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भागलपुर: अस्पतालों में डॉक्टर्स की भारी कमी, 298 की जगह महज 48 डॉक्टर्स कार्यरत

पूरे जिले में डॉक्टरों की भारी कमी है. 298 डॉक्टर्स की जगह महज 48 डॉक्टर्स ही कार्यरत हैं. इस वजह से इमरजेंसी सेवा के लिए रोस्टर नहीं बनाया जा सकता है.

भागलपुर सदर अस्पताल
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Published : Jun 26, 2019, 9:17 PM IST

भागलपुर: स्मार्ट सिटी की लिस्ट में शामिल भागलपुर के सदर अस्पताल में अव्यवस्था और बदइंतजामी का आलम है. यह अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. यहां कुल 298 डॉक्टर की जरूरत है लेकिन महज 48 डॉक्टर से ही काम चलाया जा रहा है.अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही से मरीजों में भी खासी नाराजगी है.

भागलपुर सदर अस्पताल से संतोष श्रीवास्तव की रिपोर्ट

298 की जगह महज 48 डॉक्टर्स कार्यरत
शहर के बीचों बीच घंटाघर के पास होने से मरीज काफी संख्या में यहां इलाज के लिए आते हैं,लेकिन बीमार मरीजों को डॉक्टर के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है.पूरे जिले में डॉक्टरों की भारी कमी है. 298 डॉक्टर्स की जगह महज 48 डॉक्टर्स ही कार्यरत हैं. इस वजह से इमरजेंसी सेवा के लिए रोस्टर नहीं बनाया जा सकता है.

indoor service
इंडोर सेवा में अस्पताल कर्मी नदारद

डॉक्टर निजी क्लिनिक में ही व्यस्त
अस्पताल में आए मरीज के परिजनों का कहना है कि लापरवाही और अव्यवस्था का आलम काफी लंबे वक्त से चला आ रहा है. यहां के डॉक्टर निजी क्लिनिक में ही अधिकतर समय तक व्यस्त रहते हैं. सदर अस्पताल में मरीज डॉक्टर का इंतजार करते रह जाते है. यहां तक कि जरुरतमंद रोगियों और गर्वभती महिलाओं तक को एंबुलेंस की सुविधा नहीं दी जाती, बजाए इसके मरीज को सलाह दी जाती है कि वे ट्रेन से यात्रा करें.

ambulance service
एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं

यह है बदइंतजामी का आलम

  • सुबह में ओपीडी सेवा का समय 10 बजे से 12 बजे तक तय
  • वहीं शाम में ओपीडी सेवा का समय 4 बजे से 6 बजे तक तय
  • शाम 4 बजे तक ओपीडी में नहीं पहुंचते डॉक्टर्स
  • 298 डॉक्टर्स की जगह महज 48 डॉक्टर्स कार्यरत
  • डॉक्टरों की कमी की वजह से इमरजेंसी सेवा के लिए रोस्टर बनाने में असुविधा
  • मरीजों को एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं
    emergency ward
    भागलपुर के सदर अस्पताल की इमरजेंसी सेवा

भागलपुर: स्मार्ट सिटी की लिस्ट में शामिल भागलपुर के सदर अस्पताल में अव्यवस्था और बदइंतजामी का आलम है. यह अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. यहां कुल 298 डॉक्टर की जरूरत है लेकिन महज 48 डॉक्टर से ही काम चलाया जा रहा है.अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही से मरीजों में भी खासी नाराजगी है.

भागलपुर सदर अस्पताल से संतोष श्रीवास्तव की रिपोर्ट

298 की जगह महज 48 डॉक्टर्स कार्यरत
शहर के बीचों बीच घंटाघर के पास होने से मरीज काफी संख्या में यहां इलाज के लिए आते हैं,लेकिन बीमार मरीजों को डॉक्टर के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है.पूरे जिले में डॉक्टरों की भारी कमी है. 298 डॉक्टर्स की जगह महज 48 डॉक्टर्स ही कार्यरत हैं. इस वजह से इमरजेंसी सेवा के लिए रोस्टर नहीं बनाया जा सकता है.

indoor service
इंडोर सेवा में अस्पताल कर्मी नदारद

डॉक्टर निजी क्लिनिक में ही व्यस्त
अस्पताल में आए मरीज के परिजनों का कहना है कि लापरवाही और अव्यवस्था का आलम काफी लंबे वक्त से चला आ रहा है. यहां के डॉक्टर निजी क्लिनिक में ही अधिकतर समय तक व्यस्त रहते हैं. सदर अस्पताल में मरीज डॉक्टर का इंतजार करते रह जाते है. यहां तक कि जरुरतमंद रोगियों और गर्वभती महिलाओं तक को एंबुलेंस की सुविधा नहीं दी जाती, बजाए इसके मरीज को सलाह दी जाती है कि वे ट्रेन से यात्रा करें.

