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त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा: मुजफ्फरपुर के परिवार का सुरक्षित रेस्क्यू, परिजनों ने ली राहत की सांस

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Published : Apr 12, 2022, 10:48 PM IST

झारखंड रोपवे (Jharkhand Ropeway Accident) पर चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अब पूरा हो चुका है. तीन दिनों से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है. अब रोपवे पर कोई नहीं फंसा हुआ है. इस हादसे के दौरान मुजफ्फरपुर के परिवार का भी रेस्क्यू किया गया है. जिसके बाद उनके परिजनों ने राहत की सांस ली है. साथ ही रेस्क्यू टीम को धन्यवाद दे रहे हैं.

त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा
त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा

मुजफ्फरपुर: झारखंड के त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा (Trikut Ropeway Accident) में मुजफ्फरपुर के परिवार के तीन सदस्य फंसे थे. जैसे ही घटना की सूचना मिली उसके तुरंत बाद एक दूसरे से संपर्क स्थापित करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. किसी अप्रिय घटना की सूचना ना मिल जाए इसको लेकर परिवार वाले काफी हैरान और परेशान थे. लेकिन, जब रेस्क्यू किया गया और परिवार वालों को रेस्क्यू का वीडियो उपलब्ध (Muzaffarpur Family Safe ) कराया गया, तब जाकर लोगों राहत की सांस ली.

ये भी पढ़ें- देवघर रोपवे हादसा: भागलपुर वापस लौटकर परिवार ने सुनाई आपबीती, कहा- 'सैनिकों की वजह से जिंदा हैं हम'

रेस्क्यू टीम ने दिया सूझबूझ का परिचय: परिवार वाले बताते हैं कि वहां जहां घटना हुई थी वहां के स्थानीय प्रशासन, एयरफोर्स और एनडीआरएफ की टीम ने काफी अच्छे से सूझबूझ का परिचय देते हुए रेस्क्यू किया. जिसका परिणाम है कि सभी को रेस्क्यू कर बाहर निकाल लिया गया. हमारे परिवार के लोग सकुशल वापस आ रहे हैं, इसके लिए रेस्क्यू करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद है. बता दें कि मुजफ्फरपुर के तीन लोगों में प्रदीप, शुभम और आशा शामिल थी, जिनको लेकर पूरा परिवार परेशान था. लेकिन, सफल रेस्क्यू के बाद अब जब परिवार वालों से बातचीत हुई है तो सभी उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वहीं रेस्क्यू टीम को धन्यवाद दे रहे हैं.

तीन दिनों तक चला ऑपरेशन: त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसे में फंसे लोगों को निकालने के लिए तीन दिनों तक ऑपरेशन चलाया गया. इस दौरान 60 लोग सुरक्षित निकाले गए, जबकि तीन लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी. सेना ने दो दिनों में 34 लोगों को रेस्क्यू किया, इस दौरान दो लोगों की मौत हुई, जिसमें एक महिला और एक पुरुष शामिल है. 11 अप्रैल को सुबह से एनडीआरएफ की टीम ने 11 जिंदगियां बचाईं, जिसमें एक छोटी बच्ची भी शामिल थी. इससे पहले हादसे के दिन 10 अप्रैल को रोपवे का मेंटिनेंस करने वाले पन्ना लाल ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से 15 लोगों को बचाया था, जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.

हादसा कब और कैसे हुआ: 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन बड़ी संख्या में लोग रोपवे के सहारे त्रिकूट पर्वत का भ्रमण करने पहुंचे थे. इसी बीच शाम के वक्त त्रिकूट पर्वत के टॉप प्लेटफार्म पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. इसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और सभी 24 ट्रॉली का मूवमेंट रूक गया. रोपवे के ढीला पड़ने की वजह से दो ट्रॉलियां या तो आपस में या चट्टान से टकरा गईं. रोपवे का मेंटिनेंस करने वाले पन्ना लाल ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से 15 लोगों को बचाया था.

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मुजफ्फरपुर: झारखंड के त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा (Trikut Ropeway Accident) में मुजफ्फरपुर के परिवार के तीन सदस्य फंसे थे. जैसे ही घटना की सूचना मिली उसके तुरंत बाद एक दूसरे से संपर्क स्थापित करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. किसी अप्रिय घटना की सूचना ना मिल जाए इसको लेकर परिवार वाले काफी हैरान और परेशान थे. लेकिन, जब रेस्क्यू किया गया और परिवार वालों को रेस्क्यू का वीडियो उपलब्ध (Muzaffarpur Family Safe ) कराया गया, तब जाकर लोगों राहत की सांस ली.

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रेस्क्यू टीम ने दिया सूझबूझ का परिचय: परिवार वाले बताते हैं कि वहां जहां घटना हुई थी वहां के स्थानीय प्रशासन, एयरफोर्स और एनडीआरएफ की टीम ने काफी अच्छे से सूझबूझ का परिचय देते हुए रेस्क्यू किया. जिसका परिणाम है कि सभी को रेस्क्यू कर बाहर निकाल लिया गया. हमारे परिवार के लोग सकुशल वापस आ रहे हैं, इसके लिए रेस्क्यू करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद है. बता दें कि मुजफ्फरपुर के तीन लोगों में प्रदीप, शुभम और आशा शामिल थी, जिनको लेकर पूरा परिवार परेशान था. लेकिन, सफल रेस्क्यू के बाद अब जब परिवार वालों से बातचीत हुई है तो सभी उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वहीं रेस्क्यू टीम को धन्यवाद दे रहे हैं.

तीन दिनों तक चला ऑपरेशन: त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसे में फंसे लोगों को निकालने के लिए तीन दिनों तक ऑपरेशन चलाया गया. इस दौरान 60 लोग सुरक्षित निकाले गए, जबकि तीन लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी. सेना ने दो दिनों में 34 लोगों को रेस्क्यू किया, इस दौरान दो लोगों की मौत हुई, जिसमें एक महिला और एक पुरुष शामिल है. 11 अप्रैल को सुबह से एनडीआरएफ की टीम ने 11 जिंदगियां बचाईं, जिसमें एक छोटी बच्ची भी शामिल थी. इससे पहले हादसे के दिन 10 अप्रैल को रोपवे का मेंटिनेंस करने वाले पन्ना लाल ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से 15 लोगों को बचाया था, जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.

हादसा कब और कैसे हुआ: 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन बड़ी संख्या में लोग रोपवे के सहारे त्रिकूट पर्वत का भ्रमण करने पहुंचे थे. इसी बीच शाम के वक्त त्रिकूट पर्वत के टॉप प्लेटफार्म पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. इसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और सभी 24 ट्रॉली का मूवमेंट रूक गया. रोपवे के ढीला पड़ने की वजह से दो ट्रॉलियां या तो आपस में या चट्टान से टकरा गईं. रोपवे का मेंटिनेंस करने वाले पन्ना लाल ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से 15 लोगों को बचाया था.

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