं से मिलकर सप्तकोसी नदी बनती है, जिसे स्थानीय रूप से कोसी कहा जाता है. अरुण, तमूर, लिखु, दूधकोसी, तामाकोसी, सनकोसी, इंद्रावती इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं. इनमें अरुण में सबसे अधिक पानी है, जो लगभग 40 फीसदी है.

''बराह क्षेत्र में यह तराई क्षेत्र में प्रवेश करती है और इसके बाद से इसे कोसी कहा जाता है. इसकी सहायक नदियां एवरेस्ट के चारों ओर से आकर मिलती हैं. परियोजना को लेकर अभी जो बात कही जा रही है, उसमें अभी संदेह है. कोसी को बांधने के लिए ही तटबंध का निर्माण भी किया गया था, लेकिन क्या बाढ़ रूक गई. परियोजना की पूरी जानकारी के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.'' - भगवान पाठक, संयोजक, कोसी नदी बचाओ अभियान

पढ़ें- स्मार्ट प्रीपेड मीटर में बिहार अव्वल, बोले ऊर्जा मंत्री - अच्छे काम के लिए मिलेगा रिवार्ड

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पटना: भारत-नेपाल समझौते के तहत नेपाल के अरुण कोसी पर पनबिजली इकाई (Arun Kosi Hydroelectric Project in Indo Nepal Agreement) बनने से बिहार को बाढ़ समस्या से कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद जगी है. कहा तो जा रहा है कि इससे बिहार को सस्ती बिजली मिलने का रास्ता भी साफ हुआ है. भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश के संयुक्त उपक्रम एसजेवीएन लिमिटेड ने नेपाल के हिस्से में अरूण कोसी में विभिन्न चरणों में 2059 मेगावट की पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण से करार किया है. कहा जा रहा है कि इस योजना से उत्तर बिहार को कोसी नदी के कारण आने वाली बाढ़ से काफी हद तक निदान मिलेगा.

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मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव बोलेः बिहार के उर्जा और योजना एवं विकास विभाग के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव भी कहते हैं कि अरूण कोसी पर पनबिजली इकाई बनने से बिहार को बिजली मिलेगी तथा कोसी की पानी को भी नियंत्रण किया जा सकेगा. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इससे कोसी इलाके सहित उत्तर बिहार के कई जिलों को लाभ हो सकेगा. कोसी में प्रत्येक वर्ष बाढ़ आती है, जिससे सुपौल, सहरसा, खगड़िया, कटिहार, अररिया, मधेपुरा, पूर्णिया, भागलपुर जिले प्रभावित होते हैं. वीरपुर में बराज के माध्यम से इसके पानी को नियंत्रित किया जाता है. लेकिन, बारिश के दिनों में जलस्तर में वृद्धि होने के बाद इन्हें रोकना मुश्किल होता है.

बताया जाात है कि सात विभिन्न धाराओं से निर्मित होने वाली कोसी नदी में सर्वाधिक पानी अरुण कोसी से ही आता है. तकरीबन 40 फीसदी पानी अरुण कोसी का है. इसके कारण कोसी की क्षमता काफी बढ़ जाती है. खासकर मानसून के समय कोसी में अत्यधिक पानी का कारण अरुण कोसी ही माना जाता है. कहा जा रहा है कि नेपाल में अरुण पनबिजली प्रोजेक्ट से पानी के निर्बाध बहाव पर रोक लगेगा. बांध बनाकर पानी से पनबिजली पैदा होगी.

कोसी नदी बचाओ अभियान के संयोजक और पयार्वारणविद भगवान पाठक कहते हैं कि सात धाराओं से मिलकर सप्तकोसी नदी बनती है, जिसे स्थानीय रूप से कोसी कहा जाता है. अरुण, तमूर, लिखु, दूधकोसी, तामाकोसी, सनकोसी, इंद्रावती इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं. इनमें अरुण में सबसे अधिक पानी है, जो लगभग 40 फीसदी है.

''बराह क्षेत्र में यह तराई क्षेत्र में प्रवेश करती है और इसके बाद से इसे कोसी कहा जाता है. इसकी सहायक नदियां एवरेस्ट के चारों ओर से आकर मिलती हैं. परियोजना को लेकर अभी जो बात कही जा रही है, उसमें अभी संदेह है. कोसी को बांधने के लिए ही तटबंध का निर्माण भी किया गया था, लेकिन क्या बाढ़ रूक गई. परियोजना की पूरी जानकारी के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.'' - भगवान पाठक, संयोजक, कोसी नदी बचाओ अभियान

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