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बिहार में पहली बार तीरंदाजी चैंपियनशिप, प्रतियोगिता आज से शुरू, 199 खिलाड़ी ले रहे हिस्सा

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Published : Aug 12, 2022, 11:19 AM IST

बिहार में पहली बार तीरंदाजी चैंपियनशिप का आयोजन हो रहा है. तीन दिवसीय archery competition में राज्य के विभिन्न जिलों के खिलाड़ी शामिल होंगे. पढ़ें पूरी खबर.

रविन्द्रन शंकरन
रविन्द्रन शंकरन

पटना: बिहार में तीरंदाजी को बढ़ावा देने के लिए पहली बार तीन दिवसीय तीरंदाजी प्रतियोगिता (archery competition) का आयोजन हो रहा है. 12 से 14 अगस्त तक तीन दिवसीय तीरंदाजी चैंपियनशिप पटना के पाटलिपुत्र कांपलेक्स में चलेगा. राजा कर्ण तीरंदाजी चैंपियनशिप में बिहार के विभिन्न जिलों से 199 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. इसमें कुछ राष्ट्रीय स्तर के तीरंदाज खिलाड़ी हैं. इसमें लगभग तो ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने आज तक तीर धनुष को पकड़ा नहीं है, उनको भी इसमें मौका दिया जा रहा है.

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नेशनल गेम्स के लिए तीरंदाज तैयार करना लक्ष्यः इस तीरंदाजी प्रतियोगिता में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के भी खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण (Bihar State Sports Authority) के डीजी रविन्द्रन शंकरन ने कहा कि जब बिहार और झारखंड जब एक राज्य हुआ करता था तो ऐसे कार्यक्रम 1996- 1997 तक हुए थे. उसके बाद 26 साल बाद यह आयोजन बिहार में किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि खेल प्राधिकरण की तरफ से तीरंदाजी के खिलाड़ियों के लिए यह मौका दिया गया है. इस चैंपियनशिप से खिलाड़ियों का चयन होगा. अगले माह सितंबर में गुजरात में होने वाले नेशनल गेम्स के लिए बिहार के तीरंदाजों को तैयार करना ही राजा कर्ण तीरंदाजी प्रतियोगिता का उद्देश्य है. इसलिए खेल प्राधिकरण ने यह आयोजन किया है. उन्होंने बताया कि बिहार भभुआ के रहने वाले संजीव कुमार सिंह इन बच्चों को लेकर अलग से कैंप कराएंगे और प्रशिक्षण देंगे.

राजा कर्ण के नाम पर प्रतियोगिता का रखा नामः इस चैंपियनशिप के नाम पर चर्चा करते हुए डीजी ने बताया कि प्रतियोगिता का नाम राजा कर्ण के नाम पर रखा गया है. इसके पीछे भी कारण यह है कि महाभारत में अर्जुन सबसे अच्छे तीरंदाज माने गए हैं, लेकिन अर्जुन से तीरंदाजी में हमेशा राजा कर्ण का बराबरी का मुकाबला होता था, राजा कर्ण बड़े धनुर्रधर थे, लेकिन लोग अर्जुन को ज्यादा जानते हैं. राजा कर्ण अंग देश के राजा थे. आज की तारीख में अंगदेश बिहार के भागलपुर, मुंगेर और लखीसराय है. इसलिए बिहार के इतिहास को जोड़ते हुए और राजा कर्ण को याद करने के लिहाज से इस आयोजन का नाम राजा कर्ण प्रतियोगिता रखा गया है.

''अगले माह सितंबर में गुजरात में होने वाले नेशनल गेम्स के लिए बिहार के तीरंदाजों को तैयार करना ही राजा कर्ण तीरंदाजी प्रतियोगिता का उद्देश्य है. इसलिए खेल प्राधिकरण ने यह आयोजन किया है'' -रविन्द्रन शंकरन, डीजी, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण

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पटना: बिहार में तीरंदाजी को बढ़ावा देने के लिए पहली बार तीन दिवसीय तीरंदाजी प्रतियोगिता (archery competition) का आयोजन हो रहा है. 12 से 14 अगस्त तक तीन दिवसीय तीरंदाजी चैंपियनशिप पटना के पाटलिपुत्र कांपलेक्स में चलेगा. राजा कर्ण तीरंदाजी चैंपियनशिप में बिहार के विभिन्न जिलों से 199 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. इसमें कुछ राष्ट्रीय स्तर के तीरंदाज खिलाड़ी हैं. इसमें लगभग तो ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने आज तक तीर धनुष को पकड़ा नहीं है, उनको भी इसमें मौका दिया जा रहा है.

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नेशनल गेम्स के लिए तीरंदाज तैयार करना लक्ष्यः इस तीरंदाजी प्रतियोगिता में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के भी खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण (Bihar State Sports Authority) के डीजी रविन्द्रन शंकरन ने कहा कि जब बिहार और झारखंड जब एक राज्य हुआ करता था तो ऐसे कार्यक्रम 1996- 1997 तक हुए थे. उसके बाद 26 साल बाद यह आयोजन बिहार में किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि खेल प्राधिकरण की तरफ से तीरंदाजी के खिलाड़ियों के लिए यह मौका दिया गया है. इस चैंपियनशिप से खिलाड़ियों का चयन होगा. अगले माह सितंबर में गुजरात में होने वाले नेशनल गेम्स के लिए बिहार के तीरंदाजों को तैयार करना ही राजा कर्ण तीरंदाजी प्रतियोगिता का उद्देश्य है. इसलिए खेल प्राधिकरण ने यह आयोजन किया है. उन्होंने बताया कि बिहार भभुआ के रहने वाले संजीव कुमार सिंह इन बच्चों को लेकर अलग से कैंप कराएंगे और प्रशिक्षण देंगे.

राजा कर्ण के नाम पर प्रतियोगिता का रखा नामः इस चैंपियनशिप के नाम पर चर्चा करते हुए डीजी ने बताया कि प्रतियोगिता का नाम राजा कर्ण के नाम पर रखा गया है. इसके पीछे भी कारण यह है कि महाभारत में अर्जुन सबसे अच्छे तीरंदाज माने गए हैं, लेकिन अर्जुन से तीरंदाजी में हमेशा राजा कर्ण का बराबरी का मुकाबला होता था, राजा कर्ण बड़े धनुर्रधर थे, लेकिन लोग अर्जुन को ज्यादा जानते हैं. राजा कर्ण अंग देश के राजा थे. आज की तारीख में अंगदेश बिहार के भागलपुर, मुंगेर और लखीसराय है. इसलिए बिहार के इतिहास को जोड़ते हुए और राजा कर्ण को याद करने के लिहाज से इस आयोजन का नाम राजा कर्ण प्रतियोगिता रखा गया है.

''अगले माह सितंबर में गुजरात में होने वाले नेशनल गेम्स के लिए बिहार के तीरंदाजों को तैयार करना ही राजा कर्ण तीरंदाजी प्रतियोगिता का उद्देश्य है. इसलिए खेल प्राधिकरण ने यह आयोजन किया है'' -रविन्द्रन शंकरन, डीजी, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण

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