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बजट की सफलता उसके प्रावधानों के क्रियान्वयन और मानसून पर होगी निर्भर: अर्थशास्त्री

बजट को लेकर पेश हैं राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान के प्रोफेसर एन.आर. भानुमूर्ति से भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब.

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Published : Jul 7, 2019, 1:31 PM IST

Updated : Jul 7, 2019, 4:26 PM IST

बजट की सफलता उसके प्रावधानों के क्रियान्वयन और मानसून पर होगी निर्भर: अर्थशास्त्री

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का शुक्रवार को पेश पहला बजट राजकोषीय अनुशासन के मोर्चे पर कसा हुआ बताया जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश इस बजट में 2019- 20 में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

साथ ही इसमें निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने और आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने पर जोर दिया गया है. बजट को लेकर पेश हैं राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान के प्रोफेसर एन.आर. भानुमूर्ति से भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब.

ये भी पढ़ें- अब पचास हजार से अधिक के नकद लेन-देन में पैन की जगह आधार का किया जा सकता है इस्तेमाल

सवाल : एक अर्थशास्त्री के रूप में आप इस बजट को किस रूप में देखते हैं ?
जवाब : यह पहले के बजटों से हटकर है. यह एक साल का बजट नहीं है बल्कि अगले कुछ वर्षों के दौरान आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुये इसे तैयार किया गया है. बजट में आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये एक तरफ जहां निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया है वहीं दूसरी तरफ सामाजिक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया गया है. इस लिहाज से यह एक संतुलित बजट है.

सवाल : बजट में पेट्रोल, डीजल पर शुल्क बढ़ाया गया है. क्या इससे महंगाई बढ़ेगी?
जवाब : मुद्रास्फीति इस समय चार प्रतिशत के स्वीकार्य स्तर से काफी नीचे है. पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने का इस स्थिति पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. यह नियंत्रित दायरे में ही रहेगा. वास्तव में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम नीचे बने हुये हैं. सरकार इस स्थिति का लाभ उठाते हुये शुल्क बढ़ाकर राजकोषीय मजबूती पर ध्यान दे रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में यदि दाम और नीचे आते हैं तो आने वाले दिनों में पेट्रोल, डीजल के दाम नीचे आ सकते हैं.

सवाल : बजट से क्या रोजगार के अवसर बढ़ेंगे?
जवाब : घरेलू अर्थव्यवस्था में बैंकिंग और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का फंसा कर्ज बड़ा मुद्दा बन हुआ है. इसकी वजह से नकदी का संकट खड़ा हो गया था. बजट में सरकारी बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है. इसी प्रकार एनबीएफसी को बैंकों और म्यूचुअल फंड से नकदी प्राप्त होती रहे, इसके लिये बजट में कुछ घोषणायें की गई हैं. इन घोषणाओं पर बेहतर क्रियान्वयन होने से स्थिति में सुधार आ सकता है और आर्थिक गतिविधियों पर इसका सकारात्मक असर भी होगा. रीयल एस्टेट क्षेत्र को भी बजट में प्रोत्साहन दिये गये हैं. आवास रिण के ब्याज पर कर छूट बढ़ाई गई है. 400 करोड़ तक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये कारपोरेट टैक्स 30 से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है. एमएसएमई को भी राहत दी गई है इन सभी घोषणाओं से रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी.

सवाल : बजट के प्रावधानों से आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर कितनी सफलता मिलेगी?
जवाब : बजट प्रावधानों पर कितने बेहतर ढंग से अमल होता है और आर्थिक समस्यायें कितनी हल होती हैं, यह आने वाले समय में दिखेगा. लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में सुस्ती जारी है. मानसून की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है. जून माह में मानसून 33 प्रतिशत कम रहा है. कृषि क्षेत्र पर इसका असर पड़ सकता है. इससे आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी. आर्थिक वृद्धि और रोजगार एक दूसरे से जुड़े हैं. बजट में बाजार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद में वर्ष के दौरान 12 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है. चार प्रतिशत मुद्रास्फीति के अनुमान को देखते हुये वास्तविक वृद्धि आठ प्रतिशत होनी चाहिये जबकि आर्थिक समीक्षा में आर्थिक वृद्धि सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. हालांकि, वित्त मंत्री कह रही हैं कि 8 प्रतिशत वृद्धि हासिल करेंगे.

