कटिहार: मंगलवार को अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस हैं. पूरे देश मे दिव्यांगों के लिये सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. लेकिन, बिहार के कटिहार की एक परिवार की चारों दिव्यांग बहनें सरकारी मदद की बाट जोह रही है. दिव्यांगता का अभिशाप झेल रहे इस चारों बहनें आज दाने-दाने को मोहताज है.
चारों बहनों के पड़े खाने-पीने के लाले
मीरा, हीरा, अनिता और लक्ष्मी ये सगी बहनें दिव्यांग हैं. कोई चल-फिर नहीं पाती तो कोई बोल नहीं पाती. माता-पिता के जिन्दा रहने तक तो दो वक्त की रोटी किसी तरह मिल जाया करती थी. लेकिन, लगभग 20 साल पहले पिता और 17 साल पहले मां की मौत के बाद अब रोज की जिंदगी में गुजर-बसर करने को भी लाले पड़ रहे हैं. एक भाई था, वह भी मौत की भेंट चढ़ गया. अब हालात यह हैं कि किसी तरह पुश्तैनी मकान सिर छुपाने का आसरा हैं. लेकिन खाने-पीने के भी लाले हैं.
जिंदगी बोझ बन गयी है-अनीता
सभी बहनों के सरकार की ओर से दिव्यांग पेंशन के तहत कुल मिलाकर हजार-बारह सौ रुपये ही मिलते हैं. तीन बहनों को तो दिव्यांग पेंशन मिलता हैं, लेकिन हीरा के कागजात नहीं बन पाने की वजह से उसे दिव्यांग पेंशन के चार सौ रुपये तक नहीं मिल पाते. शरीर से लाचार अनीता कहती है कि जिंदगी बोझ बन गयी है. क्या खायेंगे, कैसे रहेगें....कोई नहीं जानता. जब से मां-बाप की मौत हुई, तब से घर के चौखट की दहलीज पार कर बाजार का नजारा तक नहीं देखा.
सरकार से मांग
इन दिव्यांग बहनों की सरकार से मांग है कि अगर दिव्यांग पेंशन की राशि बढ़ा दी जाती तो जिंदगी बसर करने में कुछ मदद हो जाती. उसी के जरिए चारों बहनों का राशन-पानी सही तरीके से मिल पाएगा. कम से कम खाने को लाले नहीं पड़ेंगे.