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एम्स का सपना देख रहे DMCH में नहीं है मरीज ले जाने की सुविधा, खराब हो गए हैं 7 एम्बुलेंस

डीएमसीएच में साल 2013-14 तक सात एम्बुलेंस थे. उसके बाद सरकार ने अनुबंध पर काम कर रहे एम्बुलेंस चालकों की सेवा समाप्त कर दी. इसकी वजह से एम्बुलेंस ठप पड़ गये.

DMCH में एम्बुलेंस सेवा बदहाल
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Published : Jul 8, 2019, 10:20 AM IST

Updated : Jul 8, 2019, 10:37 AM IST

दरभंगा: डीएमसीएच में एम्बुलेंस सेवा बदहाल है. ड्राइवर नहीं होने की वजह से यहां सात एम्बुलेंस पड़े-पड़े सड़ रहे हैं. उत्तर बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के लिये मिथिलांचल ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल तक के मरीज़ आते हैं. लेकिन यहां एंबुलेंस के अभाव से मरीज़ों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

darbhanga
एम्बुलेंस की खस्ताहालत

एम्बुलेंस के अभाव में मरीजों की मौत
सुपौल के निर्मली से मरीज लेकर पहुंचे सुनील कुमार ने कहा कि यहां दूर-दराज से आने वाले मरीजों को बहुत परेशानी होती है. अस्पताल का अपना एंबुलेंस नहीं होने की वजह से मनमाना भाड़े पर गाड़ी से मरीज को लाना पड़ता है. पैसे के अभाव में गाड़ी नहीं मिलने पर कई बार मरीज़ की मौत भी हो जाती है. उन्होंने सरकार से एंबुलेंस सेवा देने की मांग की.

darbhanga
खराब पड़े एम्बुलेंस

ड्राइवर के अभाव में पांच साल से सड़ रहे सात एंबुलेंस
डीएमसीएच में साल 2013-14 तक सात एम्बुलेंस थे. उसके बाद सरकार ने अनुबंध पर काम कर रहे एम्बुलेंस चालकों की सेवा समाप्त कर दी. इसकी वजह से एम्बुलेंस ठप पड़ गये. उसके बाद सरकार ने दोबारा चालकों की बहाली नहीं की. इसकी वजह से सभी एम्बुलेंस पांच साल में पड़े-पड़े खराब हो गये.

DMCH में एम्बुलेंस सेवा बदहाल

अस्पताल अधीक्षक ने स्वीकारा
मामले में अस्पताल अधीक्षक ने भी इस बात को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि बिना ड्राइवर के एम्बुलेंस सेवा देना संभव नहीं है. यहां के सात एम्बुलेंस इसी वजह से खराब हो गए. उन्होंने कहा कि फिलहाल सिविल सर्जन के माध्यम से डायल 102 नंबर के एम्बुलेंस यहां चल रहे हैं, लेकिन वे सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के तहत सुविधा देते हैं. अस्पताल के मरीजों के लिये यहां अपना एक भी एम्बुलेंस नहीं है.

दरभंगा: डीएमसीएच में एम्बुलेंस सेवा बदहाल है. ड्राइवर नहीं होने की वजह से यहां सात एम्बुलेंस पड़े-पड़े सड़ रहे हैं. उत्तर बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के लिये मिथिलांचल ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल तक के मरीज़ आते हैं. लेकिन यहां एंबुलेंस के अभाव से मरीज़ों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

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एम्बुलेंस की खस्ताहालत

एम्बुलेंस के अभाव में मरीजों की मौत
सुपौल के निर्मली से मरीज लेकर पहुंचे सुनील कुमार ने कहा कि यहां दूर-दराज से आने वाले मरीजों को बहुत परेशानी होती है. अस्पताल का अपना एंबुलेंस नहीं होने की वजह से मनमाना भाड़े पर गाड़ी से मरीज को लाना पड़ता है. पैसे के अभाव में गाड़ी नहीं मिलने पर कई बार मरीज़ की मौत भी हो जाती है. उन्होंने सरकार से एंबुलेंस सेवा देने की मांग की.

