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बोधगया: कोरिया से आए बौद्ध भिक्षुओं ने की 'योंग शांग जे' पूजा

कोरिया के संघ 'थेन गोन चौंग' के लोगों ने बोधगया में आकर 'योंग शांग जे' रिचुअल पूजा की. इस दौरान कोरिया सहित अन्य देशों के कुल 108 बौद्ध भिक्षुओं ने भाग लिया.

रिती रिवाज
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Published : Nov 2, 2019, 5:18 PM IST

गया: बोधगया विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर में कोरिया के बौद्ध भिक्षुओं ने विश्व शांति और अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए पूजा-अर्चना की. इस दौरान कोरिया सहित तिब्बत, भूटान और श्रीलंका के कुल 108 बौद्ध भिक्षु मौजूद रहे. भिक्षुओं ने महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में 'योंग शांग जे' रिचुअल पूजा की.

कोरिया की रिचुअल पूजा है 'योंग शांग जे'
बौद्ध भिक्षुओं ने महाबोधी मंदिर में स्थित बोधि वृक्ष को नमन किया. इसके अलावा उन्होंने अपने रीति-रिवाज के अनुसार बाजे के साथ मंदिर के चारों ओर परिक्रमा की. कोरिया इंटरप्रेटर राकेश कुमार समदर्शी ने बताया कि कोरिया में हर साल 'योंग शांग जे' पूजा की जाती है. इस बार कोरिया के संघ 'थेन गोन चौंग' के लोगों ने भारत में आकर यह पूजा की. कोरिया सहित अन्य देश के कुल 108 बौद्ध भिक्षुओं ने बोधगया में इस पूजा में भाग लिया.

gaya
परिक्रमा लगाते बौद्ध धर्म के लोग

पिंडदान की तरह ही बौद्ध भी करते हैं पूजा
कोरिया इंटरप्रेटर ने इस पूजा के बारे में बताया कि जिस तरह बोधगया में महासंगम पितृपक्ष मेला में हिंदू अपने पूर्वजों की शांति के लिए पिंडदान करते हैं, उसी तरह बौद्ध भिक्षु भी पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए 'योंग शांग जे' पूजा करते हैं. यह पूजा हर देश में अलग-अलग समय में की जाती है. इस साल यह पूजा बोधगया के महाबोधी मंदिर में की गई.

बोधगया में 'योंग शांग जे' पूजा

गया: बोधगया विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर में कोरिया के बौद्ध भिक्षुओं ने विश्व शांति और अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए पूजा-अर्चना की. इस दौरान कोरिया सहित तिब्बत, भूटान और श्रीलंका के कुल 108 बौद्ध भिक्षु मौजूद रहे. भिक्षुओं ने महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में 'योंग शांग जे' रिचुअल पूजा की.

कोरिया की रिचुअल पूजा है 'योंग शांग जे'
बौद्ध भिक्षुओं ने महाबोधी मंदिर में स्थित बोधि वृक्ष को नमन किया. इसके अलावा उन्होंने अपने रीति-रिवाज के अनुसार बाजे के साथ मंदिर के चारों ओर परिक्रमा की. कोरिया इंटरप्रेटर राकेश कुमार समदर्शी ने बताया कि कोरिया में हर साल 'योंग शांग जे' पूजा की जाती है. इस बार कोरिया के संघ 'थेन गोन चौंग' के लोगों ने भारत में आकर यह पूजा की. कोरिया सहित अन्य देश के कुल 108 बौद्ध भिक्षुओं ने बोधगया में इस पूजा में भाग लिया.

gaya
परिक्रमा लगाते बौद्ध धर्म के लोग

पिंडदान की तरह ही बौद्ध भी करते हैं पूजा
कोरिया इंटरप्रेटर ने इस पूजा के बारे में बताया कि जिस तरह बोधगया में महासंगम पितृपक्ष मेला में हिंदू अपने पूर्वजों की शांति के लिए पिंडदान करते हैं, उसी तरह बौद्ध भिक्षु भी पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए 'योंग शांग जे' पूजा करते हैं. यह पूजा हर देश में अलग-अलग समय में की जाती है. इस साल यह पूजा बोधगया के महाबोधी मंदिर में की गई.

बोधगया में 'योंग शांग जे' पूजा
Intro:Body:विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर बोधगया कोरिया व तिब्बत के 108 सदस्य शिष्टमण्डल ने विश्व शान्ति व पूर्वजो के आत्मा के शान्ति के लिए महाबोधी मन्दिर के गर्भगृह में एग शान जी रिचुअल पूजा अर्चना
महाबोधी मंदिर में स्थित बोधि वृक्ष को नमन किया साथ ही साथ महाबोधी मन्दिर में सभी शिष्टमंडल अपने रीती रिवाज के अनुसार संस्कृतिक रिवाजो के मुताविकगाजे बाजे के साथ मन्दिर के चारो तरफ परिक्रमा भी किया जिससे अपने पूर्वजो के आत्मा व विश्व के शान्ति के बड़ी धूम धाम से पूजा अर्चना किया कोरिया इंटरपेरेटर राकेश कुमार समदर्शी ने बताया कि तिब्बत भूटान श्रीलंका और कोरिया के 108 लोगों के द्वारा येंग सान्ग जी पूजा की जा रही है जिसका मोनेटरिंग थेंन गोन चोंग के द्वारा किया जा रहा है सभी बौद्ध भिक्षु अपने पूर्वजों के आत्मा के शान्ति के लिये किया जाता है यह पूजा हर देश मे अलग अलग समय मे होता है इस वर्ष महाबोधी मंदिर किया जा रहा है
जिस तरह यहा महासंगम पितृपक्ष मेला के माध्यम से अपने पूर्वजों के आत्मा के शांति के लिये हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार पिण्ड तर्पण किया जाता है
उसी तरह यह पूजा बौद्ध भिक्षु एग शान जी रिचुअल पूजा करते हैConclusion:
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