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पैसे नहीं सम्मान के लिए आजादी के बाद से तिरंगे पर अशोक चक्र छाप रहा मुस्लिम परिवार

बिहार के गया में एक मुस्लिम परिवार ने भारतीय झंडे पर अशोक चक्र को अंकित करने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है. मोहम्मद शमीम और उनकी पत्नी शीमा परवीन चौथी पीढ़ी हैं, जो इस काम में शामिल हैं. उनका कौशल इतना लोकप्रिय है कि खादी ग्रामोद्योग भी इस मुस्लिम परिवार को अशोक चक्र को चिह्नित करने का काम देता है.

अशोक चक्र की छपाई
अशोक चक्र की छपाई
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Published : Aug 13, 2022, 11:12 PM IST

Updated : Aug 14, 2022, 7:06 AM IST

गयाः राष्ट्र के प्रति देश प्रेम का जुनून भारतीयों की नस-नस में है. इसी का एक उदाहरण है गया जिले का मुस्लिम समुदाय (Muslim community In Gaya) से जुड़ा एक रंगरेज परिवार. यह परिवार बीते कई पीढ़ियों से तिरंगे पर अशोक चक्र की छपाई करता (Making Ashok Chakra On Indian National Flag In Gaya) है. यह काम पिछली चार पीढ़ी पैसे कमाने के लिए नहीं, बल्कि देश भक्ति के जुनून में कर रहा है. इससे जो सम्मान मिलता है, वही उनके लिए असली पारिश्रमिक होता है. परिवार के लोग बताते हैं कि उनके पूर्वज अंग्रेजो के भी जमाने में तिरंगे पर छापा दिया करते थे. इस स्वतंत्रता दिवस पर परिवार ने दस हजार से अधिक तिरंगे पर अशोक चक्र अंकित किया है.

पढ़ें-भूल से भी कहीं ना हो जाए राष्ट्रध्वज का अपमान, जानें नियम

"अशोक चक्र छापने में काफी हिफाजत रखनी पड़ती है. 24 चक्र सुंदर तरीके से तिरंगे पर दिखे और किसी तरह का कोई निशान उस पर नहीं आए, इसका ख्याल रखना पड़ता है. अशोक चक्र का सांचा बनारस और हैदराबाद से लाया गया है."-मोहम्मद शमीम, रंगरेज

चौथी पीढ़ी तिरंगे पर अशोक चक्र का छापा देने में जुटाः गया के मखलोट गंज की रहने वाले मोहम्मद शमीम, उनकी पत्नी सीमा प्रवीण और यह पूरा परिवार अपने घर में तिरंगे पर अशोक चक्र का छापा देने में व्यस्त है. यह परिवार पिछले चार पीढ़ियों से ऐसा कर रहा है. पहले पिता, दादा, परदादा यह काम करते थे. चौथी पीढ़ी ने अब यह काम संभाल रखा है और तिरंगे पर चक्र का छापा का काम पूरी लगन से कर रहा है. कहा तो यह भी जाता है कि यह रंगरेज परिवार अंग्रेजों के जमाने से तिरंगे पर चक्र का छापा देने का काम करता रहा है. फिलहाल वर्तमान में चौथी पीढ़ी अपने पुरखों के छोड़े गए दायित्व का निर्वहन कर रही है.
बिहार के साथ झारखंड से भी आता है डिमांडः गया के मखलोटगंज के मोहम्मद शमीम के परिवार द्वारा तिरंगे पर चक्र का छापा दिए झंडे की सप्लाई बिहार के गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, सासाराम समेत विभिन्न जिलों में होती है. इसके अलावा बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड के समीपवर्ती जिलों में भी सप्लाई की जाती है. वही अशोक चक्र का छापा देने के लिए खादी ग्रामोद्योग, सरकारी विभाग से भी आर्डर आते हैं. उसे पूरी लगन से यह परिवार पूरा करता है और तिरंगे पर चक्र का छापा देकर खादी ग्रामोद्योग से लेकर बिहार झारखंड के जिलों में इसे भेजते हैं.

