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'शराबबंदी के लंबित मामलों को निपटाने में लगेंगे 125 साल'

पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि जिस रफ्तार से लोअर कोर्ट या हाई कोर्ट में शराबबंदी के मुकदमे सामने आ रहे हैं, कुछ सालों में हर कोर्ट में सिर्फ शराबबंदी के ही मुकदमे देखने को मिलेंगे. उनकी मानें तो शराबबंदी से जुड़े जितने मामले सामने आए हैं, उसे निपटाने में लगभग 125 साल लग जाएंगे.

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Published : Sep 20, 2019, 6:22 PM IST

Updated : Sep 21, 2019, 4:36 PM IST

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पटना: बिहार में शराबबंदी से संबंधित मुकदमों में बढ़ोत्तरी को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है. दरअसल, बिहार में मई 2017 में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था. 2 साल से अधिक का समय बीतने के बाद राज्य के विभिन्न न्यायालयों में इससे संबंधित मुकदमों की बाढ़ आ चुकी है. इसको लेकर न्यायालयों में अब तक 2 लाख 75 हजार मुकदमे लंबित पड़े हुए हैं. पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा है कि अब तक शराबबंदी से जुड़े जितने मामले सामने आए हैं, उसे निपटाने में लगभग 125 साल लग जाएंगे. इस विषय पर उन्होंने सरकार से राय मांगी है.

पटना
कानून मंत्री नरेंद्र नारायण यादव

'बिना किसी तैयारी के लागू की गई शराबबंदी'
वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि जिस रफ्तार से लोअर कोर्ट या हाई कोर्ट में शराबबंदी के मुकदमें सामने आ रहे हैं, कुछ सालों में हर कोर्ट में सिर्फ शराबबंदी के ही मुकदमे देखने को मिलेंगे. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने शराबबंदी कानून लागू करने से पहले कोई तैयारी नहीं की. न तो जजों की संख्या बढ़ाई गई, न ही पुलिस पदाधिकारियों की संख्या बढ़ी. नतीजा यह है कि अब तक जितने शराबबंदी से जुड़े मामलों में फैसले सुनाए गए हैं, उनकी संख्या सैकड़ों में ही है. ऐसा लग रहा है मानों जिलाधिकारियों को अन्य सभी मामलों को छोड़कर इसी कार्रवाई में अपना पूरा समय देना होगा.

पटना
वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार

'पूरे हालात पर सरकार की नजर'
वहीं इस मामले पर बिहार सरकार के कानून मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि पूरे हालात पर सरकार की नजर है. शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से मुकदमों की संख्या जरूर बढ़ी है. इसके लिए सरकार भी चिंतित है. अपर मुख्य सचिव के नेतृत्व में पिछले दिनों बैठक भी की गई है. सरकार जजों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार कर रही है.

बिहार में शराबबंदी के मुकदमों की बाढ़

विपक्ष का हमला
राजद के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार ने पहले गांव-गांव तक शराब की दुकानें खुलवा दीं. राज्य में लगभग 5,967 दुकानें स्वीकृत थीं. साल 2005-06 में जहां शराब से सरकार को 295 करोड़ की आमदनी होती थी, वहीं यह आंकड़ा 2015-16 में 4,000 करोड़ तक पहुंच गया. उन्होंने कहा कि इनसब के बाद अचानक से नीतीश कुमार के सपने में गांधी जी आए और बिना तैयारी के मुख्यमंत्री ने पूर्ण शराबबंदी लागू कर दिया.

पहले भी नहीं चल पाई थी शराबबंदी
बता दें कि नीतीश कुमार से पहले भी 1977 में जननायक कर्पूरी ठाकुर ने शराब पर पाबंदी लगाई थी. उस समय शराब की कालाबाजारी और कई अन्य परेशानियों की वजह से ज्यादा दिन तक यह पाबंदी नहीं चल पाई. बिहार ही नहीं, हरियाणा और मिजोरम में भी शराबबंदी लागू होने के बाद कारगर नहीं हो पाई.

