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बिहार के इकलौते मेगा फूड पार्क में जमकर हो रही धांधली, किसानों के साथ हुआ धोखा

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Published : Jun 10, 2019, 10:05 AM IST

करोड़ों की लागत से बने इस मेगा फ़ूड पार्क में अब धांधली शुरू हो गई है. कंपनी के कर्मचारियों ने चंद पैसों की लालच में स्थानीय व्यपारियों को निजी इस्तेमाल के लिये गोदाम दे दिया गया है.

मेगा फूड पार्क में धांधली

खगड़िया: बिहार का इकलौता मेगा फ़ूड पार्क लगातार विवादों के घेरे में है. करोड़ों रूपये की लागत से इस फ़ूड पार्क को बनाया गया था. मकसद था जिले के किसानों को फायदा पहुंचाना, लेकिन मेगा फ़ूड पार्क में अब धांधली शुरू हो गई है.

किसानों के हित के लिये बना था मेगा फूड पार्क
बता दें कि पूरे देश में 13 मेगा फूड पार्क बनाने की बात हुई थी. केंद्र सरकार की ओर से ये प्रस्ताव आया था जिसमें बिहार का भी नाम शामिल था. मेगा फ़ूड पार्क बनाने के लिये बिहार सरकार की ओर से खगड़िया को चुना गया था.

khagadiya
मेगा फूड पार्क में धांधली

मेगा फूड पार्क में कोई भी कंपनी नहीं लगा रही यूनिट
जब फूड पार्क बनने की बात सामने आई तब यहां के किसान खुशी से फूले नहीं समा रहे थे. वो अपने ही जिले में रोजगार और अच्छे पैसे कमाने का ख्वाब देखने लगे. आज मेगा फूड पार्क बन कर तैयार हो गया है, लेकिन विडम्बना ये है कि इस मेगा फूड पार्क में कोई भी कंपनी यूनिट नहीं लगा रही है.

पेश है रिपोर्ट

क्या और कैसे हो रही धांधली
प्रेस्टीन कंपनी द्वारा बने मेगा फ़ूड पार्क में 132 तरह के यूनिट लगाने की बात हुई थी. इसमें 132 तरीके के अलग-अलग प्रोडक्ट का उत्पादन होना था वो भी सिर्फ मकई से. मेगा फ़ूड पार्क में बड़े-बड़े गोदाम और कोल्ड स्टोरेज बनाय गए हैं, ताकि जो भी कंपनी अपनी यूनिट लगाये वो अपने सामान का स्टॉक गोदाम में रख सके. लेकिन आज स्थिति ये बनी हुई है कि आसपास के छोटे मोटे व्यपारी इस गोदाम को निजी तरीके से इस्तेमाल कर रहे है. कंपनी के कर्मचारियों द्वारा स्थानीय व्यपारियों को चंद पैसों की लालच में इसे दे दिया गया है.

किसानों के साथ धोखाधड़ी
नियम के मुताबिक इस गोदाम में सिर्फ उसी कंपनी का स्टॉक रखा जा सकता है जिस कंपनी का प्रोडक्शन यूनिट लगा हो. सिर्फ मक्का ही इसमें रखा जा सकता है. लेकिन धान और गेंहू जैसी फसलों को भी यहां रखा जा रहा है.

'मामले पर होगी कार्यवाई'
वहीं, इस मामले पर जिला पार्षद श्वेता कुमारी ने कहा कि ये यहां के किसानों के साथ धोखा हो रहा है. इस पर कार्रवाई होनी चाहिए. बहुत जल्द उच्च अधिकारियों से इसकी लिखित शिकायत की जायेगी.

खगड़िया: बिहार का इकलौता मेगा फ़ूड पार्क लगातार विवादों के घेरे में है. करोड़ों रूपये की लागत से इस फ़ूड पार्क को बनाया गया था. मकसद था जिले के किसानों को फायदा पहुंचाना, लेकिन मेगा फ़ूड पार्क में अब धांधली शुरू हो गई है.

किसानों के हित के लिये बना था मेगा फूड पार्क
बता दें कि पूरे देश में 13 मेगा फूड पार्क बनाने की बात हुई थी. केंद्र सरकार की ओर से ये प्रस्ताव आया था जिसमें बिहार का भी नाम शामिल था. मेगा फ़ूड पार्क बनाने के लिये बिहार सरकार की ओर से खगड़िया को चुना गया था.

khagadiya
मेगा फूड पार्क में धांधली

मेगा फूड पार्क में कोई भी कंपनी नहीं लगा रही यूनिट
जब फूड पार्क बनने की बात सामने आई तब यहां के किसान खुशी से फूले नहीं समा रहे थे. वो अपने ही जिले में रोजगार और अच्छे पैसे कमाने का ख्वाब देखने लगे. आज मेगा फूड पार्क बन कर तैयार हो गया है, लेकिन विडम्बना ये है कि इस मेगा फूड पार्क में कोई भी कंपनी यूनिट नहीं लगा रही है.

पेश है रिपोर्ट

क्या और कैसे हो रही धांधली
प्रेस्टीन कंपनी द्वारा बने मेगा फ़ूड पार्क में 132 तरह के यूनिट लगाने की बात हुई थी. इसमें 132 तरीके के अलग-अलग प्रोडक्ट का उत्पादन होना था वो भी सिर्फ मकई से. मेगा फ़ूड पार्क में बड़े-बड़े गोदाम और कोल्ड स्टोरेज बनाय गए हैं, ताकि जो भी कंपनी अपनी यूनिट लगाये वो अपने सामान का स्टॉक गोदाम में रख सके. लेकिन आज स्थिति ये बनी हुई है कि आसपास के छोटे मोटे व्यपारी इस गोदाम को निजी तरीके से इस्तेमाल कर रहे है. कंपनी के कर्मचारियों द्वारा स्थानीय व्यपारियों को चंद पैसों की लालच में इसे दे दिया गया है.

