दरभंगा: बिहार के दरभंगा में पूर्व सांसद और तृणमूल कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद (Darbhanga Former MP and TMC Leader Kirti Azad) ने भू-माफिया द्वारा तीन लोगों को जिंदा जला कर मारने की घटना के दोषियों को फांसी देने की मांग की है. उन्होंने इस वारदात में पुलिस, बिजली विभाग और दरभंगा राज के कुमार कपिलेश्वर सिंह पर कई सवाल खड़े किए हैं. कीर्ति आजाद ने इस घटना की जांच किसी सेवानिवृत्त जस्टिस से कराए जाने की मांग की है. डीएसपी के नेतृत्व में बनाई गई एसआईटी को खारिज कर दिया है.
'10 फरवरी को जघन्य अपराध दरभंगा में हुआ. वह मानवता को शर्मसार करता है. हैवानियत भी इस पर शर्मा जाए. जिस समय इस वारदात को अंजाम दिया जा रहा था. उस समय 10 मिनट के लिए बिजली चली गई थी. यह महज संयोग नहीं हो सकता. पुलिस प्रशासन और बिजली महकमे पर बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न लगता है कि उस समय ये सभी लोग कहां थे. इस घटना में एसआईटी की जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस से कराई जानी चाहिए.' - कीर्ति आजाद, दरभंगा के पूर्व सांसद
उन्होंने कहा कि कमिश्नर और आईजी स्तर से नीचे की जांच नहीं होनी चाहिए. इसमें डीएसपी क्या करेंगे. कीर्ति आजाद ने कहा कि इस जांच की समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए. इस मामले में सभी आरोपियों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. दरभंगा राज की संपत्ति के ट्रस्ट के बारे में चर्चा करते हुए कीर्ति आजाद ने कहा कि वे इस मामले की छानबीन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल 20 फरवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट ने इसकी तीन सदस्यीय कमेटी को भंग कर नई कमेटी बना दी थी. साथ ही कोर्ट ने छोटे कुमार पर 10 लाख का जुर्माना लगाया था.
क्योंकि उन्होंने कोर्ट की अवमानना की थी. दरअसल, दरभंगा राज की संपत्ति की देखरेख करनेवाला ट्रस्ट कलकत्ता हाईकोर्ट के न्याय क्षेत्र में आता है. कीर्ति आजाद ने कहा कि दरभंगा राज के छोटे कुमार के माध्यम से वारदात से संबंधित जमीन बिकी. उनकी अपनी सगी मौसेरी बहन, उसके पेट में पल रहा बच्चा और उनके मौसेरे भाई इस वारदात में अपने प्राणों की आहुति दे गए. उनका कत्ल कर दिया गया. उनको जिंदा जला दिया गया.
उन्होंने कहा कि इस वारदात में बहुत ऊपर तक लोगों का हाथ है. पुलिस की खुद ही इसमें साठगांठ है. इस घटना के बारे में एसएसपी को मालूम था. उनके पास सीसीटीवी फुटेज है. थाने में रिपोर्ट लिखवाई गई थी. थाना प्रभारी को केवल सस्पेंड किया गया जबकि उनको नौकरी से निकाल दिया जाना चाहिए था. दफा 302 का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इसके अंदर राज परिवार, पुलिस प्रशासन और बिजली विभाग समेत जमीन खरीदनेवाले इन सबों को जांच के दायरे में लाकर दफा 302 के तहत इन सभी पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए. जांच का समय निर्धारित होना चाहिए और निर्धारित समय के अंदर इनको फांसी की सजा मिलनी चाहिए.
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