दरभंगा: जिले में एक साथ, एक दिन में 100 पंचायत के अन्तर्गत केवटी में 12 पंचायत में बैठक का आयोजन किया. यह बैठक दड़िमा स्थित अनन्त चित्रगुप्त भवन परिसर में प्रखंड सचिव प्रदीप झा के नेतृत्व में मिथिलावादी विचारधारा को मजबूती के लिए किया गया.
पलायन होने पर मजबूर
जिला प्रखंड के को-ऑर्डिनेटर राजन और उपाध्यक्ष कन्हैया और आफताब ने कहा कि बैठक के मुख्य उद्देश्य गांव-गांव की सम्पनता को लेकर अविकसित निति अदूरदर्शी नीति के खिलाफ युवाओं को जागरूक करना है. इसके साथ ही युवाओं के माध्यम से गांव के विकास की बात करना है. सर्वविदित है कि पिछले 30 सालों की बिहार सरकार ने गांव की सम्पनता को छिनने का काम किया है. शिक्षा व्यवस्था को गर्त में मिलाने का काम किया है. स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार के लिए लोगों को पलायन का शिकार होने पर मजबूर किया है.
गरीब और आम जनता परेशान
मिथिला स्टूडेंट यूनियन लगातार एक विकसित मिथिला की परिकल्पना को लेकर ‘मिथिला विकास बोर्ड’ और अन्य मांगों के साथ मिथिला के आमजन और समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों का मुखर आवाज केंद्र और राज्य सरकार के समक्ष मांगो को मजबूती से रखती आ रही हैं. वहीं प्रिय रंजन झा और त्रिभुवन पांडेय ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे यहां के विजनलेस अदूरदर्शी सोच वाले जनप्रतिनिधि अपनी दाबेदारी और जीतकर जनता के वोटों का सौदा कर आम जनता, मध्य्मवर्ग, गरीब परिवार को भुखमरी, गरीबी, पलायन, कुव्यवस्था, अशिक्षा और अराजकता का सौगात देने का काम करती हैं. गांव के किसानों की बदहाली, उवर्रक, खाद-बीज और कृषि क्षेत्र, नहर और डैम (पानी संरक्षण) की न सोचकर यहां के भोली-भाली जनता और किसान को बाढ़ और सुखाड़ का दंश/विभीषिका का सौगात देती है.
छात्र शिक्षा माफिया के शिकार
ग्रामीण इलाके के छात्र ओजस्वी और मेहनती हैं, लेकिन यहां के छात्रों का दुर्भाग्य है कि उन्हें अच्छी शिक्षा के लिए शिक्षा माफिया और प्राइवेट स्कूल और कोचिंग संस्थानों का शिकार होना पड़ता है. उच्च शिक्षा के लिए उन्हें अन्य जगह पलायित करके पढ़ाई करना पड़ता है. प्राथिमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिए उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की काम करती है.
सरकार उद्योग नीति पर नहीं करती विचार
इस बैठक को संबोधित करते हुए प्रदीप झा ने कहा कि वर्तमान सरकार और पूर्व सरकार की उद्योग नीति को लेकर कोई सोच ही नहीं है. इसका कारण यह है कि इस क्षेत्र को सस्ता मजदूर का केंद्र बना दिया गया है. यहां के मात्र 5% से भी कम लोग उद्योग के कारण काम कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि लगभग 30 सालों में एक भी उद्योग का नहीं लगना है.
मिथिलावादी विचार रखने वाले उम्मीदवार चुनने का काम
इस वर्ष विधानसभा चुनाव में मिथिलावादी विचारधारा के प्रेरक मिथिला विकास बोर्ड और मिथिला के गांव-गांव तक विकास की किरण की सोच रखने वाले मिथिलावादी को चुनने का काम करेगें. इस वर्ष विधानसभा चुनाव में विजनलेस,अकर्मण्य, भ्रष्टाचारी और अविकसित सोच वाले जनप्रतिनिधियों के बदले मिथिलावादी विचार रखने वाले उम्मीदवार को चुनने का काम करेंगे.