नवादा: जिले का आदर्श मध्य विद्यालय लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है. स्कूल परिसर में लगे रंग-बिरंगे फूल और हरे भरे पौधे सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. यह सब तत्कालीन शिक्षक विनय प्रभाकर की लगन, जूनून, जज्बे और दृढ़ इच्छाशक्ति से संभव हो पाया है. अब प्रधानाध्यापक सुरेंद्र कुमार सिंह इसको आगे बढ़ा रहे हैं.
अलग छटा बिखेर रहा कार्यालय
साफ-सुथरे शौचालय, चमचमाते स्कूल प्रांगण, दीवारों पर लिखे अनमोल वचन, अच्छे विचार और ज्ञानवर्धक बातें बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ नैतिकता का बोध कराती हैं. देश के महान सपूतों की तस्वीरों से सजा विद्यालय का कार्यालय एक अलग ही छटा बिखेर रहा है. इस स्कूल के शिक्षक बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए हमेशा अग्रसर रहते हैं.
बच्चों की संख्या में हुई बढ़ोतरी
प्रधानाचार्य सुरेश कुमार सिंह ने बताया कि एक वक्त ऐसा था, जब बच्चे इस विद्यालय में आने से कतराते थे. लेकिन जब से विद्यालय का कायाकल्प हुआ है. तब से बच्चों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. अब यह स्कूल हर बच्चे के लिए आदर्श बन गया है. यहां पढ़ने वाले बच्चे स्कूल के अनुशासन और पढ़ाई के महत्व अच्छी तरह से समझने लगे हैं.
घर जाने का मन नहीं करता
आठवीं की छात्रा मुस्कान ने बताया कि मेरा विद्यालय स्वच्छ विद्यालय है. प्रधानमंत्री जी की ओर से चलाये जा रहे स्वच्छ भारत मिशन को इस स्कूल में देखा जा सकता है. शिक्षक-शिक्षिका और बाल संसद के गठन के जरिए हमलोग इसकी देखभाल करते हैं. मैं यहां काफी खुश रहती हूं. विद्यालय का पर्यावरण इतना अच्छा है कि यहां से घर जाने की इच्छा ही नहीं होती है.
प्रधानमंत्री के सपनों को पूरा करेंगे
स्कूल के छात्र अमन ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने जो स्वच्छ भारत का सपना देखा है. हम उसे पूरा करके रहेंगे. उसने कहा कि स्कूल में बेहतर पढ़ाई होती है. यहां समय-समय पर स्वच्छता अभियान से संबधित कार्यक्रम भी किए जाते हैं. वहीं, छात्र सोनू का कहना है कि हम सभी स्कूल को स्वच्छ रखने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. मैं अपने विद्यलाय में बहुत खुश हूं.
सरकार की मदद मिले तो लगेंगे चार चांद
प्रधानाचार्य सुरेश कुमार सिंह ने बताया कि स्कूल को सुंदर बनाने के लिए सभी शिक्षकों का अथक प्रयास रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार मदद करे या नहीं करे हम लोग इस स्कूल के लिए ऐसे ही काम करते रहेंगे. हमारा उद्देश्य यह है कि यह विद्यालय सभी के लिए प्रेरणास्रोत बने. हरियाली, स्वच्छ और सुंदर माहौल में बच्चों का अध्ययन हो. बच्चों को ऐसा लगे कि हम प्रकृति की गोद में बैठकर अध्ययन कर रहे हैं. इसलिए पिछले करीब 3 सालों से स्कूल को बेहतर बनाने का काम कर रहे हैं. प्रधानाचार्य का कहना है कि अगर सरकार का सहयोग मिले तो इसमें चार चांद लगा सकते हैं.