पटना: राजद के बाहुबली विधायक अनंत सिंह (RJD Bahubali MLA Anant Singh) को उनके घर से एके-47 बरामदगी मामले में न्यायालय द्वारा उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई है. ऐसे में नियम के तहत 2 साल या उससे ज्यादा किसी भी जनप्रतिनिधि को सजा होती है तो उसकी विधायकी खत्म होने का प्रवधान है. ऐसे में 12 दिन बीत जाने के बावजूद भी अब तक के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की विधायकी अब तक समाप्त नहीं हुई है. हालांकि जेल में बंद बाहुबली विधायक को विधायक वाली मिलने वाली सुविधा को खत्म कर दिया गया है. आपको बता दें कि किसी भी विधायक को मिली सजा के बाद विधानसभा अध्यक्ष को विशेषाधिकार होता है कि वह उसकी सदस्यता को खत्म कर सकते हैं.
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अनंत सिंह की विधायकी अब तक बरकरार : अनंत सिंह के विधायक सुनील सिंह के मुताबिक न्यायालय के आर्डर डीएम को जाता है और डीएम के माध्यम से विधानसभा क्षेत्र के पास उनकी सजा की कॉपी जाती है. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि सदस्यता खत्म करने की कोई तय अवधि नहीं होती है. उन्होंने बताया कि बिना विधायकी खत्म किए हुए हैं. जेलों में उनकी सुविधाओं को खत्म कर दिया गया है. यह कहीं से भी सही नहीं है.
क्या कहते हैं अनंत सिंह के वकील: बाहुबली विधायक अनंत सिंह के वकील सुनील सिंह ने कहा कि- 'उन्हें झूठा केस में फंसाया गया है, हालांकि न्यायालय द्वारा उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई है, जिसके तहत उनकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी. परंतु उनके फैसले के खिलाफ हम लोग हाईकोर्ट मैं चैलेंज (Anant Singh Will Appeal Against His Sentence) करेंगे. ज्यादातर मामलों में हाई कोर्ट ऐसे मामलों में स्टे नहीं देता है. जिस वजह से यह माना जा रहा है कि उनकी सदस्यता नहीं रहेगी. निचली अदालत के फैसले के बाद हाई कोर्ट में अपील के लिए 60 दिन का मौका उन्हें मिला है, पेपर वर्क की तैयारी वह कर रहे हैं. जल्दी हाईकोर्ट में अपील दायर किया जाएगी'.
'सुप्रीम कोर्ट ने वकील लिली थॉमस और गैरसरकारी संगठन लोक प्रहरी के सचिव एस.एन. शुक्ला की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया था. जिसमें जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) को निरस्त करने का अनुरोध करते हुए कहा गया था कि इस प्रावधान से संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन होता है. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) से रद्द हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर तत्काल प्रभाव से लागू होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) को 2013 में निरस्त कर दिया था. हालांकि, कोर्ट ने इन दागी प्रत्याशियों को एक राहत जरूर दी है. सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला इनके पक्ष में आएगा तो इनका सदस्यता स्वत: ही वापस हो जाएगी.' - आलोक चौबे, पटना हाई कोर्ट के वकील
जनप्रतिनिधि को मिली सजा तो क्या है प्रावधान : सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बावजूद सांसदों, विधायकों को संरक्षण प्रदान करने वाले कानूनी प्रावधान निरस्त कर दिया था. कोर्ट ने दोषी निर्वाचित प्रतिनिधि की अपील लंबित होने तक उसे पद पर बने रहने की अनुमति देने वाले जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान को गैरकानूनी करार दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक, कैद में रहते हुए किसी नेता को वोट देने का अधिकार भी नहीं होगा और न ही वे चुनाव लड़ सकेंगे. फैसले के मुताबिक, जेल जाने के बाद उन्हें नामांकन करने का अधिकार नहीं होगा. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद यह ऐतिहासिक फैसला दिया था. कोर्ट ने पार्टियों के सामने आपराधिक चरित्र के नेताओं को खड़ा करने का अब कोई भी विकल्प नहीं छोड़ा है. इस फैसले में कोर्ट ने फैसले को चुनौती देने की भी गुंजाइश नहीं छोड़ी है.
अनंत सिंह को मिली है दस साल की सजा : पटना जिले के मोकामा विधानसभा क्षेत्र से बाहुबली विधायक अनंत सिंह के पैतृक गांव नदमा स्थित उनके पुस्तैनी घर पर 16 अगस्त 2019 को हुए छापेमारी के दौरान पुलिस ने एक एके-47 राइफल, हैंड ग्रेनेड और कारतूस आदि बरामद किये थे. करीब 11 घंटे तक चले सर्च ऑपरेशन में अनंत सिंह के पैतृक आवास से AK-47 के साथ ही हैंड ग्रेनेड, 26 राउंड गोली और एक मैगजीन बरामद किया गया था. जिसके बाद उनके खिलाफ वारंट जारी हुआ और उन्होंने दिल्ली के साकेत कोर्ट में सरेंडर किया था. इस मामले में करीब 3 सालों तक ट्रायल चलने के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने अनंत सिंह को दोषी ठहराया और दस साल की सजा सुनाई. इसके साथ ही कोर्ट ने मोकामा विधायक के नौकर रहे सुनील राम को भी 10 साल की सजा सुनाई है.
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