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अमर को सलाम: बांस के घेरे बनाकर परिवार का खर्च और भाइयों की पढ़ाई का उठाया जिम्मा - बांस के घेरे बनाकर परिवार का खर्च और भाइयों की पढ़ाई का उठाया जिम्मा

अमर के बुजुर्ग पिता किसानी करते हैं लेकिन उससे घर भी नहीं चल पाता है. इसलिए उनकी और उनके भाइयों की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. जिस कारण उन्हें घर छोड़कर नवादा आना पड़ा. यहां वो बांस के घेरे बनाने की ठेकेदारी का काम कर रहे हैं.

बांस के घेरे को बनाया रोजगार का साधन
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Published : Aug 14, 2019, 12:01 AM IST

नवादा: 'जानें कितनी उड़ान बाकी है, इस परिंदे में अभी जान बाकी है' ये कहावत जिले के अमर कुमार पर बिल्कुल फिट बैठती है. बता दें कि लखीसराय निवासी अमर ने बांस के घेरे को रोजगार का साधन बना लिया है. वहीं, परिवार का खर्चा चलाने के साथ ही अमर 5 अन्य परिवारों को भी रोजगार दे रहे हैं. वह खुद भी पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं, 2 सगे भाइयों की पढ़ाई का बोझ भी उन्होंने अपने कंधो पर उठा रखा है.

Nawada
अमर कुमार

घर छोड़ने को हुए मजबूर
लखीसराय निवासी अमर कुमार के पिता पेशे से किसान हैं. तीन भाइयों में अमन दूसरे नंबर पर हैं. अमर बताते हैं कि उनके घर की आर्थिक स्थिती ठीक नहीं है. बुजुर्ग पिता खेती-बारी करते हैं लेकिन उससे घर नहीं चल पाता है. इसलिए उनकी और उनके भाइयों की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. जिस कारण उन्हें घर छोड़कर नवादा आना पड़ा. यहां वो बांस के घेरे बनाने की ठेकेदारी का काम कर रहे हैं. वहीं, उन्होंने पांच अन्य लोगों को अपने काम में रख रखा है.

बांस के घेरे को बनाया रोजगार का साधन

हिम्मत नहीं हारी
अमर बताते हैं कि घर की विकट परिस्थतियों को देखते हुए भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. रोजगार न मिलने के कारण मजबूरन उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा. वहीं, अमर अब नवादा में रहकर काम करके बचाए गए पैसों से बीए की पढ़ाई कर रहे हैं. अमर बताते हैं कि ऐसे ही छोटे-छोटे काम करके वह खुद की पढ़ाई और घर का खर्चा चलाते हैं. इसके साथ ही वह अपने बड़े भाई और छोटे भाई की पढ़ाई का खर्चा भी खुद ही उठा रहे हैं.

Nawada
बांस के घेरे

भाई को बनाएंगे इंजीनियर
अमर के बड़े भाई पुरूषोत्तम स्नातक के छात्र हैं. जिनकी पढ़ाई का खर्चा भी उन्हीं के जिम्मे हैं. वहीं, छोटा भाई पंकज रोहतक के यूआईईटी से इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है. हालांकि अमर कैमरे के सामने ज्यादा कुछ नहीं बोल पाए लेकिन उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि बड़े भाई की पढ़ाई अब पूरी होने वाली है. वह भी पढ़कर आगे कुछ अच्छा बनना चाहते हैं. वहीं, छोटे भाई को पढ़ाकर इंजीनियर बनाना उनका सपना है. जिसे वो पूरा करके ही मानेंगे.

नवादा: 'जानें कितनी उड़ान बाकी है, इस परिंदे में अभी जान बाकी है' ये कहावत जिले के अमर कुमार पर बिल्कुल फिट बैठती है. बता दें कि लखीसराय निवासी अमर ने बांस के घेरे को रोजगार का साधन बना लिया है. वहीं, परिवार का खर्चा चलाने के साथ ही अमर 5 अन्य परिवारों को भी रोजगार दे रहे हैं. वह खुद भी पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं, 2 सगे भाइयों की पढ़ाई का बोझ भी उन्होंने अपने कंधो पर उठा रखा है.