सवाल : बजट में 2019- 20 में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, क्या इसे हासिल कर लिया जायेगा?
जवाब : राजकोषीय घाटे के कम रहने की गुंजाइश बहुत कम हैं. वर्ष 2018- 19 में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का बजट अनुमान लगाया गया था. संशोधित अनुमानों में यह बढ़कर 3.4 प्रतिशत हो गया, अभी अंतिम अनुमान आने बाकी हैं. इसी प्रकार चालू वित्त वर्ष में इसके फिर एक बार 3.3 रहने का अनुमान लगाया गया है. लेकिन यह कम होगा, इसकी गुंजाइश कम लगती है.

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का शुक्रवार को पेश पहला बजट राजकोषीय अनुशासन के मोर्चे पर कसा हुआ बताया जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश इस बजट में 2019- 20 में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है.

साथ ही इसमें निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने और आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने पर जोर दिया गया है. बजट को लेकर पेश हैं राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान के प्रोफेसर एन.आर. भानुमूर्ति से भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब.

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सवाल : एक अर्थशास्त्री के रूप में आप इस बजट को किस रूप में देखते हैं ?
जवाब : यह पहले के बजटों से हटकर है. यह एक साल का बजट नहीं है बल्कि अगले कुछ वर्षों के दौरान आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुये इसे तैयार किया गया है. बजट में आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये एक तरफ जहां निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया है वहीं दूसरी तरफ सामाजिक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया गया है. इस लिहाज से यह एक संतुलित बजट है.

सवाल : बजट में पेट्रोल, डीजल पर शुल्क बढ़ाया गया है. क्या इससे महंगाई बढ़ेगी?
जवाब : मुद्रास्फीति इस समय चार प्रतिशत के स्वीकार्य स्तर से काफी नीचे है. पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने का इस स्थिति पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. यह नियंत्रित दायरे में ही रहेगा. वास्तव में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम नीचे बने हुये हैं. सरकार इस स्थिति का लाभ उठाते हुये शुल्क बढ़ाकर राजकोषीय मजबूती पर ध्यान दे रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में यदि दाम और नीचे आते हैं तो आने वाले दिनों में पेट्रोल, डीजल के दाम नीचे आ सकते हैं.

सवाल : बजट से क्या रोजगार के अवसर बढ़ेंगे?
जवाब : घरेलू अर्थव्यवस्था में बैंकिंग और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का फंसा कर्ज बड़ा मुद्दा बन हुआ है. इसकी वजह से नकदी का संकट खड़ा हो गया था. बजट में सरकारी बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है. इसी प्रकार एनबीएफसी को बैंकों और म्यूचुअल फंड से नकदी प्राप्त होती रहे, इसके लिये बजट में कुछ घोषणायें की गई हैं. इन घोषणाओं पर बेहतर क्रियान्वयन होने से स्थिति में सुधार आ सकता है और आर्थिक गतिविधियों पर इसका सकारात्मक असर भी होगा. रीयल एस्टेट क्षेत्र को भी बजट में प्रोत्साहन दिये गये हैं. आवास रिण के ब्याज पर कर छूट बढ़ाई गई है. 400 करोड़ तक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये कारपोरेट टैक्स 30 से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है. एमएसएमई को भी राहत दी गई है इन सभी घोषणाओं से रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी.

सवाल : बजट के प्रावधानों से आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर कितनी सफलता मिलेगी?
जवाब : बजट प्रावधानों पर कितने बेहतर ढंग से अमल होता है और आर्थिक समस्यायें कितनी हल होती हैं, यह आने वाले समय में दिखेगा. लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में सुस्ती जारी है. मानसून की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है. जून माह में मानसून 33 प्रतिशत कम रहा है. कृषि क्षेत्र पर इसका असर पड़ सकता है. इससे आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी. आर्थिक वृद्धि और रोजगार एक दूसरे से जुड़े हैं. बजट में बाजार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद में वर्ष के दौरान 12 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है. चार प्रतिशत मुद्रास्फीति के अनुमान को देखते हुये वास्तविक वृद्धि आठ प्रतिशत होनी चाहिये जबकि आर्थिक समीक्षा में आर्थिक वृद्धि सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. हालांकि, वित्त मंत्री कह रही हैं कि 8 प्रतिशत वृद्धि हासिल करेंगे.

सवाल : बजट में 2019- 20 में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, क्या इसे हासिल कर लिया जायेगा?
जवाब : राजकोषीय घाटे के कम रहने की गुंजाइश बहुत कम हैं. वर्ष 2018- 19 में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का बजट अनुमान लगाया गया था. संशोधित अनुमानों में यह बढ़कर 3.4 प्रतिशत हो गया, अभी अंतिम अनुमान आने बाकी हैं. इसी प्रकार चालू वित्त वर्ष में इसके फिर एक बार 3.3 रहने का अनुमान लगाया गया है. लेकिन यह कम होगा, इसकी गुंजाइश कम लगती है.

