भागलपुर: बिहार के भागलपुर में ऐतिहासिक विक्रमशिला विश्वविद्यालय की जमीन पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Vikramshila Central University) का सपना सभी देख रहे हैं. करीब 6 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का ऐलान किया था. हालांकि, उसके बाद से अभी तक ये मूर्त रूप नहीं ले सका है, जबकि केंद्र सरकार ने इसके लिए 500 करोड़ रुपये भी आवंटित किए थे.
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बता दें कि जिला प्रशासन ने तीन प्रस्ताव अतिचक, परशुरामचक और एकडरा की 200-200 एकड़ जमीन का भेजा था. लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से जिला प्रशासन से तीन प्रस्ताव में से सबसे बेहतर प्रस्ताव को भेजने के लिए कहा गया था. इसके बाद कहलगांव के एसडीओ ने जांच कराया और बेहतर प्रस्ताव परशुरामचक को चुन कर भेज दिया.
परशुरामचक गांव विक्रमशिला महाविहार की खुदाई स्थल से नजदीक है. साथ ही तीनों में से सबसे ऊंची जगह पर भी है. वह इलाका बाढ़ प्रभावित भी नहीं है. रेलवे स्टेशन भी वहां से नजदीक है. इसके अलावा एनएच से सटा हुआ भी है. यहां अगर 200 एकड़ से ज्यादा जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता होगी तो उस दिशा में भी पहल की जा सकती है पर्याप्त जमीन उपलब्ध है.
उसके बाद 8 अप्रैल 2021 को विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर भारत सरकार की ओर से गठित टीम ने तीनों भूखंडों का जायजा भी लिया था. साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर हरीश चंद्र सिंह राठौर के नेतृत्व में जिला प्रशासन के प्रस्तावित तीनों भूखंड का जायजा भी लिया गया था.
इस टीम में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, केंद्रीय लोक कार्य विभाग के चीफ इंजीनियर और अन्य दो सचिव स्तर के अधिकारी शामिल थे. टीम ने तीनों प्रस्तावित जमीन का मुआयना किया था. तीनों जमीन के प्राकृतिक, भौगोलिक स्थिति, पहुंच पथ और सुगमता और अन्य बिंदुओं की जांच की थी. लेकिन उसके बाद से कोई कार्रवाई आगे नहीं हुई है.
इस बात को लेकर पीरपैंती और कहलगांव के विधायक ने विधानसभा में प्रश्न भी उठाया था. जिसमें शिक्षा विभाग द्वारा विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू करने की बात कही थी.
सूत्रों के मुताबिक, ऐसा माना जा रहा कि अधिकारियों की उदासीनता के चलते सेंट्रल यूनिवर्सिटी को लेकर उठाए जा रहे कदम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित विश्वविद्यालय के लिए जमीन चयन को लेकर करीब डेढ़ साल पहले कमेटी का गठन किया गया था, इस समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी.
बता दें कि आठवीं शताब्दी में विक्रमशिला विश्वविद्यालय का स्थापना पाल वंश के शासक धर्मपाल द्वारा किया गया था. यह विश्वविद्यालय भागलपुर शहर से करीब 42 किलोमीटर दूर है. इस विश्वविद्यालय को नालंदा के समकक्ष माना जाता है.
यहां से तिब्बत के राजा के अनुरोध पर दीपांकर अतिश तिब्बत गए और उन्होंने तिब्बत से बौद्ध भिक्षुओं को चीन, जापान, मलेशिया, थाईलैंड से लेकर अफगानिस्तान तक भेजकर बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया. मध्यकालीन भारतीय इतिहास में विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण स्थान था. यहां पर बौद्ध धर्म एवं दर्शन के अतिरिक्त न्याय, तत्व ज्ञान एवं व्याकरण का अध्ययन कराया जाता था.
