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प्राइवेट अस्पतालों को सरकार ने लगाई फटकार, दिए 24 घंटे के अंदर खोलने के निर्देश - all Private hospitals will be opened within 24 hours

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. सभी जिलाधिकारियाें और सिविल सर्जनों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे 24 घंटे के अंदर आदेश का पालन सुनिश्चित करें.

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Published : Apr 21, 2020, 9:16 AM IST

पटना: राज्य में कोरोना का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है. इसे देखते हुए प्राइवेट सेक्टर के अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, फार्मेसी और डायग्नोस्टिक सेंटरों ने अपने यहां सामान्य मरीजों के इलाज से लेकर जांच तक की सेवाएं बंद कर दी थी. लेकिन अब सरकार ने महामारी रेगुलेशन 2020 के तहत सभी प्राइवेट अस्पतालों, नर्सिंग होम, क्लीनिक, फार्मेसी और डायग्नोस्टिक सेंटरों को तत्काल अपने संस्थान खोलने के निर्देश दिए हैं.

प्रधान सचिव ने जारी किया आदेश
गौरतलब है कि प्राइवेट अस्पतालों में हुए अघोषित बंद की वजह से सामान्य मरीजों को काफी परेशानी हो रही थी. परेशानियों को देखते हुए सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों से सख्ती से निटपने का फैसला करते हुए इन्हें 24 घंटे के अंदर खोलने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि प्राइवेट अस्पताल, क्लीनिक और नर्सिंग होम में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर, पारा मेडिक्स, नर्सों के साथ ही अन्य तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मचारी उपस्थित रहें.

संस्थानों को दिया गया निर्देश
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा है कि संस्थान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. जाे स्टाफ हैं उन्हें पीपीई किट, मास्क, गल्व्स जैसे आवश्यक संसाधन मुहैया कराएं. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि संस्थान इंफेक्शन कंट्रोल प्रोटोकॉल का भी पालन करें. यदि किसी संस्थान में कोरोना से संबंधित कोई केस आता है तो संबंधित अस्पताल उनकी कांटेक्ट हिस्ट्री तैयार करेंगे और इसे बारे में तीन घंटे के अंदर सिविल सर्जन को सूचित करेंगे.

मरीजों की होगी स्क्रीनिंग
इस आदेश में प्राइवेट अस्पतालों को यह जिम्मेदारी भी दी गई है कि वे इंफ्लूएंजा लाइक इलनेस और सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस के मरीजों की स्क्रीनिंग भी करेंगे. प्रधान सचिव ने आदेश में साफ किया है कि जो अस्पताल आदेश मानने से इंकार करते हैं उनके ऊपर समुचित कार्रवाई की जाए.

प्राइवेट अस्पतालों को लगाई लताड़
इस महामारी में प्राइवेट अस्पतालों से सहयोग नहीं मिलने के बाद सरकार ने प्राइवेट अस्पताल प्रबंधकों को जमकर लताड़ा है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने दो अलग-अलग ट्वीट कर कहा है कि राज्य में 48 प्रतिशत अस्पताल नर्सिंग होम प्राइवेट सेक्टर में हैं. मात्र 22 फीसद अस्पताल सरकारी हैं. ओपीडी का 90 फीसद कार्य प्राइवेट सेक्टर से पूरा होता है. प्राइवेट सेक्टर के अस्पतालों का मकसद सिर्फ लाभ कमाना नहीं होना चाहिए. राज्य में कोरोना के खिलाफ सरकारी अस्पताल जंग लड़ रहे हैं और प्राइवेट अस्पताल बंद पड़े हैं. यह उचित नहीं है पर जब प्रॉफिट की बात आती है तो प्राइवेट अस्पतालों को सर्वाधिक फायदा चाहिए होता है.

पटना: राज्य में कोरोना का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है. इसे देखते हुए प्राइवेट सेक्टर के अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, फार्मेसी और डायग्नोस्टिक सेंटरों ने अपने यहां सामान्य मरीजों के इलाज से लेकर जांच तक की सेवाएं बंद कर दी थी. लेकिन अब सरकार ने महामारी रेगुलेशन 2020 के तहत सभी प्राइवेट अस्पतालों, नर्सिंग होम, क्लीनिक, फार्मेसी और डायग्नोस्टिक सेंटरों को तत्काल अपने संस्थान खोलने के निर्देश दिए हैं.

प्रधान सचिव ने जारी किया आदेश
गौरतलब है कि प्राइवेट अस्पतालों में हुए अघोषित बंद की वजह से सामान्य मरीजों को काफी परेशानी हो रही थी. परेशानियों को देखते हुए सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों से सख्ती से निटपने का फैसला करते हुए इन्हें 24 घंटे के अंदर खोलने के निर्देश दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि प्राइवेट अस्पताल, क्लीनिक और नर्सिंग होम में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर, पारा मेडिक्स, नर्सों के साथ ही अन्य तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मचारी उपस्थित रहें.

संस्थानों को दिया गया निर्देश
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा है कि संस्थान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. जाे स्टाफ हैं उन्हें पीपीई किट, मास्क, गल्व्स जैसे आवश्यक संसाधन मुहैया कराएं. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि संस्थान इंफेक्शन कंट्रोल प्रोटोकॉल का भी पालन करें. यदि किसी संस्थान में कोरोना से संबंधित कोई केस आता है तो संबंधित अस्पताल उनकी कांटेक्ट हिस्ट्री तैयार करेंगे और इसे बारे में तीन घंटे के अंदर सिविल सर्जन को सूचित करेंगे.

मरीजों की होगी स्क्रीनिंग
इस आदेश में प्राइवेट अस्पतालों को यह जिम्मेदारी भी दी गई है कि वे इंफ्लूएंजा लाइक इलनेस और सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस के मरीजों की स्क्रीनिंग भी करेंगे. प्रधान सचिव ने आदेश में साफ किया है कि जो अस्पताल आदेश मानने से इंकार करते हैं उनके ऊपर समुचित कार्रवाई की जाए.

प्राइवेट अस्पतालों को लगाई लताड़
इस महामारी में प्राइवेट अस्पतालों से सहयोग नहीं मिलने के बाद सरकार ने प्राइवेट अस्पताल प्रबंधकों को जमकर लताड़ा है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने दो अलग-अलग ट्वीट कर कहा है कि राज्य में 48 प्रतिशत अस्पताल नर्सिंग होम प्राइवेट सेक्टर में हैं. मात्र 22 फीसद अस्पताल सरकारी हैं. ओपीडी का 90 फीसद कार्य प्राइवेट सेक्टर से पूरा होता है. प्राइवेट सेक्टर के अस्पतालों का मकसद सिर्फ लाभ कमाना नहीं होना चाहिए. राज्य में कोरोना के खिलाफ सरकारी अस्पताल जंग लड़ रहे हैं और प्राइवेट अस्पताल बंद पड़े हैं. यह उचित नहीं है पर जब प्रॉफिट की बात आती है तो प्राइवेट अस्पतालों को सर्वाधिक फायदा चाहिए होता है.

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