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बेगूसराय: बखरी इस्माइल शाह के मजार पर उर्स मेला का आयोजन, मेले में दिखे हिंदू-मुस्लिम एकता के रंग

40 साल पुराने बखरी इस्माइल शाह के मजार पर एक दिवसीय उर्स मेला का आयोजन किया गया. इस मेले के दौरान हिंदू-मुस्लिम एकता के रंग भी देखने को मिले. देर रात तक मेले में कव्वाली के मुकाबले पर दर्शक झूमते नजर आए.

मजार
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Published : Oct 13, 2019, 4:08 AM IST

बेगूसराय: जिले में स्थित बखरी इस्माइल शाह का मजार बखरी का सांस्कृतिक विरासत है. यह मजार कई सालों से हिंदू और मुस्लिम की एकता का प्रतीक बना हुआ है. इस मजार पर प्रत्येक साल उर्स मेला का आयोजन किया जाता है. यहां बड़ी संख्या में दोनों धर्मों के लोग चादर पोशी के लिए आते हैं और सलामती की दुआ मांगते हैं.

मुफ्त में स्टॉल लगाते हैं हिंदू
यह मजार लगभग 40 साल पुराना है. तब से ही यहां बड़ी संख्या में लोग चादर पोशी और सलामती की दुआ मांगने आते हैं. हिंदू धर्म के लोग यहां बड़ी संख्या में मुफ्त में स्टॉल लगाकर आने वाले अतिथियों का स्वागत करते हैं. हर साल की तरह इस साल भी इस मजार पर एक दिवसीय उर्स मेला का आयोजन किया गया. मेले में देर रात तक कव्वाली के मुकाबले पर दर्शक झूमते नजर आए. एक परंपरा के तहत मजार पर पहली चादर शकरपुरा स्टेट ने चढ़ाई.

begusarai
उर्स मेला में लोगों की भीड़

कन्हैया ने पेश की आस्था की मिसाल
बता दें कि हाल ही में मक्खाचक के कन्हैया राय ने सीने पर 10 कलश स्थापना कर मां दुर्गा की अराधना की थी. उन्होंने बिना जल ग्रहण किए दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा की साधना की थी. दुर्गा पूजा समाप्त होते ही वह इस मेले में नजर आए. इस मेले में उन्होंने स्टॉल लगाकर मुफ्त में लोगों के लिए चाय और पानी की व्यवस्था की. हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों में उनकी समान आस्था है.

बड़ी संख्या में चादर पोशी के लिए पहुंचे हिंदू-मुस्लिम

बेगूसराय: जिले में स्थित बखरी इस्माइल शाह का मजार बखरी का सांस्कृतिक विरासत है. यह मजार कई सालों से हिंदू और मुस्लिम की एकता का प्रतीक बना हुआ है. इस मजार पर प्रत्येक साल उर्स मेला का आयोजन किया जाता है. यहां बड़ी संख्या में दोनों धर्मों के लोग चादर पोशी के लिए आते हैं और सलामती की दुआ मांगते हैं.

मुफ्त में स्टॉल लगाते हैं हिंदू
यह मजार लगभग 40 साल पुराना है. तब से ही यहां बड़ी संख्या में लोग चादर पोशी और सलामती की दुआ मांगने आते हैं. हिंदू धर्म के लोग यहां बड़ी संख्या में मुफ्त में स्टॉल लगाकर आने वाले अतिथियों का स्वागत करते हैं. हर साल की तरह इस साल भी इस मजार पर एक दिवसीय उर्स मेला का आयोजन किया गया. मेले में देर रात तक कव्वाली के मुकाबले पर दर्शक झूमते नजर आए. एक परंपरा के तहत मजार पर पहली चादर शकरपुरा स्टेट ने चढ़ाई.

