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मल्टीप्लेक्स की दौर में आर्थिक तंगी के कारण पिछड़ा मनोरंजन का परंपरागत जरिया सिनेमाघर

मल्टीप्लेक्स के जमाने में परंपरागत सिनेमाघर आर्थिक तंगी के कारण बंद होने के कगार पर है. अधिकांश सिनेमाघर बंद हो गए हैं और बचे हुए सिनेमा हॉल आर्थिक घाटा झेल रहे हैं.

सिनेमाघर
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Published : May 20, 2019, 7:04 PM IST

भागलपुर: आधुनिकता और ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में सबकुछ डिजिटल हो गया है. इसी कड़ी में पुराने दौर के ज्यादातार सिनेमाघर अब मल्टीप्लेक्स के कारण बंद होने की कगार पर हैं, और जो चल रहे हैं वो भी घाटे के दौर से गुजर रहे हैं. शहर के कई सिनेमाघर बंद हो चुके हैं और कई बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं.

घट रही ऑडियंस की भीड़
पूरे शहर के एकमात्र सिनेमाघर दीपप्रभा के प्रबंधक का कहना है कि लगातार ऑडियंस की संख्या में गिरावट आ रही है. जिसकी वजह से सिनेमाघर के रख रखाव के साथ-साथ काम करने वालों की सैलरी देने में भी काफी दिक्कत आ रही है. अभी जमाना बदल गया है. जिस तरह के सिनेमा हॉल शहर के लोग चाहते हैं, वैसी सुविधा काफी महंगी है जो हम नहीं दे पा रहे हैं. इसलिए ऑडियंस की भीड़ घट गई है.

सिनेमाघर मालिक और स्थानीय युवाओं का बयान

नई तकनीक और सुविधाओं का अभाव
स्थानीय युवाओं का कहना है कि शहर के सिनेमाघरों में हालिया नई तकनीक की कोई भी सुविधा मौजूद नहीं है. दूसरे शहरों में नई तकनीक और सुविधाओं से लैस सिनेमाघर हैं. यह सिर्फ नाम की स्मार्ट सिटी है. यहां कोई भी सुविधा नहीं मिलती है. भागलपुर में 2 सिनेमाघरों को छोड़कर अभी मनोरंजन के लिए कोई दूसरी जगह नहीं है. लोग भागलपुर से सटे झारखंड के शहर देवघर में जाकर आईनॉक्स पर सिनेमा देखने का लुत्फ उठाते हैं.

भागलपुर: आधुनिकता और ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में सबकुछ डिजिटल हो गया है. इसी कड़ी में पुराने दौर के ज्यादातार सिनेमाघर अब मल्टीप्लेक्स के कारण बंद होने की कगार पर हैं, और जो चल रहे हैं वो भी घाटे के दौर से गुजर रहे हैं. शहर के कई सिनेमाघर बंद हो चुके हैं और कई बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं.

घट रही ऑडियंस की भीड़
पूरे शहर के एकमात्र सिनेमाघर दीपप्रभा के प्रबंधक का कहना है कि लगातार ऑडियंस की संख्या में गिरावट आ रही है. जिसकी वजह से सिनेमाघर के रख रखाव के साथ-साथ काम करने वालों की सैलरी देने में भी काफी दिक्कत आ रही है. अभी जमाना बदल गया है. जिस तरह के सिनेमा हॉल शहर के लोग चाहते हैं, वैसी सुविधा काफी महंगी है जो हम नहीं दे पा रहे हैं. इसलिए ऑडियंस की भीड़ घट गई है.

सिनेमाघर मालिक और स्थानीय युवाओं का बयान

नई तकनीक और सुविधाओं का अभाव
स्थानीय युवाओं का कहना है कि शहर के सिनेमाघरों में हालिया नई तकनीक की कोई भी सुविधा मौजूद नहीं है. दूसरे शहरों में नई तकनीक और सुविधाओं से लैस सिनेमाघर हैं. यह सिर्फ नाम की स्मार्ट सिटी है. यहां कोई भी सुविधा नहीं मिलती है. भागलपुर में 2 सिनेमाघरों को छोड़कर अभी मनोरंजन के लिए कोई दूसरी जगह नहीं है. लोग भागलपुर से सटे झारखंड के शहर देवघर में जाकर आईनॉक्स पर सिनेमा देखने का लुत्फ उठाते हैं.

