नवादा: 'जानें कितनी उड़ान बाकी है, इस परिंदे में अभी जान बाकी है' ये कहावत जिले के अमर कुमार पर बिल्कुल फिट बैठती है. बता दें कि लखीसराय निवासी अमर ने बांस के घेरे को रोजगार का साधन बना लिया है. वहीं, परिवार का खर्चा चलाने के साथ ही अमर 5 अन्य परिवारों को भी रोजगार दे रहे हैं. वह खुद भी पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं, 2 सगे भाइयों की पढ़ाई का बोझ भी उन्होंने अपने कंधो पर उठा रखा है.
घर छोड़ने को हुए मजबूर
लखीसराय निवासी अमर कुमार के पिता पेशे से किसान हैं. तीन भाइयों में अमन दूसरे नंबर पर हैं. अमर बताते हैं कि उनके घर की आर्थिक स्थिती ठीक नहीं है. बुजुर्ग पिता खेती-बारी करते हैं लेकिन उससे घर नहीं चल पाता है. इसलिए उनकी और उनके भाइयों की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी. जिस कारण उन्हें घर छोड़कर नवादा आना पड़ा. यहां वो बांस के घेरे बनाने की ठेकेदारी का काम कर रहे हैं. वहीं, उन्होंने पांच अन्य लोगों को अपने काम में रख रखा है.
हिम्मत नहीं हारी
अमर बताते हैं कि घर की विकट परिस्थतियों को देखते हुए भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. रोजगार न मिलने के कारण मजबूरन उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा. वहीं, अमर अब नवादा में रहकर काम करके बचाए गए पैसों से बीए की पढ़ाई कर रहे हैं. अमर बताते हैं कि ऐसे ही छोटे-छोटे काम करके वह खुद की पढ़ाई और घर का खर्चा चलाते हैं. इसके साथ ही वह अपने बड़े भाई और छोटे भाई की पढ़ाई का खर्चा भी खुद ही उठा रहे हैं.
भाई को बनाएंगे इंजीनियर
अमर के बड़े भाई पुरूषोत्तम स्नातक के छात्र हैं. जिनकी पढ़ाई का खर्चा भी उन्हीं के जिम्मे हैं. वहीं, छोटा भाई पंकज रोहतक के यूआईईटी से इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है. हालांकि अमर कैमरे के सामने ज्यादा कुछ नहीं बोल पाए लेकिन उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि बड़े भाई की पढ़ाई अब पूरी होने वाली है. वह भी पढ़कर आगे कुछ अच्छा बनना चाहते हैं. वहीं, छोटे भाई को पढ़ाकर इंजीनियर बनाना उनका सपना है. जिसे वो पूरा करके ही मानेंगे.