दरभंगा: डीएमसीएच में एम्बुलेंस सेवा बदहाल है. ड्राइवर नहीं होने की वजह से यहां सात एम्बुलेंस पड़े-पड़े सड़ रहे हैं. उत्तर बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के लिये मिथिलांचल ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल तक के मरीज़ आते हैं. लेकिन यहां एंबुलेंस के अभाव से मरीज़ों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
एम्बुलेंस के अभाव में मरीजों की मौत
सुपौल के निर्मली से मरीज लेकर पहुंचे सुनील कुमार ने कहा कि यहां दूर-दराज से आने वाले मरीजों को बहुत परेशानी होती है. अस्पताल का अपना एंबुलेंस नहीं होने की वजह से मनमाना भाड़े पर गाड़ी से मरीज को लाना पड़ता है. पैसे के अभाव में गाड़ी नहीं मिलने पर कई बार मरीज़ की मौत भी हो जाती है. उन्होंने सरकार से एंबुलेंस सेवा देने की मांग की.
ड्राइवर के अभाव में पांच साल से सड़ रहे सात एंबुलेंस
डीएमसीएच में साल 2013-14 तक सात एम्बुलेंस थे. उसके बाद सरकार ने अनुबंध पर काम कर रहे एम्बुलेंस चालकों की सेवा समाप्त कर दी. इसकी वजह से एम्बुलेंस ठप पड़ गये. उसके बाद सरकार ने दोबारा चालकों की बहाली नहीं की. इसकी वजह से सभी एम्बुलेंस पांच साल में पड़े-पड़े खराब हो गये.
अस्पताल अधीक्षक ने स्वीकारा
मामले में अस्पताल अधीक्षक ने भी इस बात को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि बिना ड्राइवर के एम्बुलेंस सेवा देना संभव नहीं है. यहां के सात एम्बुलेंस इसी वजह से खराब हो गए. उन्होंने कहा कि फिलहाल सिविल सर्जन के माध्यम से डायल 102 नंबर के एम्बुलेंस यहां चल रहे हैं, लेकिन वे सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के तहत सुविधा देते हैं. अस्पताल के मरीजों के लिये यहां अपना एक भी एम्बुलेंस नहीं है.