किसानों के साथ धोखाधड़ी
नियम के मुताबिक इस गोदाम में सिर्फ उसी कंपनी का स्टॉक रखा जा सकता है जिस कंपनी का प्रोडक्शन यूनिट लगा हो. सिर्फ मक्का ही इसमें रखा जा सकता है. लेकिन धान और गेंहू जैसी फसलों को भी यहां रखा जा रहा है.

'मामले पर होगी कार्यवाई'
वहीं, इस मामले पर जिला पार्षद श्वेता कुमारी ने कहा कि ये यहां के किसानों के साथ धोखा हो रहा है. इस पर कार्रवाई होनी चाहिए. बहुत जल्द उच्च अधिकारियों से इसकी लिखित शिकायत की जायेगी.

Intro:बिहार का इकलौता मेगा फ़ूड पार्क लगतार विवादों के घेरे में दिख रहा है। करोड़ो रूपये के लागत से मेगा फ़ूड पार्क को जिले के किसानों के फायदे के लिए बनाया गया था लेकिन आज के समय मे प्रेस्टीन मेगा फ़ूड पार्क किसानो के हित में सोचना छोड़ कर खुद के हित मे लगा हुआ है


Body:बिहार का इकलौता मेगा फ़ूड पार्क लगतार विवादों के घेरे में दिख रहा है। करोड़ो रूपये के लागत से मेगा फ़ूड पार्क को जिले के किसानों के फायदे के लिए बनाया गया था लेकिन आज के समय मे प्रेस्टीन मेगा फ़ूड पार्क किसानो के हित को सोचना छोड़ कर खुद के फायदे बनाने मे लगा हुआ है
जंहा पूरे देश मे 13 मेगा फ़ूड पार्क बनने की बात हुई तो बिहार में भी एक मेगा फ़ूड पार्क दिया गया केंद्र सरकार की तरफ से और उसमें भी खुशनसीब जिला खगड़िया बना क्यों कि इस जिला को बिहार सरकार के द्वारा चुना गया मेगा फ़ूड पार्क बनने के लिए
जब फ़ूड पार्क बनने की बात हुई और धरातल पर काम शुरू हो गया तब यंहा के किसान खुसी से फुले नही समा रहे थे कि अब मक्का ले कर दूसरे जिला नही जाना होगा,अब यंही अच्छे पैसे मिलेंगे और रोजगार भी मिलेगा लेकिन दूसरी तरफ आज मेगा फ़ूड पार्क बन कर तैयार हो गया है मगर विडम्बना ये है कि आज मेगा फ़ूड पार्क में कोई भी कंपनी यूनिट नही लगा रही है और करोड़ों रुपए की लागत से बने मेगा फ़ूड पार्क में अब धांधली भी शुरू हो गई
क्या और कैसे हो रही धांधली
प्रेस्टीन कंपनी द्वारा बने मेगा फ़ूड पार्क में 132 तरह के यूनिट लगने की बात हुई थी इसमें 132 तरीके के अलग अलग प्रोडक्ट का उत्पादन होना था वो भी सिर्फ मकई से।मेगा फ़ूड पार्क में बड़े बड़े विशाल गोदाम और कोल्ड स्टोरेज बनाय गए है ताकि जो भी कंपनी अपनी यूनिट लगाय वो अपने माल का स्टॉक गोदाम में रख सके लेकिन आज की स्थिति ये बनी हुई है कि छोटे मोटे आसपास के व्यपारी इस गोदाम को निजी तरीका से इस्तेमाल कर रहे है कंपनी के कर्मचारियों द्वारा स्थानिए व्यपारियो को चंद पैसों की लालच में दे दिया गया है
नियम कहता है कि इस गोदाम में सिर्फ उसी कंपनी का स्टॉक रखा जा सकता है जो कंपनी का प्रोडक्शन यूनिट लगा हो और सिर्फ मक्का ही इसमें रखा जा सकता है लेकिन इसमें धान और गेंहू जैसे फसल को भी रखा जा रहा है

शुरू से ही विवादों में रहा है प्रेस्टीन मेगा फ़ूड पार्क
पहले भारत सरकार की खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल द्वारा पार्क में यूनिट का काम पूरा नही होने के कारण उद्घाटन नही करने का मामला,फिर उसके बाद बियडा जद्वारा आवंटित जमीन का लीज रद्द करने के बाद अब पार्क में के गोदाम को किराये पर लगा देने का मामला सामने आया है।जबकि इस गोदाम का इस्तेमाल सिर्फ यूनिट लगाने वाली कंपनी ही कर सकती है।
वही इस मामले जिला पार्षद शेवता कुमारी ने कहा कि ये यंहा के किसानों के साथ धोखा हो रहा है इस पर जरूर कार्यवाई होनी चाहिए इस मामले मैं कदम उठाउंगी और बहुत जल्द लिखित शिकायत उच्च अधिकारियों से करूंगी।


बाइट-अस्थनीय व्यपारी के मुंशी
बाइट-शेवता भारती,जिला पार्षद,खगड़िया


Conclusion:
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