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उर्स मेला में लोगों की भीड़

कन्हैया ने पेश की आस्था की मिसाल
बता दें कि हाल ही में मक्खाचक के कन्हैया राय ने सीने पर 10 कलश स्थापना कर मां दुर्गा की अराधना की थी. उन्होंने बिना जल ग्रहण किए दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा की साधना की थी. दुर्गा पूजा समाप्त होते ही वह इस मेले में नजर आए. इस मेले में उन्होंने स्टॉल लगाकर मुफ्त में लोगों के लिए चाय और पानी की व्यवस्था की. हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों में उनकी समान आस्था है.

बड़ी संख्या में चादर पोशी के लिए पहुंचे हिंदू-मुस्लिम
Intro:

बखरी इस्माइल शाह का मजार बखरी का सांस्कृतिक विरासत है । हिन्दू और मुस्लिम एकता का प्रतीक इस मजार पर प्रत्येक साल उर्स मेले का आयोजन किया जाता है । इस मेले की खासियत ये है कि ये दोनों ही धर्मो के लोगो के आस्था का प्रतीक है । तकरीबन 40 बर्ष पूर्ब से चली आ रही ये परंपरा आज भी जीवंत है, यहाँ बड़ी संख्या में लोग दूर दराज से चादर पोशी के लिए आते है और सलामती की दुआ मांगते है । ऐसा माना जाता है कि यहाँ मांगी गई हर दुआ कबूल होती है । यहाँ बड़ी तादाद में हिन्दू मुफ्त में स्टॉल लगाकर आने वाले अतिथियों की आव भगत करते है ।



Body:दाता इस्माइल शाह के मजार पर एक दिवसीय उर्स मेले का आयोजन किया गया ।मेले में देर रात्रि तक कव्वाली के हुए मुकाबले पर दर्शक झूमते रहे। हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक इस्माइल शाह के मजार पर दोनों धर्मों से जुड़े लोगों ने चादर पोशी कर सलामती की दुआ मांगी । एक परंपरा के तहत मजार पर पहली चादर शकरपुरा स्टेट द्वारा चढ़ाई गई। बाबा इस्माइल शाह का मजार बखरी की सांस्कृतिक विरासत कही जाती है। इसमें सभी वर्गों के लोगों की गहरी आस्था है। यहां का दुर्गा मंदिर शक्तिपीठ, बाबा उजान स्थान के साथ साथ इस्माइल शाह का मजार भी सांस्कृतिक विरासत है। इलाके के गंगा-जमुनी तहजीब का एक उदाहरण ये मजार सभी धर्मों के लोगो के लिए आस्था का केंद्र है। सामाजिक एकता का प्रतीक इस मजार पर सबसे पहला चादर शकरपूरा स्टेट द्वारा चढ़ाया जाता है । प्रत्येक साल लगने वाले इस मेले का लोगो को खास इंतजार रहता है

*कन्हैया ने पेश की आस्था की मिसाल*

दाता इस्माइल शाह के मजार पर लगाए गए उर्स मेले में एक अनोखा दृश्य उस वक्त सामने आया जब कन्हैया कुमार नाम के युवक ने लोगों को मुफ्त में चाय और पानी बांटते हुए नजर आए। हाल ही में मक्खाचक के कन्हैया राय ने सीने पर 10 कलश स्थापना कर देवी की आराधना की है। 10 दिनों तक परिहारा दुर्गा मंदिर में बगैर अन्य जल ग्रहण किए हुए देवी की साधना की थी और दुर्गा पूजा खत्म होते ही वह इस मेले में नजर आए। इनके द्वारा इस मेले में लोगों के लिए चाय पानी के लिए मुफ्त शिविर लगाया गया। यह देखकर हर कोई हतप्रभ था। उनका मानना है कि धर्म कोई बड़ा और छोटा नहीं होता है। जितनी आस्था उनकी हिंदू धर्म में है उतनी आस्था उन्हें मुस्लिम धर्म में भी है ।
बाइट - मोहमद अफसर
बाइट - मनोज वर्मा
बाइट - कन्हैया कुमारConclusion:
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