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खराब पड़े एम्बुलेंस

ड्राइवर के अभाव में पांच साल से सड़ रहे सात एंबुलेंस
डीएमसीएच में साल 2013-14 तक सात एम्बुलेंस थे. उसके बाद सरकार ने अनुबंध पर काम कर रहे एम्बुलेंस चालकों की सेवा समाप्त कर दी. इसकी वजह से एम्बुलेंस ठप पड़ गये. उसके बाद सरकार ने दोबारा चालकों की बहाली नहीं की. इसकी वजह से सभी एम्बुलेंस पांच साल में पड़े-पड़े खराब हो गये.

DMCH में एम्बुलेंस सेवा बदहाल

अस्पताल अधीक्षक ने स्वीकारा
मामले में अस्पताल अधीक्षक ने भी इस बात को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि बिना ड्राइवर के एम्बुलेंस सेवा देना संभव नहीं है. यहां के सात एम्बुलेंस इसी वजह से खराब हो गए. उन्होंने कहा कि फिलहाल सिविल सर्जन के माध्यम से डायल 102 नंबर के एम्बुलेंस यहां चल रहे हैं, लेकिन वे सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के तहत सुविधा देते हैं. अस्पताल के मरीजों के लिये यहां अपना एक भी एम्बुलेंस नहीं है.

Intro:दरभंगा। दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल यानि डीएमसीएच को उत्तर बिहार का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल माना जाता है। यहां इलाज के लिये मिथिलांचल ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल तक के मरीज़ आते हैं, लेकिन यहां सबसे ज़रूरी सुविधा एक भी एम्बुलेंस नहीं है। ड्राइवर न होने की वजह से यहां सात एम्बुलेंस पड़े-पड़े सड़ रहे हैं। इससे मरीज़ों को काफी दिक्कत होती है।


Body:एम्बुलेंस नहीं मिलने से होती है मरीज़ों की मौत

सुपौल जिले के निर्मली से मरीज़ को लेकर आये परिजन सुनील कुमार ने कहा कि यहां दूर-दराज से आने वाले मरीजों को बहुत परेशानी होती है। अस्पताल का अपना एंबुलेंस नहीं होने की वजह से मनमाना भाड़े पर गाड़ी से मरीज़ को लाना पड़ता है। पैसे के अभाव में गाड़ी नहीं मिलने पर कई बार मरीज़ की मौत भी हो जाती है। उन्होंने सरकार से एंबुलेंस सेवा देने की मांग की।

ड्राइवर के अभाव में पांच साल से सड़ रहे सात एंबुलेंस

ऐसा नहीं है कि डीएमसीएच में कभी सरकारी एम्बुलेंस की सुविधा थी ही नहीं। यहां वर्ष 2013-14 तक सात एम्बुलेंस हुआ करते थे। उसके बाद सरकार ने अनुबंध पर काम कर रहे एम्बुलेंस चालकों की सेवा समाप्त कर दी। इसकी वजह से एम्बुलेंस ठप पड़ गये। उसके बाद सरकार ने दोबारा चालकों की बहाली नहीं की। इसकी वजह से सभी एम्बुलेंस पांच साल में पड़े-पड़े खराब हो गये।


Conclusion:इस संबंध में हमने जब अस्पताल अधीक्षक से बात की तो उन्होंने कहा कि बिना ड्राइवर के एम्बुलेंस सेवा देना संभव नहीं है। यहां के सात एम्बुलेंस इसी वजह से खराब हो गये। उन्होंने कहा कि फिलहाल सिविल सर्जन के माध्यम से डायल 102 नंबर के एम्बुलेंस यहां चल रहे हैं, लेकिन वे सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के तहत सुविधा देते हैं। अस्पताल के मरीजों के लिये यहां अपना एक भी एम्बुलेंस नहीं है।


बाइट 1- सुनील कुमार, मरीज़ के परिजन
बाइट 2- डॉ. आरआर प्रसाद, अधीक्षक, डीएमडीएच


ptc के साथ
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विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा

नोट- ये खबर वीओ के साथ पैकेज फॉर्मेट में भी भेजी गयी है।
Last Updated : Jul 8, 2019, 10:37 AM IST
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