इस बार 25 हजार तिरंगे कर चुके हैं तैयारः 76 वें स्वतंत्रा दिवस के लिए यह परिवार 25 हजार से अधिक तिरंगे पर अशोक चक्र का छापा (National Flag of India ) लगा चुका है और संबंधित स्थानों पर भेजा जा चुका है. अब भी यह कार्य स्वतंत्रता दिवस को लेकर जारी है. इस तरह मोहम्मद शमीम के परिवार के द्वारा दिया गया अशोक चक्र का छापा वाला तिरंगा झंडा बड़े-बड़े सरकारी भवनों में फहराया जाता है. आज डिजिटल तरीके से भी अशोक चक्र का छापा दिया जाता है, लेकिन वह हाथ से दिए गए इस छापे की बराबरी नहीं कर सकता. नतीजतन आज भी शमीम के परिवार के अशोक चक्र के छापे की डिमांड हर और रहती है.
पैसा नहीं देश प्रेम का है जूनूनः मोहम्मद शमीम और उसकी पत्नी सीमा परवीन बताती है कि वह तिरंगे में अशोक चक्र का छापा देने का काम करते हैं. यह पिछले चार-पांच पीढ़ियों से लगातार किया जा रहा है. आमदनी के सवाल पर बताते हैं कि वे इसे कारोबार के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि देश के प्रति भक्ति और उससे मिलने वाले सम्मान को ही बहुमूल्य मानते हैं. दूसरे बिजनेस में लाभ की जरूर सोचते हैं, पर तिरंगे पर अशोक चक्र का छापा में लाभ या हानि हम लोगों का परिवार नहीं देखता है. पूर्व की पीढ़ी वाला परिवार भी ऐसा ही करता था. इस तरह हमारा परिवार देश के प्रति भक्ति और सम्मान पाने के लिए ही ऐसा पीढ़ी दर पीढ़ी कर रहा है.

गया में सिर्फ इसी घर में होता है अशोक चक्र का छापाः परिवार के लोग बताते हैं कि गया में सिर्फ इसी घर में अशोक चक्र का छापा तिरंगे में दिया जाता है. यह हमारे लिए गर्व की बात है. हाथों से दिया जाने वाला अशोक चक्र का छापा पीढ़ियों से विरासत में मिली है. छापा करीब 6-7 दशक पुराना है. यह विभिन्न साइजों में है. वहीं महात्मा गांधी के चरखे के रूप में भी छापा यहां मौजूद है. परिवार के लोग बताते हैं कि इस तरह का छापा अब मिलना नामुमकिन है और परिवार के लोग विरासत के रूप में इसकी हिफाजत करते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी तिरंगे पर छापा देने का काम कर रहे है. मोहम्मद सलीम बताते हैं कि इस देश के प्रति प्रेम वाले इस काम को हमारे बच्चे भी आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं.

पढ़ें-हर घर तिरंगा आज से, राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए जानें ये अहम बातें

गयाः राष्ट्र के प्रति देश प्रेम का जुनून भारतीयों की नस-नस में है. इसी का एक उदाहरण है गया जिले का मुस्लिम समुदाय (Muslim community In Gaya) से जुड़ा एक रंगरेज परिवार. यह परिवार बीते कई पीढ़ियों से तिरंगे पर अशोक चक्र की छपाई करता (Making Ashok Chakra On Indian National Flag In Gaya) है. यह काम पिछली चार पीढ़ी पैसे कमाने के लिए नहीं, बल्कि देश भक्ति के जुनून में कर रहा है. इससे जो सम्मान मिलता है, वही उनके लिए असली पारिश्रमिक होता है. परिवार के लोग बताते हैं कि उनके पूर्वज अंग्रेजो के भी जमाने में तिरंगे पर छापा दिया करते थे. इस स्वतंत्रता दिवस पर परिवार ने दस हजार से अधिक तिरंगे पर अशोक चक्र अंकित किया है.

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"अशोक चक्र छापने में काफी हिफाजत रखनी पड़ती है. 24 चक्र सुंदर तरीके से तिरंगे पर दिखे और किसी तरह का कोई निशान उस पर नहीं आए, इसका ख्याल रखना पड़ता है. अशोक चक्र का सांचा बनारस और हैदराबाद से लाया गया है."-मोहम्मद शमीम, रंगरेज

