गया: बिहार में नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दी गई है. इसकी नई तिथि फिर से जारी की जाएगी. इसके बीच गया जिले में नगर निगम और नगर पंचायत का नामांकन करा चुके प्रत्याशियों में घोर निराशा (Candidates Upset due to Ban on Municipal Elections) छाई हुई है. नगर निकाय चुनाव पर रोक के बाद प्रत्याशी परेशान हो गए हैं. उन्हें अब डबल खर्च का डर सताने लगा है. आर्थिक रूप से कमजोर प्रत्याशियों की स्थिति और भी बुरी हुई है.
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नामांकन के बाद मिल गया था चुनाव चिह्नः प्रत्याशियों को नामांकन के बाद चुनाव चिह्न तक मिल गया था. लोगों ने पोस्टर-बैनर, पेंपफ्लेट आदि छपवा लिया था. ऐसे में चुनाव पर रोक लगने के बाद इन प्रत्याशियों का परेशान होना लाजमी है. गया में नगर निकाय चुनाव के तहत गया नगर निगम और नगर पंचायतों में चुनाव होने थे. दो फेज में वोटिंग की तारीख तय की गई थी. पहले फेज में 10 अक्टूबर को ही नगर पंचायत के लिए वोट डाले जाने थे. वहीं 20 अक्टूबर को गया नगर निगम के लिए वोटिंग की तारीख तय थी. किंतु ऐन वक्त पर बिहार में नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दी गई.
53 वार्डों के लिए 301 प्रत्याशियों ने किया था नामांकनः गया में नगर निगम चुनाव को लेकर 53 वार्ड से इस बार 301 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था. वहीं मेयर पद के लिए 30 तो डिप्टी मेयर पद के लिए 11 ने नामांकन दाखिल किया था. इस बार डिप्टी मेयर मेयर का पद आरक्षित कर दिए जाने के बाद वर्तमान डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव समेत सालों से तैयारियों में जुटे सामान्य वर्ग के कई प्रत्याशी कोर्ट चले गए थे. इसके बीच अचानक कोर्ट का नगर निकाय चुनाव पर रोक का बड़ा फैसला आया.
पहले चरण के चुनाव से ठीक पहले आया आदेशः बिहार नगर निकाय चुनाव में आरक्षण की अनदेखी और जारी रोस्टर में गड़बड़ी मामले में पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रथम यानि 10 अक्टूबर और द्वितीय चरण यानि 20 अक्टूबर को होने वाले निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया. चुनाव से चंद दिन पहले ही हाईकोर्ट का रोक का निर्देश आया और सारी तैयारी धरी रह गई. चुनाव स्थगित होने से चुनाव तैयारियों में दिन रात लगे प्रत्याशियों में काफी निराशा है. अब आगे क्या होगा, चुनाव प्रक्रिया फिर से कैसे प्रारंभ होगी, इसे लेकर प्रत्याशियों में संशय बना हुआ है.
प्रत्याशियों को होगा भारी नुकसानः गया नगर निगम वार्ड 43 के पार्षद प्रत्याशी विनोद यादव ने कहा कि चुनाव को लेकर सारी तैयारी कर ली गई थी. पोस्टर-पंपलेट व बैनर में भी काफी खर्चा हुआ. अब अगर सिंबल व क्रमांक संख्या चेंज हुआ तो प्रत्याशियों का भारी नुकसान होगा. उन्होंने चुनाव आयोग से अपील किया है कि जो सिंबल और क्रमांक संख्या दिया गया है, उसे अगले बार जारी आदेश में बरकरार रखा जाए. ताकि प्रत्याशियों का राशि नुकसान न हो सके.
"कोर्ट से चुनाव पर रोक का फैसला आने के बाद सारी तैयारियां धरी रह गई. लोगों को सिंबल मिल गया था और बैनर-पोस्टर तक बनवा लिया था. ऐसे में अब प्रत्याशियों को नुकसान उठाना ही पड़ेगा" - विनोद यादव, वार्ड प्रत्याशी
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