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कटिहार: ऊंची कीमतों पर खाद और बीज खरीदने को मजबूर जिले के किसान - धान की रोपनी

जिले में किसान निजी दुकान से उंचे दामों पर खाद खरीदने को मजबूर हैं. जबकि जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि खाद का स्टॉक अनलिमिटेड है. जैसे-जैसे धान की रोपनी अपना रफ्तार पकड़ेगी खाद का सप्लाई भी किसानों तक पहुंचेगा.

उर्वरक
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Published : Jul 6, 2019, 9:30 AM IST

कटिहार: सरकार के तरफ से किसानों के लिए तमाम तरह के दावे किए जाते हैं. लेकिन कटिहार के किसान खुले बाजारों से ऊंची कीमतों में उर्वरक खरीद रहे हैं. हालांकि अधिकारी उर्वरक की कमी से साफ इनकार करते हैं.

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उर्वरक

जैसे-जैसे जुलाई महीने की तारीख बढ़ रही है, वैसे-वैसे धान की रोपनी में तेजी पकड़ती जा रही है. धान की रोपनी को लेकर किसान बाजार से ऊंचे कीमतों पर खाद खरीद रहे हैं. ईटीवी भारत को गेराबाड़ी के किसान ने बताया कि सरकारी खाद आस-पास उपलब्ध नहीं है. लिहाजा उंचे कीमतों पर खाद खरीद कर खेतों में डाल रहे हैं. इस इलाके में किसान सलाहकार भी नहीं है.

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जिला कृषि पदाधिकारी

प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है खाद
इस संदर्भ में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि खाद प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. सरकार द्वारा निर्धारित दर आसानी से उपलब्ध है. किसानों के लिए चिंता का कोई बात नहीं है. डिमांड पर खाद का डिस्ट्रीब्यूशन भी हो रहा है. चूंकि अभी जुलाई का पहला सप्ताह चल रहा है. धान की रोपनी भी शुरू नहीं हुई है. ऐसे में खाद का डिस्ट्रीब्यूशन भी अभी नहीं हो रहा है. जैसे-जैसे रोपनी अपना रफ्तार पकड़ेगी खाद का सप्लाई भी किसानों तक पहुंचेगा.

ईटीवी भारत संवादाता की रिपोर्ट

धान के सीजन में होता है कालाबाजारी
एक तरफ किसान खाद निजी दुकान से खरीद रहे हैं. दुसरी तरफ अधिकारी स्टॉक अनलिमिटेड की बात कर रहे हैं. किसानों को बाजार से उर्वरक खरीदने से बचने की सलाह दे रहै हैं. गौरतलब है कि सरकार की तरफ से खाद बीज हर जिले को ऑन डिमांड सप्लाई होती है. हालांकि धान के सीजन में खाद की कालाबाजरी भी बढ़ जाती है. जिसके कारण किसान बाहरी दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं. ऐसे में कालाबाजारी से बचने के लिए उर्वरक वितरण की मॉनिटरिंग करने जरूरत है.

कटिहार: सरकार के तरफ से किसानों के लिए तमाम तरह के दावे किए जाते हैं. लेकिन कटिहार के किसान खुले बाजारों से ऊंची कीमतों में उर्वरक खरीद रहे हैं. हालांकि अधिकारी उर्वरक की कमी से साफ इनकार करते हैं.

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उर्वरक

जैसे-जैसे जुलाई महीने की तारीख बढ़ रही है, वैसे-वैसे धान की रोपनी में तेजी पकड़ती जा रही है. धान की रोपनी को लेकर किसान बाजार से ऊंचे कीमतों पर खाद खरीद रहे हैं. ईटीवी भारत को गेराबाड़ी के किसान ने बताया कि सरकारी खाद आस-पास उपलब्ध नहीं है. लिहाजा उंचे कीमतों पर खाद खरीद कर खेतों में डाल रहे हैं. इस इलाके में किसान सलाहकार भी नहीं है.

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जिला कृषि पदाधिकारी

प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है खाद
इस संदर्भ में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि खाद प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. सरकार द्वारा निर्धारित दर आसानी से उपलब्ध है. किसानों के लिए चिंता का कोई बात नहीं है. डिमांड पर खाद का डिस्ट्रीब्यूशन भी हो रहा है. चूंकि अभी जुलाई का पहला सप्ताह चल रहा है. धान की रोपनी भी शुरू नहीं हुई है. ऐसे में खाद का डिस्ट्रीब्यूशन भी अभी नहीं हो रहा है. जैसे-जैसे रोपनी अपना रफ्तार पकड़ेगी खाद का सप्लाई भी किसानों तक पहुंचेगा.