Nawada
अमर कुमार

घर छोड़ने को हुए मजबूर
लखीसराय निवासी अमर कुमार के पिता पेशे से किसान हैं. तीन भाइयों में अमन दूसरे नंबर पर हैं. अमर बताते हैं कि उनके घर की आर्थिक स्थिती ठीक नहीं है. बुजुर्ग पिता खेती-बारी करते हैं लेकिन उससे घर नहीं चल पाता है. इसलिए उनकी और उनके भाइयों की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. जिस कारण उन्हें घर छोड़कर नवादा आना पड़ा. यहां वो बांस के घेरे बनाने की ठेकेदारी का काम कर रहे हैं. वहीं, उन्होंने पांच अन्य लोगों को अपने काम में रख रखा है.

बांस के घेरे को बनाया रोजगार का साधन

हिम्मत नहीं हारी
अमर बताते हैं कि घर की विकट परिस्थतियों को देखते हुए भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. रोजगार न मिलने के कारण मजबूरन उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा. वहीं, अमर अब नवादा में रहकर काम करके बचाए गए पैसों से बीए की पढ़ाई कर रहे हैं. अमर बताते हैं कि ऐसे ही छोटे-छोटे काम करके वह खुद की पढ़ाई और घर का खर्चा चलाते हैं. इसके साथ ही वह अपने बड़े भाई और छोटे भाई की पढ़ाई का खर्चा भी खुद ही उठा रहे हैं.

Nawada
बांस के घेरे

भाई को बनाएंगे इंजीनियर
अमर के बड़े भाई पुरूषोत्तम स्नातक के छात्र हैं. जिनकी पढ़ाई का खर्चा भी उन्हीं के जिम्मे हैं. वहीं, छोटा भाई पंकज रोहतक के यूआईईटी से इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है. हालांकि अमर कैमरे के सामने ज्यादा कुछ नहीं बोल पाए लेकिन उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि बड़े भाई की पढ़ाई अब पूरी होने वाली है. वह भी पढ़कर आगे कुछ अच्छा बनना चाहते हैं. वहीं, छोटे भाई को पढ़ाकर इंजीनियर बनाना उनका सपना है. जिसे वो पूरा करके ही मानेंगे.

Intro:नवादा। ग्लोबलवार्निंग का संकेत पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ को दर्शाता है यही वजह है बेमौसम बरसात, सुखाड़, प्रचंड गर्मी और आसमानी आफ़त धरती पर प्रहार करते नज़र आ रहे हैं।पर्यावरण खतरे में है। इन्हीं खतरों से निपटने के लिए सरकार की ओर से वृक्षारोपण का अभियान जोरशोर से चल रहा है। जाहिर सी बात है अगर पौधे को बचाना है तो उसे घेराबंदी करना होगा। इसकी जरूरत को देखते हुए बांस का घेराबंदी जोरशोर से बनाया जा रहा है। बांस के बने घेराबंदी से न सिर्फ पौधा संरक्षित हो रहा है बल्कि एक मजबूर छात्र के पढ़ाई का माध्यम भी बना हुआ हैं।


Body:जी हां, हम बात कर रहे हैं मुंगेर के उस अमर की जिसने अपनी पढ़ाई के लिए नवादा में बांस के घेरे बनाने के का काम चुना है। पढ़ाई में पैसे कम पड़ा तो बांस का घेरेबंदी का ठेकेदारी ले लिया। उसका कहना है इससे जो भी उसे आमदनी होगी उससे अपनी आगे का पढ़ाई करेगा। हालांकि अमर दो महीने के बाद क्या होगा इसके बारे में कुछ नहीं बोल पाया लेकिन उसके गमगीन आंखे सबकुछ बयां कर रही थी।

जिले में 6 लाख पौधे लगाने का है लक्ष्य

जिले में नवादा वन प्रमंडल और मनरेगा के माध्यम से करीब छह लाख से अधिक वृक्षारोपण किया जाना है जिनमें सिर्फ पांच लाख तो वन विभाग को करना है। जिसे 15 अगस्त तक कर लेना है।

दर्जनों परिवारों को मिला अस्थायी रोजगार

बांस के घेराबंदी का काम अब और मुश्किल से दो महीने चलने है लेकिन तब तक इससे जुड़कर दर्जनों परिवार अस्थायी रोजगार से अपने परिवार को चला सकता है। इसमें महादलित परिवार के भी कई महिला-पुरुष काम कर अपना परिवार चला रहा है।

बाइट- अमर कुमार, कॉन्ट्रेक्टर
बाइट- लक्ष्मी, मजदूर






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