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गया में लगा देश का 10वां GPS रेडियो विंड मशीन, 3 राज्यों के मौसम की मिल रही सटीक जानकारी - बिहार न्यूज

देश का दसवां जीपीएस सिस्टम से लैस रेडियो विंड मशीन गया(GPS Built 10th Radio Wind Machine ) में लगाया है. यह बिहार ही नहीं पड़ोसी राज्य झारखंड और पश्चिम बंगाल के लिए भी सतह से 20 किलोमीटर ऊपर मौसम के हर एक मूवमेंट को रिकार्ड करने में सक्षम है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jun 27, 2022, 10:37 PM IST

गयाः बिहार के गया मौसम विज्ञान केंद्र की अहमियत अब और बढ़ गई है. यहां से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लिए सतह से 20 किलोमीटर ऊपर हवा का मूवमेंट रिकॉर्ड किया जाएगा. देश भर में अभी 9 शहरों में यह मशीन लगी है. गया 10वां शहर है, जहां जीपीएस सिस्टम से लैस रेडियो विंड मशीन (GPS Built 10th Radio Wind Machine Installed in Gaya) लगाया गया है. यह मौसम की पल-पल की अपडेट जानकारी देने में सक्षम है.

पढ़ें-Gaya Airport के लिए 'गे' कोड अनुचित, सरकार को बदलाव करना चाहिए : संसदीय पैनल

"जीपीएस सिस्टम से लैस रेडियो विंड मशीन लैटेस्ट है. जीपीएस के थ्रू में काम करता है. जिससे ऊंचाई के संबंध में जानकारी प्राप्त हो जाती है. सतह से 18 से 20 किलोमीटर तक का एरिया में यह काम करता है. वायुमंडल में अलग-अलग लेयर मिलते हैं. इसकी सही जानकारी मिल जाती है. वायुमंडल परिवर्तित होती है और 20 से 22 किलोमीटर तक जीपीएस युक्त नई विंड मशीन के रेंज में होता है. इसमें यह सिस्टम वहां तक काम करता है. यह एक बड़ी पहल है." मुकेश कुमार, साइंटिफिक असिस्टेंट, मौसम विज्ञान केंद्र गया



"मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक शैलेंद्र पटेल ने बताया कि देश का यह दसवां गया में ऐसा सिस्टम लगा है. जीपीएस युक्त रेडियो विंड मशीन लगाई गई है. बताया कि यह मशीन बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल को कैप्चर करेगी और इन एरिया में सतह से 20 किलोमीटर ऊपर हवा का मूवमेंट रिकॉर्ड किया जा रहा है." शैलेंद्र पटेल, मौसम वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान केन्द्र, गया


गया एयरपोर्ट परिसर में लगाई गई है रेडियो विंड मशीनः गया एयरपोर्ट परिसर में रेडियो विंड मशीन लगाई गई है. इस परिसर में गया मौसम विज्ञान केंद्र अवस्थित है. रेडियो विंड मशीन जीपीएस सिस्टम से युक्त है. मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की मानें तो यह मशीन जीपीएस सिस्टम से लैस है. एक बैलून में 'पायलट सेंनडे' ट्रांसमिशन को रख छोड़ देना है. इसके बाद बाकी का सारा काम सिस्टम खुद कर लेती है.



मौसम की मिलेगी सटीक जानकारीः गर्मी, ठंड, बरसात सभी मौसम में सतह से 20 किलोमीटर ऊपर हवा की गति दिशा और प्रेशर तीनों चीजों का प्रारूप प्रति सेकंड मिलता रहेगा. यह बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल का पहला शहर है, जहां हवा के हर लेयर का डाटा उपलब्ध होगा.

पूरा सिस्टम ऑटोमेटिकः बता दें कि इससे पहले मैनुअल तरीके से विंड की स्पीड और डायरेक्शन को ट्रैक किया जाता था. इसके लिए एक बैलून को हवा में छोड़ा गया था. इसके बाद टेलीस्कोप के जरिए इसे ट्रैक पर हवा की जानकारी ली जाती थी. किंतु अब यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक सिस्टम से हवा की निगरानी होगी. इस सिस्टम के लगने से प्रति सेकंड हवा के मूवमेंट का पता लगाया जा सकेगा.


गया देश का दसवां शहर, जहां लगी है यह मशीनः मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो देश में अभी 9 स्थानों पर जीपीएस सिस्टम से लैस रेडियो विंड मशीन लगाई गई है. गया 10 वां शहर है, जहां इसका शुभारंभ किया गया है. बड़ी बात यह है कि बिहार, झारखंड और बंगाल में गया पहला शहर है.

3 राज्यों का डॉटा होगा स्टोरः मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक इस मशीन के लगने से डाटा क्वालिटी काफी अच्छी हो गई है. इस मशीन का निर्माण चेन्नई में हुआ है. मेक इन इंडिया का यह प्रोडक्ट है. नई मशीन से फोरकास्ट काफी बेहतर होगा. पुराने तरीके से ठंड के समय खासकर आसमान में कोहरे के कारण काफी परेशानी होती थी. घने कोहरे से बैलून टेलिस्कोप में नहीं दिखाई देता था, लेकिन अब यह समस्या नहीं होगी. नई पहल से यहां का फोरकास्ट काफी सटीक होगा.