ईटीवी भारत संवादाता की रिपोर्ट

धान के सीजन में होता है कालाबाजारी
एक तरफ किसान खाद निजी दुकान से खरीद रहे हैं. दुसरी तरफ अधिकारी स्टॉक अनलिमिटेड की बात कर रहे हैं. किसानों को बाजार से उर्वरक खरीदने से बचने की सलाह दे रहै हैं. गौरतलब है कि सरकार की तरफ से खाद बीज हर जिले को ऑन डिमांड सप्लाई होती है. हालांकि धान के सीजन में खाद की कालाबाजरी भी बढ़ जाती है. जिसके कारण किसान बाहरी दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं. ऐसे में कालाबाजारी से बचने के लिए उर्वरक वितरण की मॉनिटरिंग करने जरूरत है.

Intro:कटिहार

सरकार का दावा हुआ फेल। कटिहार में किसान खुले बाजारों से ऊंची कीमतों में उर्वरक खरीदने को है मजबूर। लेकिन अधिकारी कहते हैं उर्वरक का स्टॉक अनलिमिटेड है और किसानों को बाजार से उर्वरक खरीदने की कोई जरूरत नहीं है।


Body:यह दृश्य कटिहार के गेराबाड़ी का है जहां खेतों में हाड़ मास एक करके किसान खेती में लगे हैं। जुलाई का महीना चल रहा है। धान की रोपनी का वक्त बिता जा रहा है लिहाजा बाजार से ऊंचे कीमतों पर खाद लिए और धान के पौधे खेतों में लगा खाद छिड़क रहे हैं। मकसद है धान की यह फसल किसानों के परिवारों में खुशहाली ला सके। लेकिन जब ईटीवी भारत ने इस बात का रियलिटी चेक किया कि खाद कहां से किसानों ने खरीदा। जरा सुनिए किसान मोहम्मद के जुबानी।

सरकारी खाद दूर-दूर तक नसीब नहीं है लिहाजा किसान उंचे कीमतों पर खाद खरीद कर खेतों में छिड़काव कर रहे हैं। किसान बताते हैं किसान सलाहकार तक का इस इलाके में कोई दर्शन नहीं है। पेट पालने के लिए खेती मजबूरी है लिहाजा खाद का दाम ऊंचा हो या नीचा खेतों में खाद का छिड़काव भी जरूरी है।

जब हमने इस बात की तस्दीत जिला कृषि पदाधिकारी से की तो जनाब बताने लगे किसानों के लिए खाद प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और सरकार द्वारा निर्धारित दर पर उन्हें आसानी से खाद उपलब्ध भी है। किसानों के लिए चिंता का कोई बात नहीं है और डिमांड पर खाद का डिस्ट्रीब्यूशन भी हो रहा है। चूंकि अभी जुलाई का शुरुआती महीना चल रहा है धान की रोपनी भी शुरू नहीं हुई है ऐसे में खाद का डिस्ट्रीब्यूशन भी अभी नहीं हो रहा है। जैसे-जैसे जिले में रोपनी बढ़ती जाएगी वैसे हीं खाद का सप्लाई भी किसानों तक पहुंचने लगेगा।


Conclusion:अब किसकी बात को सही माने या तो ऊंचे कीमतों पर निजी दुकान से खाद खरीदकर किसान झूठ बोल रहे हैं या फिर सरकार के स्टाक का हवाला देकर अधिकारी झूठ बोल रहे हैं। यह तो सच है कि सरकार किसानों के हित के लिए हरसंभव कदम उठा रही है और खाद बीज की समस्या को प्राथमिकता पर लेते हुए हर जिले को ऑन डिमांड खाद सप्लाई भी कर रही है ताकि लोगों की किसानी चमक सके उनके परिवार में खुशियां आ सके और 2 जूल की अनाज की जुगाड़ हो सके।

अब यह बहुत बड़ा सवाल है कि सरकार के द्वारा भेजे गए लाखों रुपए के खाद का होता क्या है और विभाग और किसान के बीच तारतम्यता क्यों नहीं है? कहीं यह खाद बिचौलियों के हाथों में तो चला नहीं जा रहा है जिससे किसान उचित कीमतों पर बाहरी दुकानों से खरीदने पर मजबूर हो रहे हैं? जरूरत है किसानों के हित को देखते हुए सरकार को उर्वरक वितरण की मॉनिटरिंग की सख्त कदम उठाया जाय ताकि खाद वितरण में कथित बिचौलिया वाद खत्म हो सके।
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