'विक्रमशिला की धरती पर केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर बिहार विधानसभा में उठाया था. केंद्र सरकार और राज्य सरकार से इस मामले में पहल करने को लेकर खत लिखा है. वर्तमान में केंद्र और राज्य में एनडीए की सरकार है. केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना जल्द होगी. केंद्र सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर रुपया भी आवंटित कर दिया है. जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी. सरकारी प्रक्रिया में वक्त लगता है लेकिन काम शुरू होगा.' -पवन कुमार यादव, कहलगांव विधायक
'विक्रमशिला की धरती पर केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापना प्रस्तावित है. केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी भी मिली है. इस मामले को लेकर बीते विधानसभा सत्र में प्रश्न भी उठाया था. आश्वासन मिली है कि जल्द काम शुरू होगा. विश्वविद्यालय स्थापना को लेकर मेरे द्वारा काफी प्रयास किया जा रहा है. इस ओर जोर शोर से लगे हुए हैं. कोरोना की वजह से कार्य अवरुद्ध हुआ है. अब कोरोना का असर कम हो रहा है. फिर से इस के लिए कामशुरू हो जाएगा. हर हाल में विश्वविद्यालय की स्थापना होगी.' -इं. ललन कुमार पासवान, पीरपैंती विधायक
ललन कुमार ने कहा कि विक्रमशिला प्राचीनतम विश्वविद्यालय में शामिल रहा है. इसलिए कायदे से इस विक्रमशिला को बौद्ध सर्किट से भी जोड़ना चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि विक्रमशिला पठन-पाठन का केंद्र रहा है. बौद्ध धर्म के मानने वाले के लिए यह धार्मिक स्थल नहीं रहा है. इसलिए बौद्ध सर्किट से जोड़ने में थोड़ी परेशानी हो सकती है. लेकिन इसकी महत्ता को कम नहीं माना जाना चाहिए. क्योंकि इस विश्वविद्यालय के कारण भारत विश्व गुरु बना था. यह विश्वविद्यालय ज्ञान का केंद्र रहा है.
'यहां के विकास के लिए दार्जिलिंग और धर्मशाला में जाकर दलाई लामा से भी मिला गया है. बौद्ध धर्म के मानने वाले लोगों को यहां निवेश करने का अनुरोध किया है. जब भागलपुर से हवाई मार्ग जुड़ जाएगा तो उम्मीद है यहां पर बौद्ध धर्म के मानने वाले आएंगे और तेजी से विकास भी होगा. भागलपुर में एयरपोर्ट बन जाने से इंटरनेशनल कनेक्टिविटी बढ़ेगी. सपना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हो. विक्रमशिला बौद्ध सर्किट से जुड़े और यह अपने कार्यकाल में ही यह काम करूंगा.' -ललन पासवान, विधायक
'मार्च, अप्रैल महीने में सेंट्रल की टीम चिन्हित भूमि का निरीक्षण करने के लिए आए थे. सेंट्रल टीम में गया सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति भी शामिल थे. उस टीम के जाने के बाद अब तक कोई भी वार्तालाप नहीं हुई है. टीम द्वारा सूटेबिलिटी रिपोर्ट मिलने के बाद जिला प्रशासन आगे की कार्रवाई करेगी. टीम ने सभी चिन्हित भूमि का बारीकी से निरीक्षण किया था. विक्रमशिला खुदाई स्थल के पास ही करीब 200 से ढाई सौ एकड़ चिन्हित कर भेजा है. विभाग यदि और जमीन मांगता है तो जिला प्रशासन उपलब्ध कराएगा. इसके बाद भू अधिग्रहण के लिए राशि मिलने के बाद भू अधिग्रहण भी किया जाएगा.' -सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी
बता दें कि 2015 में विक्रमशिला में विश्वविद्यालय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी. इसके बाद से इस दिशा में पहल तेज की गई. इसके लिए सरकार ने विक्रमशिला के नाम पर केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान कर दिया था. साथ ही केंद्र सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि बिहार सरकार निशुल्क जमीन उपलब्ध कराए तो विश्वविद्यालय बनने की दिशा में काम होगा. लेकिन राज्य सरकार 6 साल बीत जाने के बाद अभी तक जमीन उपलब्ध नहीं करा सकी है.
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