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जर्मनी से पिंडदान करने गयाजी पहुंचे दंपत्ति, कहा- यहां पितरों को मिलेगा मोक्ष

जर्मनी से अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने पहुंची अंजली मेहता ने कहा कि वह वैदिक धर्म से बहुत प्रभावित हुई है. इसी वजह से वह परेशानियों और प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए पिंडदान करने गयाजी आई है.

जर्मन
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Published : Sep 23, 2019, 11:39 PM IST

गया: मोक्ष की नगरी गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले में विदेशों से भी लोग पहुंच रहे हैं. पितृपक्ष के 11वें दिन अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने जर्मनी के दंपत्ति गया पहुंचे, और पिंडदान किया. जर्मनी से आई महिला तीर्थयात्री अंजली मेहता ने विष्णुपद मंदिर के प्रांगण में अपने पितरों के लिए पिंडदान किया.

'पितरों की आत्मा को मुक्ति गया में ही संभव'
इस दौरान अंजली मेहता ने कहा कि वह वैदिक धर्म से बहुत प्रभावित हुई है. इसी वजह से वह परेशानियों और प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए पिंडदान करने गया आई है. उनका मानना है कि पितरों की आत्मा की मुक्ति गया में ही संभव है. ऐसी मान्यता है कि गया भगवान विष्णु की नगरी है. विष्णु पुराण के अनुसार यहां पूर्ण श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिलता है.

जर्मनी से आए दंपत्ति ने किया पिंडदान

'मां जर्मन की और पिता भारत के'
अंजली मेहता ने बताया कि उनकी मां जर्मनी की और पिता भारत के मूल निवासी हैं. उन्होंने खुद को आधी जर्मन और आधी हिन्दुस्तानी बताया. उन्होंने कहा कि यहां आकर पिंडदान करने के बाद उन्हें काफी अच्छा महसूस हो रहा है. उन्होंने यहां की सफाई व्यवस्था की भी काफी तारीफ की.

गया: मोक्ष की नगरी गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले में विदेशों से भी लोग पहुंच रहे हैं. पितृपक्ष के 11वें दिन अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने जर्मनी के दंपत्ति गया पहुंचे, और पिंडदान किया. जर्मनी से आई महिला तीर्थयात्री अंजली मेहता ने विष्णुपद मंदिर के प्रांगण में अपने पितरों के लिए पिंडदान किया.

'पितरों की आत्मा को मुक्ति गया में ही संभव'
इस दौरान अंजली मेहता ने कहा कि वह वैदिक धर्म से बहुत प्रभावित हुई है. इसी वजह से वह परेशानियों और प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए पिंडदान करने गया आई है. उनका मानना है कि पितरों की आत्मा की मुक्ति गया में ही संभव है. ऐसी मान्यता है कि गया भगवान विष्णु की नगरी है. विष्णु पुराण के अनुसार यहां पूर्ण श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिलता है.

जर्मनी से आए दंपत्ति ने किया पिंडदान

'मां जर्मन की और पिता भारत के'
अंजली मेहता ने बताया कि उनकी मां जर्मनी की और पिता भारत के मूल निवासी हैं. उन्होंने खुद को आधी जर्मन और आधी हिन्दुस्तानी बताया. उन्होंने कहा कि यहां आकर पिंडदान करने के बाद उन्हें काफी अच्छा महसूस हो रहा है. उन्होंने यहां की सफाई व्यवस्था की भी काफी तारीफ की.

Intro:जर्मन से आए दंपत्ति में अपने पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिये किया पिंडदान ।
Body:गया: इन दिनों विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला में भगवान विश्व की धरती गया में लोगों की भीड़ उमड़ी हुई है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पितृपक्ष में पितरों को मोक्ष दिलाने के पिंडदान करते हैं। स्नातन धर्म में मान्यता है कि पिंडदान करने से पुरखों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी क्रम में रविवार को जर्मनी से आए महिला तीर्थयात्री अंजली मेहता ने विष्णुपद मंदिर के प्रांगण में अपने पितरों के लिए पिंडदान किया।
इस दौरान अंजली मेहता ने कहा कि वैदिक धर्म से बेहद प्रभावित हैं और इसी वजह से परेशानियों और प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए वो पिंडदान करने गया आईं हैं। अपने पितरों के पिंडदान को लेकर विश्वास बढ़ा है और उनका मानना है कि पितरों की आत्माओं की मुक्ति गया में ही संभव है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि गया भगवान विष्णु का नगर है और विष्णु पुराण के अनुसार यहां पूर्ण श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष मिलता है। उन्होंने यह भी बताया कि मेरी मां जर्मनी पिता भारतीय मूल के निवासी हैं। अपने पितरों के प्रति पिंडदान किया हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पिंडदान करने के बाद मैं बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं । यहां की साफ सफाई व्यवस्था भी बहुत अच्छी है।

बाइट- अंजली मेहता, पिंडदानी।

रिपोर्ट- प्रदीप कुमार सिंह
गया
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