गया: बिहार के गया में भस्मकूट पर्वत पर स्थित मां मंगला गौरी का मंदिर (Gaya Mangla gauri mandir famous as Shaktipeeth) विराजमान है. देश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से यह एक है. शक्तिपीठ मां मंगलागौरी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है. मान्यता है कि यहां मां सती का वक्ष स्थल (स्तन) गिरा था (mata satis chest fell on bhasmakoot mountain ), जिस कारण यह शक्तिपीठ 'पालनहार पीठ' या 'पालनपीठ' के रूप में प्रसिद्ध है. यहां सदियों से अखंड ज्योति जलती है.
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शक्ति पीठ मां मंगला गौरी मंदिर : बिहार के गया शहर से कुछ ही दूरी पर भस्मकूट पर्वत पर स्थित शक्तिपीठ मां मंगलागौरी मंदिर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है. मान्यता है कि यहां मां सती का वक्ष स्थल (स्तन) गिरा था, जिस कारण यह शक्तिपीठ 'पालनहार पीठ' या 'पालनपीठ' के रूप में प्रसिद्ध है.
भस्मकूट पर्वत पर गिरा था माता सती का वक्ष स्थल : गया के भस्मकूट पर्वत पर स्थित शक्तिपीठ मां मंगला गौरी मंदिर है, जहां भक्तों का तांता लग जाता है. मान्यता है कि यहां मां सती का वक्ष स्थल (स्तन) गिरा था, जिस कारण यह शक्ति पीठ पालनहार पीठ के रूप में प्रसिद्ध है. बताया जाता है कि भगवान शिव जब अपनी पत्नी सती के जले हुए शरीर को लेकर आकाश में व्याकुल होकर घूम रहे थे, तो माता सती के शरीर के 54 टुकड़े देश के विभिन्न हिस्सों में गिरे थे. इन स्थानों को शक्तिपीठों के रूप में जाना जाता है. इन्हीं में से एक है गया का मंगला गौरी मंदिर. 54 टुकड़ों में वक्षस्थल यहां गिरा था.
यहां सदियों से जलती रही है अखंड ज्योति: यहां के गर्भ गृह में काफी अंधेरा रहता है, परंतु यहां सदियों से एक दीप प्रज्वलित हो रहा है. कहा जाता है यह कभी नहीं बुझता है. नवरात्र के शुरू होते ही मंगला गौरी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. भक्त माता का दर्शन कर रहे हैं. यहां की मान्यता है कि दिल से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है. माता अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती.
''दक्ष प्रजापति ने बड़े यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया था, जिससे वे उदास होकर कैलाश पर्वत पर चले गए थे. माता सती ने अंतर्यामी रूप से उनके उदास होने का कारण जान लिया और भगवान शिव से जिद करने लगे कि वे यज्ञ में शामिल होने जाएगी. भगवान शिव के मना करने के बाद भी वहां गई तो वहां भी उनका सत्कार अपेक्षा अनुरूप नहीं हुआ तो उन्होंने अग्नि को प्रज्वलित किया और उसमें चली गई. इसके बाद भगवान शिव इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने उनके शरीर को लेकर तांडव रूप दिखाना शुरू कर दिया. भगवान शिव का क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से माता सती के शरीर के टुकड़े किए. यह टुकड़े जहां-जहां गिरे वह स्थल शक्ति पीठ के रूप में विराजमान हो गया. उन्हीं में से एक गया का प्रसिद्ध मंगला गौरी मंदिर है, जहां माता का वक्ष स्थल गिरा और यह शक्ति पीठ पालनहार पीठ के रूप में जाना जाता है.'' - मनोज पाठक, पुजारी, मां मंगला गौरी मंदिर
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