पढ़ें-सिंधिया से मिले संतोष मांझी, गया से अंतरराष्ट्रीय और दिल्ली-मुंबई के लिए विमान शुरू करने की मांग

गयाः बिहार के गया मौसम विज्ञान केंद्र की अहमियत अब और बढ़ गई है. यहां से बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लिए सतह से 20 किलोमीटर ऊपर हवा का मूवमेंट रिकॉर्ड किया जाएगा. देश भर में अभी 9 शहरों में यह मशीन लगी है. गया 10वां शहर है, जहां जीपीएस सिस्टम से लैस रेडियो विंड मशीन (GPS Built 10th Radio Wind Machine Installed in Gaya) लगाया गया है. यह मौसम की पल-पल की अपडेट जानकारी देने में सक्षम है.

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"जीपीएस सिस्टम से लैस रेडियो विंड मशीन लैटेस्ट है. जीपीएस के थ्रू में काम करता है. जिससे ऊंचाई के संबंध में जानकारी प्राप्त हो जाती है. सतह से 18 से 20 किलोमीटर तक का एरिया में यह काम करता है. वायुमंडल में अलग-अलग लेयर मिलते हैं. इसकी सही जानकारी मिल जाती है. वायुमंडल परिवर्तित होती है और 20 से 22 किलोमीटर तक जीपीएस युक्त नई विंड मशीन के रेंज में होता है. इसमें यह सिस्टम वहां तक काम करता है. यह एक बड़ी पहल है." मुकेश कुमार, साइंटिफिक असिस्टेंट, मौसम विज्ञान केंद्र गया



"मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक शैलेंद्र पटेल ने बताया कि देश का यह दसवां गया में ऐसा सिस्टम लगा है. जीपीएस युक्त रेडियो विंड मशीन लगाई गई है. बताया कि यह मशीन बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल को कैप्चर करेगी और इन एरिया में सतह से 20 किलोमीटर ऊपर हवा का मूवमेंट रिकॉर्ड किया जा रहा है." शैलेंद्र पटेल, मौसम वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान केन्द्र, गया


गया एयरपोर्ट परिसर में लगाई गई है रेडियो विंड मशीनः गया एयरपोर्ट परिसर में रेडियो विंड मशीन लगाई गई है. इस परिसर में गया मौसम विज्ञान केंद्र अवस्थित है. रेडियो विंड मशीन जीपीएस सिस्टम से युक्त है. मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की मानें तो यह मशीन जीपीएस सिस्टम से लैस है. एक बैलून में 'पायलट सेंनडे' ट्रांसमिशन को रख छोड़ देना है. इसके बाद बाकी का सारा काम सिस्टम खुद कर लेती है.



मौसम की मिलेगी सटीक जानकारीः गर्मी, ठंड, बरसात सभी मौसम में सतह से 20 किलोमीटर ऊपर हवा की गति दिशा और प्रेशर तीनों चीजों का प्रारूप प्रति सेकंड मिलता रहेगा. यह बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल का पहला शहर है, जहां हवा के हर लेयर का डाटा उपलब्ध होगा.

पूरा सिस्टम ऑटोमेटिकः बता दें कि इससे पहले मैनुअल तरीके से विंड की स्पीड और डायरेक्शन को ट्रैक किया जाता था. इसके लिए एक बैलून को हवा में छोड़ा गया था. इसके बाद टेलीस्कोप के जरिए इसे ट्रैक पर हवा की जानकारी ली जाती थी. किंतु अब यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक सिस्टम से हवा की निगरानी होगी. इस सिस्टम के लगने से प्रति सेकंड हवा के मूवमेंट का पता लगाया जा सकेगा.


गया देश का दसवां शहर, जहां लगी है यह मशीनः मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो देश में अभी 9 स्थानों पर जीपीएस सिस्टम से लैस रेडियो विंड मशीन लगाई गई है. गया 10 वां शहर है, जहां इसका शुभारंभ किया गया है. बड़ी बात यह है कि बिहार, झारखंड और बंगाल में गया पहला शहर है.

3 राज्यों का डॉटा होगा स्टोरः मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक इस मशीन के लगने से डाटा क्वालिटी काफी अच्छी हो गई है. इस मशीन का निर्माण चेन्नई में हुआ है. मेक इन इंडिया का यह प्रोडक्ट है. नई मशीन से फोरकास्ट काफी बेहतर होगा. पुराने तरीके से ठंड के समय खासकर आसमान में कोहरे के कारण काफी परेशानी होती थी. घने कोहरे से बैलून टेलिस्कोप में नहीं दिखाई देता था, लेकिन अब यह समस्या नहीं होगी. नई पहल से यहां का फोरकास्ट काफी सटीक होगा.

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