पटना: राजधानी पटना के गोपाल मार्केट स्थित कोंचिग में वर्ष 2010 में आग लगी थी. इस दौरान कई छात्र जख्मी भी हुए थे. जिसके बाद कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए वर्ष 2010 में कोचिंग एक्ट बनाया गया. कानून बने 9 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन अभी तक ये कानून धरातल पर नहीं उतर पाया है.
कोचिंग संस्थानों का पंजीयन कराना अनिवार्य
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो राजधानी में लगभग 5000 से अधिक कोचिंग संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन 10 वर्षों में मात्र 986 संस्थानों का पंजीयन हो पाया है. हालांकि कानून के अनुसार प्रत्येक कोचिंग का पंजीयन कराना अनिवार्य हैं जो कि जिला शिक्षा अधिकारी के यहां होता है.
जिलाधिकारियों के नेतृत्व में कमेटी का गठन
किसी भी कोचिंग का पंजीयन जांच के बाद ही होना है. कोचिंग पर नियंत्रण के लिए जिलाधिकारियों के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई है. जिलाधिकारी के निर्देश पर जांच कमेटी का गठन किया जाता है और जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही पंजीयन होता है.
गलत जानकारी पर मान्यता हो सकती है रद्द
कोचिंग एक्ट के अनुसार पहली बार आवेदन देने पर 3 साल के लिए पंजीयन किया जाता है. इसके लिए ₹5000 फीस देनी होती हैं. 3 साल बाद दूसरी बार पंजीयन कराने पर ₹3000 शुल्क देना होता है. एक्ट में ये भी प्रावधान किया गया है कि गलत जानकारी देने वाले संस्थानों की मान्यता प्रशासन कभी भी रद्द कर सकती हैं. इसके अलावा 25000 का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
अधिकांश संस्थानों के पास पार्किंग की व्यवस्था नहीं
कानून के मुताबिक छात्रों के लिए पेयजल से लेकर पार्किंग तक की व्यवस्था करानी है. लेकिन राजधानी में संचालित हो रहे अधिकांश संस्थानों के पास पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं हैं. छात्र सड़कों पर ही अपनी साइकिल और दूसरे वाहनों की पार्किंग करते हैं. जितनी संख्या में छात्र कोचिंग में पढ़ाई करते हैं उस अनुपात में पेयजल की व्यवस्था नहीं है.
कोचिंग संस्थान कर रहे मनमानी
जानकारों का कहना है कि अधिकारियों के ढीले रवैये के कारण ही कोचिंग संस्थानों का पंजीयन नहीं हो पा रहा है. जिसका लाभ कोचिंग संस्थान उठा रहे हैं. राज्य सरकार के कानून के अनुसार कोचिंग संस्थान के पास समुचित मात्रा में आधारभूत संरचना होनी चाहिए. जिसमें छात्रों के लिए आराम से बैठकर अध्ययन करने के लिए 1 वर्ग मीटर जगह एक छात्र के लिए निर्धारित है. लेकिन ये सुविधाएं राजधानी के कोचिंग संस्थानों की ओर से छात्रों को मुहैया नहीं कराई जा रही है.
कोचिंग में रौशनी की भी व्यवस्था नहीं
यहां एक ही बेंच पर 5 से 6 छात्रों को बैठाया जाता है. कमरे में मानक से कई गुना ज्यादा छात्रों को भेड़ बकरियों की तरह बैठा दिया जाता है. जिस कमरे में छात्रों को पढ़ने के लिए बैठाया जाता है वहां रौशनी भी समुचित व्यवस्था नहीं है.
शिक्षा विभाग जल्द करेगी पहल
इस पूरे मामले में जिला प्रशासन का साफ कहना है कि शिक्षा विभाग जल्द ही इसपर पहल करेगी. समस्यायों का निराकरण जल्द ही किया जायेगा.