पटना
आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी

शराबबंदी कानून लागू हुए 2 साल 4 महीने हो चुके हैं. अब तक लगभग 2 लाख 75 हजार मुकदमे अलग-अलग थानों में दर्ज किए जा चुके हैं. औसतन हर महीने 9-10 हजार शराबबंदी से जुड़े मामले थानों में दर्ज किए जा रहे हैं.

पटना: बिहार में शराबबंदी से संबंधित मुकदमों में बढ़ोत्तरी को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है. दरअसल, बिहार में मई 2017 में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था. 2 साल से अधिक का समय बीतने के बाद राज्य के विभिन्न न्यायालयों में इससे संबंधित मुकदमों की बाढ़ आ चुकी है. इसको लेकर न्यायालयों में अब तक 2 लाख 75 हजार मुकदमे लंबित पड़े हुए हैं. पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा है कि अब तक शराबबंदी से जुड़े जितने मामले सामने आए हैं, उसे निपटाने में लगभग 125 साल लग जाएंगे. इस विषय पर उन्होंने सरकार से राय मांगी है.

पटना
कानून मंत्री नरेंद्र नारायण यादव

'बिना किसी तैयारी के लागू की गई शराबबंदी'
वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि जिस रफ्तार से लोअर कोर्ट या हाई कोर्ट में शराबबंदी के मुकदमें सामने आ रहे हैं, कुछ सालों में हर कोर्ट में सिर्फ शराबबंदी के ही मुकदमे देखने को मिलेंगे. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने शराबबंदी कानून लागू करने से पहले कोई तैयारी नहीं की. न तो जजों की संख्या बढ़ाई गई, न ही पुलिस पदाधिकारियों की संख्या बढ़ी. नतीजा यह है कि अब तक जितने शराबबंदी से जुड़े मामलों में फैसले सुनाए गए हैं, उनकी संख्या सैकड़ों में ही है. ऐसा लग रहा है मानों जिलाधिकारियों को अन्य सभी मामलों को छोड़कर इसी कार्रवाई में अपना पूरा समय देना होगा.

पटना
वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार

'पूरे हालात पर सरकार की नजर'
वहीं इस मामले पर बिहार सरकार के कानून मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि पूरे हालात पर सरकार की नजर है. शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से मुकदमों की संख्या जरूर बढ़ी है. इसके लिए सरकार भी चिंतित है. अपर मुख्य सचिव के नेतृत्व में पिछले दिनों बैठक भी की गई है. सरकार जजों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार कर रही है.

बिहार में शराबबंदी के मुकदमों की बाढ़

विपक्ष का हमला
राजद के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार ने पहले गांव-गांव तक शराब की दुकानें खुलवा दीं. राज्य में लगभग 5,967 दुकानें स्वीकृत थीं. साल 2005-06 में जहां शराब से सरकार को 295 करोड़ की आमदनी होती थी, वहीं यह आंकड़ा 2015-16 में 4,000 करोड़ तक पहुंच गया. उन्होंने कहा कि इनसब के बाद अचानक से नीतीश कुमार के सपने में गांधी जी आए और बिना तैयारी के मुख्यमंत्री ने पूर्ण शराबबंदी लागू कर दिया.

पहले भी नहीं चल पाई थी शराबबंदी
बता दें कि नीतीश कुमार से पहले भी 1977 में जननायक कर्पूरी ठाकुर ने शराब पर पाबंदी लगाई थी. उस समय शराब की कालाबाजारी और कई अन्य परेशानियों की वजह से ज्यादा दिन तक यह पाबंदी नहीं चल पाई. बिहार ही नहीं, हरियाणा और मिजोरम में भी शराबबंदी लागू होने के बाद कारगर नहीं हो पाई.

पटना
आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी

शराबबंदी कानून लागू हुए 2 साल 4 महीने हो चुके हैं. अब तक लगभग 2 लाख 75 हजार मुकदमे अलग-अलग थानों में दर्ज किए जा चुके हैं. औसतन हर महीने 9-10 हजार शराबबंदी से जुड़े मामले थानों में दर्ज किए जा रहे हैं.

