गयाः बिहार-झारखंड के सीमावर्ती इलाके 'लाल इलाके' के नाम से जाने जाते थे, जहां आम लोग दिन में भी खुद को असुरक्षित महसूस करते थे. किंतु आज इस कथित लाल इलाके की तस्वीर बदली है और सुरक्षा बलों की पहुंच ऐसे क्षेत्रों के घर-घर तक हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के हर-घर तिरंगा अभियान की सफलता नक्सली इलाकों में साफ दिख रही (Har Ghar Tiranga In Gaya) है. अभी इन इलाकों के ग्रामीण और बच्चे खुलकर सुरक्षा बलों के साथ आने लगे हैं.
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"हर घर तिरंगा अभियान गया जिले के हर हिस्से में चलाया जा रहा है. चाहे वह कथित नक्सल इलाका हो या पिछड़ा हुआ ग्रामीण क्षेत्र. एसएसबी हर जगह पहुंच रही है और हर घर तिरंगा अभियान से लोगों को जोड़ने का काम कर रही है."- छेरिंंग दोरजे, डीआईजी एसएसबी.
हाल के बरसों से बदलने है तस्वीरः हाल के बरसों से नक्सली इलाके की तस्वीर बदलने लगी है. बिहार-झारखंड के सीमावर्ती इलाके बरहा, छकरबंधा, इमामगंज, डुमरिया आदि इलाकों में अब नक्सलियों का खौफ एकदम से कम हो गया है. अब इन इलाकों के लोग विकास के रास्ते पर चलना चाहते हैं. यही वजह है कि नक्सल इलाकों से भी काफी संख्या में दारोगा, सिपाही और आर्मी बहाल हो रहे हैं.
हर घर तिरंगा अभियान में फ्रंट फुट पर सुरक्षा बल, दुबक गए हैं नक्सलीः इन दिनों आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रधानमंत्री ने हर घर तिरंगा फहराने का आह्वान किया है. इस आह्वान के बाद शहर से लेकर गांव तक में तिरंगे की धूम मची है. इसमें नक्सल प्रभावित गया के इलाके पीछे नहीं हैं. नक्सल प्रभावित इलाके के ग्रामीण और बच्चे अपनी भागीदारी दिखा रहे हैं, जिससे स्पष्ट है कि गया के नक्सल इलाकों में सुरक्षा बल फ्रंट फुट पर हैं. वहीं नक्सली दुबक गए हैं.
कभी काला झंडा फहराने की हिमाकत करते थे नक्सलीः गया के अति नक्सल प्रभावित इलाके में नक्सलियों की करतूत काले अध्याय के रूप में भी सामने आती है. जब नक्सलियों के द्वारा काले झंडे फहराने की हिमाकत की जाती थी. अपने सबसे मजबूत और आधार वाले इलाके में नक्सली ऐसा करते थे, लेकिन अब यह बीते जमाने की बात की हो गई है और अब उस पर हर घर तिरंगे की धूम ने मुहर लगा रही है.
हर स्वतंत्रा दिवस पर किया जाता है अलर्टः वैसे नक्सलियों की नापाक मंशा से पुलिस प्रशासन हमेशा अलर्ट रहता है. 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन खास तौर पर उग्रवाद प्रभावित रहे इलाकों को अलर्ट किया जाता है. हालांकि हालिया के वर्षों में नक्सलियों की गतिविधियां बेहद कम हो गई है. नक्सलियों के शीर्ष नेता गिरफ्तार हुए. वही बिहार-झारखंड समेत पांच राज्यों के वांछित 85 लाख के इनामी माओवादी विजय यादव उर्फ संदीप यादव की मौत के बाद नक्सलियों की गतिविधियां एकदम से ढलान पर चली गई है. इसके बाद प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का वर्चस्व एकदम से कम हो गया है.
इलाके में कई नक्सली के बड़े नेता थे सक्रियः गौरतलब हो, कि संदीप यादव गया जिले के ही नक्सल क्षेत्र लुटुआ का ही रहने वाला था. ऐसे में अब सुरक्षा बल बिहार-झारखंड के बॉर्डर वाले नक्सल प्रभावित इलाकों में पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं. अब ऐसा कोई क्षेत्र नहीं रहा, जहां सुरक्षा बालों को आने जाने या अपनी कार्रवाई करने में कोई परेशानी आती हो. इस तरह नक्सलियों का मांद कहे जाने वाला बिहार-झारखंड का बॉर्डर वाला इलाका पर अब सुरक्षाबलों की पकड़ है और यही वजह है कि अब नक्सल प्रभावित इलाकों के घरों में तिरंगा नजर आने लगा है.
अभियान में सीआरपीएफ जवानों के साथ शामिल हुए बच्चेः यह बदली हुई तस्वीर ही है, कि हर घर तिरंगा अभियान में सीआरपीएफ जवानों के साथ स्कूली बच्चे काफी संख्या में शामिल हो रहे हैं. गया जिले के नक्सल प्रभावित कहे जाने वाले सुदूरवर्ती व डुमरिया प्रखंड के सरकारी विद्यालय के बच्चे हर घर तिरंगा अभियान में शामिल हो रहे हैं . सीआरपीएफ 159 बटालियन के कमांडेंट कमलेश कुमार सिंह निर्देशानुसार सीआरपीएफ के अधिकारी रविंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में सीआरपीएफ 159 बटालियन के जवान के साथ बच्चे घर-घर तिरंगा अभियान में शामिल हुए. इस ग्रामीण क्षेत्र में काफी दूर तक पैदल मार्च किया. हर घर तिरंगा अभियान के दौरान पैदल मार्च कर लोगों को जागरूक करने का काम भी किया जा रहा था. स्कूली छात्र और छात्राओं के हाथों में तिरंगा था और उनके कदम लगातार हर घर तिरंगा के नारों के साथ बढते जा रहे थे.
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