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नए साल को लेकर धूमधाम से मनाया गया वाटर फेस्टिवल, बौद्ध श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे को रंगों से भिगोया

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Published : Apr 15, 2022, 4:57 PM IST

बोधगया स्थित वट लाओ मोनास्ट्री (Vat Lao Monastery in Bodh Gaya) में वॉटर फेस्टिवल का आयोजन हुआ. जिसमें कई देशों के बौद्ध भिक्षुओं और श्रद्धालु शामिल हुए. वॉटर फेस्टिवल के दौरान बौद्ध श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे के ऊपर पानी और रंगों की बौछार की. इस दौरान श्रद्धालुओं ने दौड़-दौड़ कर, एक-दूसरे को भिगोया. बौद्ध परंपरा में नया साल को लेकर वाटर फेस्टिवल का आयोजन होता है. पढ़ें पूरी खबर....

वाटर फेस्टिवल का आयोजन
वाटर फेस्टिवल का आयोजन

गया: बिहार के गया में वॉटर फेस्टिवल का आयोजन (Water Festival Organized in Gaya) हुआ. भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया स्थित वट लाओ मोनास्ट्री में वॉटर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है. जिसमें कई देशों के बौद्ध भिक्षुओं और श्रद्धालुओं ने भाग लिया. वॉटर फेस्टिवल के दौरान बौद्ध श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे के ऊपर पानी और रंगों की बौछार की. इस दौरान श्रद्धालुओं ने पानी एक-दूसरे के ऊपर फेंककर भिगोया. साथ ही भगवान बुद्ध की मूर्ति के समक्ष बैठकर, रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को समाप्त करने को लेकर विशेष प्रार्थना की. इस मौके पर वट लाओ मोनास्ट्री के बौद्ध भिक्षु भंते साईंसाना (Bhante Saisana Buddhist Monk of Vat Lao Monastery) ने कहा कि बौद्ध परंपरा में नये साल के शुरुआत को लेकर वाटर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है.

ये भी पढ़ें- बोधगया में बौद्ध भिक्षुओं और विदेशी नागरिकों ने गरीब बच्चों के साथ मनायी होली

'वॉटर फेस्टिवल में एक-दूसरे के ऊपर पानी फेंककर भिगोया जाता है. जिस तरह से भारतीय परंपरा में होली पर्व के दौरान लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं, उसी तरह से वट लाओस, कंबोडिया, थाईलैंड जैसे बौद्ध देशों में वाटर फेस्टिवल का आयोजन कर, एक-दूसरे के ऊपर पानी फेंका जाता है. भारतीय परंपरा को देखते हुए, हम लोगों ने पानी के साथ-साथ एक दूसरे को रंग भी लगाया है. कोरोना के कारण पिछले 2 सालों से वाटर फेस्टिवल का आयोजन स्थगित कर दिया गया था. लेकिन अब इसका आयोजन किया गया है. जिसमें कई देशों के बौद्ध श्रद्धालुओं ने भाग लिया है. और एक-दूसरे के ऊपर पानी और रंग लगाकर नववर्ष की शुभकामनाएं दी है. नववर्ष एक नई शुरुआत की जाती है, हमलोग भी भगवान बुद्ध से यह प्रार्थना कर रहे हैं कि सभी के जीवन में शांति बनी रहे.' - भंते साईंसाना, बौद्ध भिक्षु

वॉटर फेस्टिवल का आयोजन: वट लाव मोनास्ट्री के केयरटेकर संजय कुमार ने बताया कि बौद्ध परंपरा के अनुसार वाटर फेस्टिवल का आयोजन किया गया है. मुख्य रूप से वॉटर फेस्टिवल के दौरान फूलों को पानी में डालकर एक-दूसरे को भिगोया जाता है. लेकिन ये बौद्ध भिक्षु कई वर्षों से भारत देश में रह रहे हैं, और यहां की होली पर्व को देखते हुए इस बार इन्होंने फूलों के साथ-साथ रंग-गुलाल को भी पानी में डालकर एक-दूसरे को भिगोया है. कोरोना के कारण 2 वर्ष बाद इसका आयोजन किया जा रहा है. इसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है. उन्होंने कहा कि वॉटर फेस्टिवल शुरू करने से पहले बौद्ध भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध की मूर्ति के समक्ष बैठकर रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त हो, इसके लिए प्रार्थना भी की है. साथ ही पूरी दुनिया से कोरोना का खात्मा हो इसे लेकर भी विशेष प्रार्थना की गई है.

