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कटिहार से नहीं थम रहा पलायन, पूणे हादसे में 15 मजदूरों की हुई थी मौत

पूणे में हुए हादसे के बावजूद भी नहीं थम रहा कटिहार से पलायन की स्थिति. रोजी-रोटी की तलाश में हादसे के बाद भी हजारों लोग कर चुके हैं पलायन.

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Published : Jul 2, 2019, 9:30 AM IST

कटिहार रेलवे स्टेशन

कटिहार: महाराष्ट्र के पुणे में हुए हादसे में 15 मजदूरों की मौत के बाद भी जिले से पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है. हादसे के 3 दिन बाद ही हजारों की संख्या में लोग रोजी-रोटी की तलाश में अपने घर को छोड़ दूसरे राज्यों की ओर रूख कर रहे हैं.

कटिहार रेलवे स्टेशन की यह तस्वीर बताने के लिए काफी है कि बड़ी संख्या में बैठे लोग ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं. वो इन्हें दूसरे राज्य तक ले जाएगी. दूसरे शहर से मजदूर कुछ पैसे कमाकर घर भेज पाएंगे और परिवार का भरण-पोषण कर सकेंगे.

कटिहार
ट्रेन का इंतजार करते गरीब मजदूर

नहीं मिल रहा मनरेगा का लाभ

स्टेशन पर मौजूद गरीब युवा वर्ग के मजदूरों का कहना है कि पिछले 2 महीने से गांव में कोई काम नहीं मिला. सरकार के द्वारा चलाए जा रहे मनरेगा कार्यक्रम के तहत भी उन्हें कोई काम नहीं मिलता है, जिस कारण काम की तलाश में दूसरे राज्य की ओर पलायन करना पड़ रहा है.

बाढ़ भी पलायन की एक अहम वजह

कटिहार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र भी है. हर साल हजारों लोग बाढ़ और कटाव के चपेट में आ जाते हैं. ऐसे में जीविकोपार्जन के लिए विस्थापित लोग तथा गरीब तबके के मजदूर यहां से पलायन करना शुरू कर देते हैं.

पूणे हादसे के बावजूद पलायन जारी

बंद पड़े हैं जूट मिल

कटिहार कभी जूट नगरी के नाम से जाना जाता था, लेकिन जूट मिल बंद हो जाने के कारण यहां के हजारों मजदूरों की नौकरी भी हाथ से निकल गई. ऐसे में लोगों ने पलायन करना शुरु कर दिया. जूट मिल के जल्द से जल्द चालू करने से हजारों लोगों को नौकरी मिल सकने की उम्मीद है. कृषि आधारित औद्योगिक मिल लगाने की भी जरुरत है.

क्या हुआ था पुणे में

मात्र तीन दिन पहले पुणे में दिवार गिरने से 15 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में मजदूर वर्ग के लोग थे, जिसमें अधिकतर मजदूर बिहार से थे.

कटिहार: महाराष्ट्र के पुणे में हुए हादसे में 15 मजदूरों की मौत के बाद भी जिले से पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है. हादसे के 3 दिन बाद ही हजारों की संख्या में लोग रोजी-रोटी की तलाश में अपने घर को छोड़ दूसरे राज्यों की ओर रूख कर रहे हैं.

कटिहार रेलवे स्टेशन की यह तस्वीर बताने के लिए काफी है कि बड़ी संख्या में बैठे लोग ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं. वो इन्हें दूसरे राज्य तक ले जाएगी. दूसरे शहर से मजदूर कुछ पैसे कमाकर घर भेज पाएंगे और परिवार का भरण-पोषण कर सकेंगे.

कटिहार
ट्रेन का इंतजार करते गरीब मजदूर

नहीं मिल रहा मनरेगा का लाभ

स्टेशन पर मौजूद गरीब युवा वर्ग के मजदूरों का कहना है कि पिछले 2 महीने से गांव में कोई काम नहीं मिला. सरकार के द्वारा चलाए जा रहे मनरेगा कार्यक्रम के तहत भी उन्हें कोई काम नहीं मिलता है, जिस कारण काम की तलाश में दूसरे राज्य की ओर पलायन करना पड़ रहा है.

बाढ़ भी पलायन की एक अहम वजह

कटिहार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र भी है. हर साल हजारों लोग बाढ़ और कटाव के चपेट में आ जाते हैं. ऐसे में जीविकोपार्जन के लिए विस्थापित लोग तथा गरीब तबके के मजदूर यहां से पलायन करना शुरू कर देते हैं.

पूणे हादसे के बावजूद पलायन जारी

बंद पड़े हैं जूट मिल

कटिहार कभी जूट नगरी के नाम से जाना जाता था, लेकिन जूट मिल बंद हो जाने के कारण यहां के हजारों मजदूरों की नौकरी भी हाथ से निकल गई. ऐसे में लोगों ने पलायन करना शुरु कर दिया. जूट मिल के जल्द से जल्द चालू करने से हजारों लोगों को नौकरी मिल सकने की उम्मीद है. कृषि आधारित औद्योगिक मिल लगाने की भी जरुरत है.

क्या हुआ था पुणे में

मात्र तीन दिन पहले पुणे में दिवार गिरने से 15 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में मजदूर वर्ग के लोग थे, जिसमें अधिकतर मजदूर बिहार से थे.

Intro:कटिहार

महाराष्ट्र के पुणे में हुई हादसे में 12 मजदूरों की मौत के खबर के बावजूद कटिहार से पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है। हादसे के 3 दिन के बाद ही हजारों की संख्या में लोग रोजी-रोटी, पेट परिवार के चलते बिहार को छोड़ जान जोखिम में डालकर दूसरे राज्यों की ओर रुख कर रहे हैं ताकि कुछ पैसा कमा लें और घर परिवार चला सके।


Body:कटिहार रेलवे स्टेशन की यह तस्वीर बताने के लिए काफी है कि बड़ी संख्या में बैठे लोग ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं जो इन्हें दूसरे राज्य तक ले जाएगी जहां वह कुछ पैसे कमाकर घर भेजेंगे जिससे इनके परिवार का भरण-पोषण हो सके।

स्टेशन पर मौजूद गरीब युवा वर्ग के मजदूरों का कहना है गांव में काम नहीं मिलने के कारण पलायन की मजबूरी है। पिछले 2 महीने से गांव में कोई काम नहीं मिला। अंततः थक हार कर काम की तलाश में दूसरे राज्य की रुख कर रहे हैं।

इस तस्वीर के बाद यह कह सकते हैं कि बिहार में रोजगार साधनों की अनुपलब्धता की वजह से पलायन शुरू हो गया है। वैसे कटिहार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। हर साल हजारों लोग बाढ़ और कटाव के चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में जीविकोपार्जन के लिए विस्थापित लोग तथा गरीब तबके के मजदूर यहां से पलायन करना शुरू कर देते हैं ।


Conclusion:कटिहार कभी जूट नगरी के नाम से जाना जाता था। लेकिन जूट मिल बंद हो जाने के कारण यहां के हजारों मजदूरों के नौकरी भी हाथ से निकल गई। ऐसे में लोग पेट पालने के लिए दिल्ली मुंबई जैसे कई बड़े शहरों की ओर जाने लगे।

कटिहार में पलायन को रोकने के लिए सरकार को चाहिए कि यहां बंद पड़े दो जूट मिल जल्द से जल्द चालू कर दे ताकि हजारों लोगों को नौकरी मिल सके। वही कृषि प्रधान जिला होने के चलते कृषि आधारित औद्योगिक मिल लगाया जाए ताकि लोगों को यहां से बाहर ना जाना पड़े।
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