चौथी पीढ़ी तिरंगे पर अशोक चक्र का छापा देने में जुटाः गया के मखलोट गंज की रहने वाले मोहम्मद शमीम, उनकी पत्नी सीमा प्रवीण और यह पूरा परिवार अपने घर में तिरंगे पर अशोक चक्र का छापा देने में व्यस्त है. यह परिवार पिछले चार पीढ़ियों से ऐसा कर रहा है. पहले पिता, दादा, परदादा यह काम करते थे. चौथी पीढ़ी ने अब यह काम संभाल रखा है और तिरंगे पर चक्र का छापा का काम पूरी लगन से कर रहा है. कहा तो यह भी जाता है कि यह रंगरेज परिवार अंग्रेजों के जमाने से तिरंगे पर चक्र का छापा देने का काम करता रहा है. फिलहाल वर्तमान में चौथी पीढ़ी अपने पुरखों के छोड़े गए दायित्व का निर्वहन कर रही है.
बिहार के साथ झारखंड से भी आता है डिमांडः गया के मखलोटगंज के मोहम्मद शमीम के परिवार द्वारा तिरंगे पर चक्र का छापा दिए झंडे की सप्लाई बिहार के गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, सासाराम समेत विभिन्न जिलों में होती है. इसके अलावा बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड के समीपवर्ती जिलों में भी सप्लाई की जाती है. वही अशोक चक्र का छापा देने के लिए खादी ग्रामोद्योग, सरकारी विभाग से भी आर्डर आते हैं. उसे पूरी लगन से यह परिवार पूरा करता है और तिरंगे पर चक्र का छापा देकर खादी ग्रामोद्योग से लेकर बिहार झारखंड के जिलों में इसे भेजते हैं.

इस बार 25 हजार तिरंगे कर चुके हैं तैयारः 76 वें स्वतंत्रा दिवस के लिए यह परिवार 25 हजार से अधिक तिरंगे पर अशोक चक्र का छापा (National Flag of India ) लगा चुका है और संबंधित स्थानों पर भेजा जा चुका है. अब भी यह कार्य स्वतंत्रता दिवस को लेकर जारी है. इस तरह मोहम्मद शमीम के परिवार के द्वारा दिया गया अशोक चक्र का छापा वाला तिरंगा झंडा बड़े-बड़े सरकारी भवनों में फहराया जाता है. आज डिजिटल तरीके से भी अशोक चक्र का छापा दिया जाता है, लेकिन वह हाथ से दिए गए इस छापे की बराबरी नहीं कर सकता. नतीजतन आज भी शमीम के परिवार के अशोक चक्र के छापे की डिमांड हर और रहती है.
पैसा नहीं देश प्रेम का है जूनूनः मोहम्मद शमीम और उसकी पत्नी सीमा परवीन बताती है कि वह तिरंगे में अशोक चक्र का छापा देने का काम करते हैं. यह पिछले चार-पांच पीढ़ियों से लगातार किया जा रहा है. आमदनी के सवाल पर बताते हैं कि वे इसे कारोबार के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि देश के प्रति भक्ति और उससे मिलने वाले सम्मान को ही बहुमूल्य मानते हैं. दूसरे बिजनेस में लाभ की जरूर सोचते हैं, पर तिरंगे पर अशोक चक्र का छापा में लाभ या हानि हम लोगों का परिवार नहीं देखता है. पूर्व की पीढ़ी वाला परिवार भी ऐसा ही करता था. इस तरह हमारा परिवार देश के प्रति भक्ति और सम्मान पाने के लिए ही ऐसा पीढ़ी दर पीढ़ी कर रहा है.

गया में सिर्फ इसी घर में होता है अशोक चक्र का छापाः परिवार के लोग बताते हैं कि गया में सिर्फ इसी घर में अशोक चक्र का छापा तिरंगे में दिया जाता है. यह हमारे लिए गर्व की बात है. हाथों से दिया जाने वाला अशोक चक्र का छापा पीढ़ियों से विरासत में मिली है. छापा करीब 6-7 दशक पुराना है. यह विभिन्न साइजों में है. वहीं महात्मा गांधी के चरखे के रूप में भी छापा यहां मौजूद है. परिवार के लोग बताते हैं कि इस तरह का छापा अब मिलना नामुमकिन है और परिवार के लोग विरासत के रूप में इसकी हिफाजत करते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी तिरंगे पर छापा देने का काम कर रहे है. मोहम्मद सलीम बताते हैं कि इस देश के प्रति प्रेम वाले इस काम को हमारे बच्चे भी आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं.

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Last Updated : Aug 14, 2022, 7:06 AM IST
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