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DMCH पर चिदंबरम का नीतीश कुमार पर हमला- कभी दरभंगा गए भी हैं क्या ? - चिदंबरम का नीतीश कुमार से सवाल

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जर्जर और बदहाल सर्जिकल भवन को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार को निशाने पर लिया है.

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डीएमसीएच पर चिदंबरम का नीतीश कुमार से सवाल
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Published : May 16, 2021, 8:39 AM IST

नई दिल्ली/पटनाः पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने बिहार के CM नीतीश कुमार पर करारा हमला बोला है. कांग्रेस के नेता ने बिहार के दरभंगा में स्थित दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जर्जर और बदहाल सर्जिकल भवन का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार को घेरा है. पी. चिदंबरम ने ट्वीट करके नीतीश कुमार से पूछा है कि क्या वे कभी दरभंगा गए भी हैं?

इसे भी पढ़ेंः दरभंगा के DMCH का हाल, जर्जर अस्पताल में हो रहा कोरोना मरीजों का इलाज

चिदंबरम ने नीतीश कुमार को घेरा
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने डीएमसीएच को लेकर एक निजी टीवी चैनल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दरभंगा सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के भवन की स्थिति पर प्रसारित कहानी चौंकाने वाली और निंदनीय है. उन्होंने नीतीश कुमार से सवाल पूछते हुए ट्विटर पर लिखा कि 15 साल से अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान क्या उन्होंने कभी भी दरभंगा जाकर डीएमसीएच के हालात को जानने का प्रयास किया है? क्या उन्हें अस्पताल के हाल के बारे में पता भी है?'

बता दें कि मिथिलांचल क्षेत्र की लाइफलाइन कहा जाने वाला दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पिछले कई सालों से खुद लाइफ सपोर्ट पर चल रहा है. इस अस्पताल के सर्जिकल भवन को भवन निर्माण विभाग ने कई दफा खाली करने का निर्देश जारी किया मगर अभी भी यहां मरीजों का इलाज चल रहा है.

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डीएमसीएच का सर्जिकल भवन

भगवान भरोसे मरीज
डीएमसीएच अस्पताल अब तक कई भूकंपों को झेल चुका है और इस कारण से इसकी नींव पूरी तरह से खोखली हो चुकी है, फिर भी जान जोखिम में डालकर मरीज अपना इलाज करवाने यहां पहुंचते हैं. डीएमसीएच प्रशासन ने जर्जर सर्जिकल भवन के अधिकांश भाग से मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया, लेकिन इसके बावजूद इसी भवन में बने सीसीडब्ल्यू वार्ड में आज भी मरीजों का इलाज हो रहा है.

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मरीजों के संग खिलवाड़

कभी भी ढह सकता है भवन
इसी जर्जर भवन के एक हिस्से में डीएमसीएच का ब्लड बैंक संचालित है. साथ ही इस भवन में कई जांच घर भी चलते हैं. जर्जर भवन होने की वजह से मरीज, उनके परिजन और इस भवन में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मी और चिकित्सक जान जोखिम में डालकर काम करते हैं.

एक ही वार्ड में सामान्य और कोरोना मरीज
डीएमसीएच में दरभंगा समेत आसपास के कई जिलों के मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं. कोरोना महामारी में इस अस्पताल में 100 से भी ज्यादा पॉजिटिव मरीजों का इलाज भी चल रहा है. डीएमसीएच के सर्जिकल भवन में चल रहे सीसीडब्ल्यू वार्ड में सामान्य मरीज के साथ ही कोरोना मरीज भी भर्ती हैं. इस वजह से सामान्य मरीजों में भी कोरोना का खतरा बना रहता है. कोरोना काल में जब अस्पताल और बेड का भारी संकट है तो ऐसे में गरीब मरीजों का एकमात्र बड़ा सहारा डीएमसीएच ही है.

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जर्जर और बदहाल सर्जिकल भवन

मजबूरी में जर्जर भवन में करवा रहे इलाज
गरीब मरीज और उनके परिजन बेबसी में जान जोखिम में डालकर इस जर्जर सर्जिकल भवन में इलाज कराते हैं. पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने डीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. मणि भूषण शर्मा से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.

मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कार्य भी अधूरा
डीएमसीएच के जर्जर सर्जिकल भवन की हालात को देखते हुए 2016 में केंद्र और बिहार सरकार के साझा सहमति से 160 करोड़ की लागत से मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन जिस अस्पताल को 2018 तक बनकर तैयार हो जाना चाहिए था उसका निर्माण कार्य ढाई साल के बाद भी अब तक पूरा नहीं हो सका है.

नई दिल्ली/पटनाः पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने बिहार के CM नीतीश कुमार पर करारा हमला बोला है. कांग्रेस के नेता ने बिहार के दरभंगा में स्थित दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जर्जर और बदहाल सर्जिकल भवन का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार को घेरा है. पी. चिदंबरम ने ट्वीट करके नीतीश कुमार से पूछा है कि क्या वे कभी दरभंगा गए भी हैं?

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चिदंबरम ने नीतीश कुमार को घेरा
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने डीएमसीएच को लेकर एक निजी टीवी चैनल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दरभंगा सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के भवन की स्थिति पर प्रसारित कहानी चौंकाने वाली और निंदनीय है. उन्होंने नीतीश कुमार से सवाल पूछते हुए ट्विटर पर लिखा कि 15 साल से अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान क्या उन्होंने कभी भी दरभंगा जाकर डीएमसीएच के हालात को जानने का प्रयास किया है? क्या उन्हें अस्पताल के हाल के बारे में पता भी है?'

बता दें कि मिथिलांचल क्षेत्र की लाइफलाइन कहा जाने वाला दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पिछले कई सालों से खुद लाइफ सपोर्ट पर चल रहा है. इस अस्पताल के सर्जिकल भवन को भवन निर्माण विभाग ने कई दफा खाली करने का निर्देश जारी किया मगर अभी भी यहां मरीजों का इलाज चल रहा है.

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डीएमसीएच का सर्जिकल भवन

भगवान भरोसे मरीज
डीएमसीएच अस्पताल अब तक कई भूकंपों को झेल चुका है और इस कारण से इसकी नींव पूरी तरह से खोखली हो चुकी है, फिर भी जान जोखिम में डालकर मरीज अपना इलाज करवाने यहां पहुंचते हैं. डीएमसीएच प्रशासन ने जर्जर सर्जिकल भवन के अधिकांश भाग से मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया, लेकिन इसके बावजूद इसी भवन में बने सीसीडब्ल्यू वार्ड में आज भी मरीजों का इलाज हो रहा है.

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मरीजों के संग खिलवाड़

कभी भी ढह सकता है भवन
इसी जर्जर भवन के एक हिस्से में डीएमसीएच का ब्लड बैंक संचालित है. साथ ही इस भवन में कई जांच घर भी चलते हैं. जर्जर भवन होने की वजह से मरीज, उनके परिजन और इस भवन में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मी और चिकित्सक जान जोखिम में डालकर काम करते हैं.

एक ही वार्ड में सामान्य और कोरोना मरीज
डीएमसीएच में दरभंगा समेत आसपास के कई जिलों के मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं. कोरोना महामारी में इस अस्पताल में 100 से भी ज्यादा पॉजिटिव मरीजों का इलाज भी चल रहा है. डीएमसीएच के सर्जिकल भवन में चल रहे सीसीडब्ल्यू वार्ड में सामान्य मरीज के साथ ही कोरोना मरीज भी भर्ती हैं. इस वजह से सामान्य मरीजों में भी कोरोना का खतरा बना रहता है. कोरोना काल में जब अस्पताल और बेड का भारी संकट है तो ऐसे में गरीब मरीजों का एकमात्र बड़ा सहारा डीएमसीएच ही है.

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जर्जर और बदहाल सर्जिकल भवन

मजबूरी में जर्जर भवन में करवा रहे इलाज
गरीब मरीज और उनके परिजन बेबसी में जान जोखिम में डालकर इस जर्जर सर्जिकल भवन में इलाज कराते हैं. पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने डीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. मणि भूषण शर्मा से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.

मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कार्य भी अधूरा
डीएमसीएच के जर्जर सर्जिकल भवन की हालात को देखते हुए 2016 में केंद्र और बिहार सरकार के साझा सहमति से 160 करोड़ की लागत से मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन जिस अस्पताल को 2018 तक बनकर तैयार हो जाना चाहिए था उसका निर्माण कार्य ढाई साल के बाद भी अब तक पूरा नहीं हो सका है.

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