Intro:PVR AUR EYENOX KE SAAMNE BAND PADE AUR BACHE CINEMAGHAR ARTHIK TANGI KE KARAN BAND HONE KAGAR PAR

हर एक इंसान अपनी जिंदगी एक हीरो की तरह जीना चाहता है लोगों का पहनने का फैशन का ट्रेंड ,चाल ढाल तक बोलने के अंदाज एवं की जिंदगी में कुछ चीज में जरूर होती है जो सिनेमा घर से इंसानी जेहन तक पहुंचती है सिनेमाघरों में सिनेमा को देखकर किरदार और हीरो को देखते हुए अच्छाई को अपने जीवन में खास कर फिल्म का जो नायक होता है उसके अक्स को अपने अंदर डालने की कोशिश करता है आमतौर पर देखा जाता है कि किसी भी शहर में मनोरंजन का साधन वहां के सिनेमाघर को माना जाता है लेकिन इन दिनों भागलपुर शहरवासियों के लिए बुरी खबर यह है की आर्थिक तंगी के कारण कई सिनेमाघर बंद हो चुके हैं और कई बंद होने के कगार पर पहुंच चुके हैं जो इंसानी जिंदगी में सबसे ज्यादा मनोरंजन की जगह हुआ करती थी आज आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है पूरे शहर का एकमात्र सिनेमाघर दीप प्रभा के प्रबंधक रतन सिंह का कहना है कि लगातार ऑडियंस की संख्या में गिरावट आ रही है जिसकी वजह सिनेमाघर के रखरखाव के साथ साथ काम करने वालों की सैलरी में भी काफी दिक्कत आ रही है अभी जमाना बदल गया है जिस तरह का सिनेमा हॉल का शहर के लोग अपेक्षा करते हैं वैसे सुविधा काफी महंगी है इसलिए ऑडियंस की भीड़ घट गई है।



Body:वैसे तो भागलपुर शहर में कई सिनेमाघर हुआ करते थे लेकिन वर्तमान दौर में अजंता टॉकीज महादेव टॉकीज शारदा टॉकीज एवं शंकर टॉकीज जैसे सिनेमाघर बंद हो चुके हैं और वर्तमान में चल रहा सिनेमाघर दीप प्रभा एवं जवाहर सिनेमा काफी आर्थिक संकट से गुजर रहा है और किसी भी वक्त बंद हो सकता है लेकिन शहर की जरूरत को देखते हुए जो दोनों सिनेमा घर के मालिक हैं वह दोनों सिनेमाघरों को घाटे में भी चलाने की कोशिश कर रहे हैं एक वक्त था जब भागलपुर मैं वहां के लोगों का मनोरंजन का जरिया सिनेमाघर हुआ करता था, आजकल के बदलते दौर में लोगों ने मनोरंजन का सारा सामान अपने घर में ही खरीद लिया है लोग अब सिनेमा हॉल जाने के बजाय घर में ही सिनेमा देखना ज्यादा पसंद करते हैं।


Conclusion:कुल मिलाकर अगर बात करें इसके लिए राज्य सरकार भी कहीं ना कहीं जिम्मेदार है आखिर इतने सारे सिनेमा हॉल एकाएक कैसे बंद हो गया यह सरकार के हुए काफी चिंता का विषय है और साथ ही साथ समाज के लिए भी मनोरंजन काफी आवश्यक होता है आखिर सरकार की कला संस्कृति विभाग इस पर पहल क्यों नहीं कर रही है कि इतने सारे सिनेमाघर बंद हो गए हैं वजह जो भी हो लेकिन यह किसी न किसी रूप में शहर के विकास को जरूर दर्शाता है कि आखिर मनोरंजन का क्या-क्या साधन शहर में है फिलहाल तो भागलपुर में 2 सिनेमा घरों को छोड़कर अभी मनोरंजन के लिए कोई दूसरा जगह नहीं है जिलों की आर्थिक स्थिति अच्छी है वह भागलपुर से सटे झारखंड के शहर देवघर में जाकर आईनॉक्स पर सिनेमा देखने का लुत्फ उठाते हैं ।
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