Intro:बिहार में मई 2017 को पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था 2 साल से अधिक का वक्त बीत जाने के बाद राज के न्यायालयों में मुकदमों की बाढ़ आ चुकी है अब तक 2 लाख 75 हजार मुकदमे न्यायालयों में लंबित हैं सरकार ने मुकदमों के निपटारे के लिए शराब बंदी कानून लागू करने से पहले कोई तैयारी नहीं की हालात यह हैं कि जितने मुकदमे न्यायालय के पास है और उसे निपटाने में लगभग 125 साल लग जाएंगे


Body:बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुए 2 साल से अधिक का वक्त बीत चुका है नीतीश सरकार ने कानून को लागू करने के लिए कड़े प्रावधान भी किए हल्ला के बाद में उसे संशोधन करना पड़ा शराबबंदी कानून का साइड इफेक्ट यह हुआ कि न्यायालयों में मुकदमों की बाढ़ आ गई और इतने कम संसाधन में मुकदमों का निपटारा कैसे हो यह सरकार और न्यायिक प्रशासन के सामने चुनौती बनकर दस्तक देने लगा


Conclusion:नीतीश कुमार से पहले भी 1977 में जननायक कर्पूरी ठाकुर ने शराब पर पाबंदी लगाई थी लेकिन शराब की कालाबाजारी और कई अन्य परेशानियों के वजह से पाबंदी ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई बिहार अकेला राज्य नहीं है जहां शराबबंदी कानून लागू होने के बाद कठिन हालात पैदा हुए हरियाणा प्रदेश और मिजोरम में शराब बंदी लागू हुई थी लेकिन वहां भी शराबबंदी कारगर नहीं हो पाई ।
रावडी देवी सरकार में उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री रह चुके शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार पहले गांव गांव तक शराब की दुकानें खुलवा दी राज्य में लगभग 5967 दुकानें स्वीकृत थी। साल 2005 6 में जहां शराब से सरकार को 295 करोड़ की आमदनी होती थी वही या आंकड़ा 2015 16 में 4000 करोड़ पहुंच गया ,और तब नीतीश कुमार जी को अचानक सपने में गांधी आए और बगैर तैयारी के पूर्ण शराबबंदी लागू कर दिए गए।
शराबबंदी कानून लागू हुए 2 साल 4 महीने का वक्त बीत चुका है और अब तक लगभग दो लाख 75000 मुकदमे अलग-अलग थानों में दर्ज किए जा चुके हैं औसतन हर महीने 9 से 10 हजार शराबबंदी से जुड़े मामले थानों में दर्ज किए जाते हैं ।
जस्टिस सुधीर कुमार सिंह की खंडपीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार बताएं कि इतनी बड़ी संख्या में मुकदमों का निपटारा कैसे होगा इस पर राज सरकार ने कहा कि इन मामलों की सुनवाई के लिए बड़े पैमाने पर जजों और बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है ।
पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि शराबबंदी से जुड़े जितने मामले लोअर कोर्ट या हाई कोर्ट के सामने आ रहे हैं उसे निपटाने में 125 साल का वक्त लग जाएगा दूसरी तरफ मुकदमों की तादाद भी बढ़ती जाएगी दीनू कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ने शराबबंदी कानून लागू करने से पहले कोई तैयारी नहीं की ना तो जजों की संख्या बढ़ाई गई नाही पुलिस पदाधिकारियों की संख्या बढ़ी नतीजा यह हुआ कि अब तक double-digit में ही शराबबंदी से जुड़े मामले में फैसले हो पाए हैं दिन कुमार ने कहा कि जिलाधिकारी के पास जितने मामले लंबित हैं उन्हें भी सब काम छोड़कर इसी को करने में लंबा समय लग जाएगा ।
बिहार सरकार के कानून मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने कहा है कि पूरे हालात पर सरकार की नजर है शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से मुकदमों की संख्या जरूर बढ़ी है इसके लिए सरकार भी चिंतित है अपर मुख्य सचिव के नेतृत्व में पिछले दिनों बैठक भी हुए हैं सरकार जजों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार कर रही है
Last Updated : Sep 21, 2019, 4:36 PM IST
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