ये भी पढ़ें- बौद्ध भिक्षु बनने के बाद पहली बार बोधगया पहुंचे फिल्म एक्टर गगन मलिक, मंदिर में की विशेष पूजा

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गया: बिहार के गया में वॉटर फेस्टिवल का आयोजन (Water Festival Organized in Gaya) हुआ. भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया स्थित वट लाओ मोनास्ट्री में वॉटर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है. जिसमें कई देशों के बौद्ध भिक्षुओं और श्रद्धालुओं ने भाग लिया. वॉटर फेस्टिवल के दौरान बौद्ध श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे के ऊपर पानी और रंगों की बौछार की. इस दौरान श्रद्धालुओं ने पानी एक-दूसरे के ऊपर फेंककर भिगोया. साथ ही भगवान बुद्ध की मूर्ति के समक्ष बैठकर, रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को समाप्त करने को लेकर विशेष प्रार्थना की. इस मौके पर वट लाओ मोनास्ट्री के बौद्ध भिक्षु भंते साईंसाना (Bhante Saisana Buddhist Monk of Vat Lao Monastery) ने कहा कि बौद्ध परंपरा में नये साल के शुरुआत को लेकर वाटर फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है.

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'वॉटर फेस्टिवल में एक-दूसरे के ऊपर पानी फेंककर भिगोया जाता है. जिस तरह से भारतीय परंपरा में होली पर्व के दौरान लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं, उसी तरह से वट लाओस, कंबोडिया, थाईलैंड जैसे बौद्ध देशों में वाटर फेस्टिवल का आयोजन कर, एक-दूसरे के ऊपर पानी फेंका जाता है. भारतीय परंपरा को देखते हुए, हम लोगों ने पानी के साथ-साथ एक दूसरे को रंग भी लगाया है. कोरोना के कारण पिछले 2 सालों से वाटर फेस्टिवल का आयोजन स्थगित कर दिया गया था. लेकिन अब इसका आयोजन किया गया है. जिसमें कई देशों के बौद्ध श्रद्धालुओं ने भाग लिया है. और एक-दूसरे के ऊपर पानी और रंग लगाकर नववर्ष की शुभकामनाएं दी है. नववर्ष एक नई शुरुआत की जाती है, हमलोग भी भगवान बुद्ध से यह प्रार्थना कर रहे हैं कि सभी के जीवन में शांति बनी रहे.' - भंते साईंसाना, बौद्ध भिक्षु

वॉटर फेस्टिवल का आयोजन: वट लाव मोनास्ट्री के केयरटेकर संजय कुमार ने बताया कि बौद्ध परंपरा के अनुसार वाटर फेस्टिवल का आयोजन किया गया है. मुख्य रूप से वॉटर फेस्टिवल के दौरान फूलों को पानी में डालकर एक-दूसरे को भिगोया जाता है. लेकिन ये बौद्ध भिक्षु कई वर्षों से भारत देश में रह रहे हैं, और यहां की होली पर्व को देखते हुए इस बार इन्होंने फूलों के साथ-साथ रंग-गुलाल को भी पानी में डालकर एक-दूसरे को भिगोया है. कोरोना के कारण 2 वर्ष बाद इसका आयोजन किया जा रहा है. इसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है. उन्होंने कहा कि वॉटर फेस्टिवल शुरू करने से पहले बौद्ध भिक्षुओं ने भगवान बुद्ध की मूर्ति के समक्ष बैठकर रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त हो, इसके लिए प्रार्थना भी की है. साथ ही पूरी दुनिया से कोरोना का खात्मा हो इसे लेकर भी विशेष प्रार्थना की गई है.

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