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बजट की सफलता उसके प्रावधानों के क्रियान्वयन और मानसून पर होगी निर्भर: अर्थशास्त्री 

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का शुक्रवार को पेश पहला बजट राजकोषीय अनुशासन के मोर्चे पर कसा हुआ बताया जा रहा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश इस बजट में 2019- 20 में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है. 

साथ ही इसमें निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने और आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने पर जोर दिया गया है. बजट को लेकर पेश हैं राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान के प्रोफेसर एन.आर. भानुमूर्ति से भाषा के पांच सवाल और उनके जवाब. 

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सवाल : एक अर्थशास्त्री के रूप में आप इस बजट को किस रूप में देखते हैं ? 

जवाब : यह पहले के बजटों से हटकर है. यह एक साल का बजट नहीं है बल्कि अगले कुछ वर्षों के दौरान आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुये इसे तैयार किया गया है. बजट में आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये एक तरफ जहां निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया है वहीं दूसरी तरफ सामाजिक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया गया है. इस लिहाज से यह एक संतुलित बजट है. 



सवाल : बजट में पेट्रोल, डीजल पर शुल्क बढ़ाया गया है. क्या इससे महंगाई बढ़ेगी? 

जवाब : मुद्रास्फीति इस समय चार प्रतिशत के स्वीकार्य स्तर से काफी नीचे है. पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने का इस स्थिति पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. यह नियंत्रित दायरे में ही रहेगा. वास्तव में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम नीचे बने हुये हैं. सरकार इस स्थिति का लाभ उठाते हुये शुल्क बढ़ाकर राजकोषीय मजबूती पर ध्यान दे रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में यदि दाम और नीचे आते हैं तो आने वाले दिनों में पेट्रोल, डीजल के दाम नीचे आ सकते हैं. 

सवाल : बजट से क्या रोजगार के अवसर बढ़ेंगे? 

जवाब : घरेलू अर्थव्यवस्था में बैंकिंग और गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का फंसा कर्ज बड़ा मुद्दा बन हुआ है. इसकी वजह से नकदी का संकट खड़ा हो गया था. बजट में सरकारी बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है. इसी प्रकार एनबीएफसी को बैंकों और म्यूचुअल फंड से नकदी प्राप्त होती रहे, इसके लिये बजट में कुछ घोषणायें की गई हैं. इन घोषणाओं पर बेहतर क्रियान्वयन होने से स्थिति में सुधार आ सकता है और आर्थिक गतिविधियों पर इसका सकारात्मक असर भी होगा. रीयल एस्टेट क्षेत्र को भी बजट में प्रोत्साहन दिये गये हैं. आवास रिण के ब्याज पर कर छूट बढ़ाई गई है. 400 करोड़ तक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये कारपोरेट टैक्स 30 से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है. एमएसएमई को भी राहत दी गई है इन सभी घोषणाओं से रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी. 

सवाल    : बजट के प्रावधानों से आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर कितनी सफलता मिलेगी?    

जवाब : बजट प्रावधानों पर कितने बेहतर ढंग से अमल होता है और आर्थिक समस्यायें कितनी हल होती हैं, यह आने वाले समय में दिखेगा. लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में सुस्ती जारी है. मानसून की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है. जून माह में मानसून 33 प्रतिशत कम रहा है. कृषि क्षेत्र पर इसका असर पड़ सकता है. इससे आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी. आर्थिक वृद्धि और रोजगार एक दूसरे से जुड़े हैं. बजट में बाजार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद में वर्ष के दौरान 12 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है. चार प्रतिशत मुद्रास्फीति के अनुमान को देखते हुये वास्तविक वृद्धि आठ प्रतिशत होनी चाहिये जबकि आर्थिक समीक्षा में आर्थिक वृद्धि सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. हालांकि, वित्त मंत्री कह रही हैं कि 8 प्रतिशत वृद्धि हासिल करेंगे. 

सवाल : बजट में 2019- 20 में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, क्या इसे हासिल कर लिया जायेगा?    

जवाब : राजकोषीय घाटे के कम रहने की गुंजाइश बहुत कम हैं. वर्ष 2018- 19 में राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रहने का बजट अनुमान लगाया गया था. संशोधित अनुमानों में यह बढ़कर 3.4 प्रतिशत हो गया, अभी अंतिम अनुमान आने बाकी हैं. इसी प्रकार चालू वित्त वर्ष में इसके फिर एक बार 3.3 रहने का अनुमान लगाया गया है. लेकिन यह कम होगा, इसकी गुंजाइश कम लगती है.


Conclusion:
Last Updated : Jul 7, 2019, 4:26 PM IST
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