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अटल से लेकर मोदी तक ऐसा रहा है रविशंकर प्रसाद का सफर

रविशंकर प्रसाद भूतपूर्व  प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके डिप्टी एल.के. आडवाणी और बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र साथी रहे हैं.

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Published : May 30, 2019, 11:20 PM IST

रविशंकर प्रसाद

पटना : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए एक कुशल और परिष्कृत प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद की मोदी सरकार में वापसी हुई है. प्रसाद भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके डिप्टी एल.के. आडवाणी और बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र साथी रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 के चुनावों में सत्ता में लौटने के बाद उन्हें अपने मंत्रिमंडल में बनाए रखा है. 1990 के दशक के मध्य में सर्वोच्च न्यायालय के वकील से नेता बने रविशंकर प्रसाद ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले में मुकदमे दायर किए.

शपथ लेते रविशंकर प्रसाद.

पटना साहिब से जीते चुनाव
यह रविशंकर प्रसाद और दो अन्य लोग ही थे जिन्होंने जनहित याचिका दायर कर इस घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की मांग की. 65 वर्षीय प्रसाद ने खुद को 'पटना का लड़का' कहा, उन्होंने राज्यसभा के चार कार्यकाल के बाद पहली बार पटना साहिब सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाले अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा को बड़े अंतर से हराकर जीत हासिल की.

पटना विश्वविद्यालय के दिनों से छात्र राजनीति में सक्रिय
पटना में एक शिक्षित कायस्थ परिवार में पैदा हुए रविशंकर प्रसाद पटना विश्वविद्यालय के दिनों से ही छात्र राजनीति में सक्रिय थे. प्रसाद हमेशा दक्षिणपंथी राजनीति के प्रति एक मजबूत झुकाव रखते थे क्योंकि उनके पिता ठाकुर प्रसाद जनसंघ के नेता थे, जिन्होंने इसे राज्य में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

जेपी आंदोलन में हुए शामिल
दिग्गज नेता जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर वह आपातकाल विरोधी आंदोलन में शामिल हुए. उस वक्त वह एबीवीपी में सक्रिय थे. अन्य आरएसएस नेताओं के विपरीत, प्रसाद की अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ थी. इस वजह से वाजपेयी और आडवाणी का ध्यान उनकी तरफ गया क्योंकि 90 के दशक में भाजपा का उभार राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से हो रहा था. प्रसाद 1995 में पार्टी के शीर्ष नीति निर्धारक निकाय, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने. 2001 में वाजपेयी सरकार में उन्हें शामिल किया गया.

पटना : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए एक कुशल और परिष्कृत प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद की मोदी सरकार में वापसी हुई है. प्रसाद भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके डिप्टी एल.के. आडवाणी और बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र साथी रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 के चुनावों में सत्ता में लौटने के बाद उन्हें अपने मंत्रिमंडल में बनाए रखा है. 1990 के दशक के मध्य में सर्वोच्च न्यायालय के वकील से नेता बने रविशंकर प्रसाद ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले में मुकदमे दायर किए.

शपथ लेते रविशंकर प्रसाद.

पटना साहिब से जीते चुनाव
यह रविशंकर प्रसाद और दो अन्य लोग ही थे जिन्होंने जनहित याचिका दायर कर इस घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की मांग की. 65 वर्षीय प्रसाद ने खुद को 'पटना का लड़का' कहा, उन्होंने राज्यसभा के चार कार्यकाल के बाद पहली बार पटना साहिब सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाले अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा को बड़े अंतर से हराकर जीत हासिल की.

पटना विश्वविद्यालय के दिनों से छात्र राजनीति में सक्रिय
पटना में एक शिक्षित कायस्थ परिवार में पैदा हुए रविशंकर प्रसाद पटना विश्वविद्यालय के दिनों से ही छात्र राजनीति में सक्रिय थे. प्रसाद हमेशा दक्षिणपंथी राजनीति के प्रति एक मजबूत झुकाव रखते थे क्योंकि उनके पिता ठाकुर प्रसाद जनसंघ के नेता थे, जिन्होंने इसे राज्य में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

जेपी आंदोलन में हुए शामिल
दिग्गज नेता जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर वह आपातकाल विरोधी आंदोलन में शामिल हुए. उस वक्त वह एबीवीपी में सक्रिय थे. अन्य आरएसएस नेताओं के विपरीत, प्रसाद की अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ थी. इस वजह से वाजपेयी और आडवाणी का ध्यान उनकी तरफ गया क्योंकि 90 के दशक में भाजपा का उभार राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से हो रहा था. प्रसाद 1995 में पार्टी के शीर्ष नीति निर्धारक निकाय, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने. 2001 में वाजपेयी सरकार में उन्हें शामिल किया गया.

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पटना : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए एक कुशल और परिष्कृत प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद की मोदी सरकार में वापसी हुई है. प्रसाद भूतपूर्व  प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके डिप्टी एल.के. आडवाणी और बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र साथी रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 के चुनावों में सत्ता में लौटने के बाद उन्हें अपने मंत्रिमंडल में बनाए रखा है. 1990 के दशक के मध्य में सर्वोच्च न्यायालय के वकील से नेता बने रविशंकर प्रसाद ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले में मुकदमे दायर किए.

यह रविशंकर प्रसाद और दो अन्य लोग ही थे जिन्होंने जनहित याचिका दायर कर इस घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की मांग की. 65 वर्षीय प्रसाद ने खुद को 'पटना का लड़का' कहा, उन्होंने राज्यसभा के चार कार्यकाल के बाद पहली बार पटना साहिब सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाले अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा को बड़े अंतर से हराकर जीत हासिल की.

पटना में एक शिक्षित कायस्थ परिवार में पैदा हुए रविशंकर प्रसाद पटना विश्वविद्यालय के दिनों से ही छात्र राजनीति में सक्रिय थे. प्रसाद हमेशा दक्षिणपंथी राजनीति के प्रति एक मजबूत झुकाव रखते थे क्योंकि उनके पिता ठाकुर प्रसाद जनसंघ के नेता थे, जिन्होंने इसे राज्य में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

दिग्गज नेता जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर वह आपातकाल विरोधी आंदोलन में शामिल हुए. उस वक्त वह एबीवीपी में सक्रिय थे. अन्य आरएसएस नेताओं के विपरीत, प्रसाद की अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ थी. इस वजह से वाजपेयी और आडवाणी का ध्यान उनकी तरफ गया क्योंकि 90 के दशक में भाजपा का उभार राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से हो रहा था. प्रसाद 1995 में पार्टी के शीर्ष नीति निर्धारक निकाय, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने. 2001 में वाजपेयी सरकार में उन्हें शामिल किया गया.


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