ambulance service
एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं

यह है बदइंतजामी का आलम

  • सुबह में ओपीडी सेवा का समय 10 बजे से 12 बजे तक तय
  • वहीं शाम में ओपीडी सेवा का समय 4 बजे से 6 बजे तक तय
  • शाम 4 बजे तक ओपीडी में नहीं पहुंचते डॉक्टर्स
  • 298 डॉक्टर्स की जगह महज 48 डॉक्टर्स कार्यरत
  • डॉक्टरों की कमी की वजह से इमरजेंसी सेवा के लिए रोस्टर बनाने में असुविधा
  • मरीजों को एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं
    emergency ward
    भागलपुर के सदर अस्पताल की इमरजेंसी सेवा
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भागलपुर जैसे स्मार्ट सिटी का जिला अस्पताल जिसे सदर अस्पताल भी कहते हैं वैसे तो यह ठीक शहर के बीचोबीच घंटाघर के पास है लोगों का आना जाना यहां पर काफी आसानी से हो जाता है लेकिन इस अस्पताल में बीमार मरीजों को डॉक्टर के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है जिस की सबसे बड़ी वजह पूरे जिले में डॉक्टरों की कमी है भागलपुर जैसे जिले में जहां पर 298 डॉक्टर की जरूरत है वहां पर महज 48 डॉक्टर से ही काम चल रहा है इतने कम डॉक्टर के होने की वजह से इमरजेंसी सेवा के लिए रोस्टर नहीं बनाया जा सकता है लेकिन ऑन कॉल कर चिकित्सक उपलब्ध हो जाते हैं ऐसे तो सारे जगह पर आयुष डॉक्टरों की भी बहाली हो गई है लेकिन इमरजेंसी सेवा उनसे नहीं ली जा सकती है सरकार ने ऐसा दिशा निर्देश जारी किया है की आयुष डॉक्टर से सिर्फ आउटडोर में ही सेवा लेनी है ।


Body:सदर अस्पताल का जब हाल पता चला तो काफी आश्चर्यजनक बातें सामने आई 4 घंटे से मरीज डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे लेकिन डॉक्टर का एक समय निश्चित कर दिया गया है जब वह आते हैं सुबह में 10 से 12 तक आउटडोर की सेवा दी जाती है और शाम में 4:00 से 6:00 तक 4:00 बजे तक भी डॉक्टर आउटडोर नहीं पहुंचते हैं जिसकी वजह से दूरदराज से आए मरीजों को घंटों डॉक्टरों का इंतजार करना पड़ता है डॉक्टरों के इस रवैया से मरीजों और उनके परिजनों में काफी रोष देखने को मिला कि जिस डॉक्टर को अपने निजी क्लिनिक के लिए काफी वक्त होता है वह अपने क्लीनिक में ही रहे और सरकारी नौकरी क्यों क्यों कर रहे हैं ?


Conclusion:तमाम चीजों को देखने के बाद सरकार के जो दावे स्वास्थ्य महकमा को दुरुस्त बताते हैं जिला अस्पताल जैसे स्वास्थ्य केंद्र की सच्चाई सामने आने के बाद वह तमाम दावे पूरी तरह से बेबुनियाद दिखते हैं जिस दौर से अभी स्वास्थ्य महकमा गुजर रहा है वैसे परिस्थिति में इस तरह से डॉक्टरों का नजारा रहना वाकई पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करती है जहां एक तरफ भागलपुर के सिविल सर्जन विजय कुमार सिंह कहते हैं की सभी पीएचसी एवं रेफरल अस्पताल में निर्देश दिया जा चुका है कि अगर कोई भी मरीज इंसेफेलाइटिस की शिकायत लेकर आता है तो तुरंत फर्स्ट ऐड देखकर भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल भेज दिया जाए ऐसे मरीजों के लिए आईसीयू काफी जरूरी होता है लेकिन जो हाल जिला अस्पताल का है उसे देखकर यही लगता है कि सरकारी निर्देश की धज्जियां उसे विभाग के डॉक्टर किस तरह से उड़ाते हैं एक तरफ सिविल सर्जन प्रसूता महिलाओं को एंबुलेंस उपलब्ध करने की मजबूरी दिखाकर कहते हैं सभी पीएससी में एक एंबुलेंस होने की वजह से बहुत मरीजों को हम एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करवा पाते हैं लेकिन गर्भवती महिलाओं को लाने के लिए एंबुलेंस को रिजर्व रखा जाता है लेकिन यहां यह भी देखने पता चला गर्भवती महिलाएं को भी एंबुलेंस की सुविधा नहीं दी जाती हैं वह खुद से ही अपनी सवारी करके सदर अस्पताल पहुंचती हैं।


बाईट :इलाज कराने दूर दराज से आये मरीज
बाईट:डॉ विजय कुमार सिंह ,सिविल सर्जन ,भागलपुर
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