कटिहार: महाराष्ट्र के पुणे में हुए हादसे में 15 मजदूरों की मौत के बाद भी जिले से पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है. हादसे के 3 दिन बाद ही हजारों की संख्या में लोग रोजी-रोटी की तलाश में अपने घर को छोड़ दूसरे राज्यों की ओर रूख कर रहे हैं.
कटिहार रेलवे स्टेशन की यह तस्वीर बताने के लिए काफी है कि बड़ी संख्या में बैठे लोग ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं. वो इन्हें दूसरे राज्य तक ले जाएगी. दूसरे शहर से मजदूर कुछ पैसे कमाकर घर भेज पाएंगे और परिवार का भरण-पोषण कर सकेंगे.
नहीं मिल रहा मनरेगा का लाभ
स्टेशन पर मौजूद गरीब युवा वर्ग के मजदूरों का कहना है कि पिछले 2 महीने से गांव में कोई काम नहीं मिला. सरकार के द्वारा चलाए जा रहे मनरेगा कार्यक्रम के तहत भी उन्हें कोई काम नहीं मिलता है, जिस कारण काम की तलाश में दूसरे राज्य की ओर पलायन करना पड़ रहा है.
बाढ़ भी पलायन की एक अहम वजह
कटिहार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र भी है. हर साल हजारों लोग बाढ़ और कटाव के चपेट में आ जाते हैं. ऐसे में जीविकोपार्जन के लिए विस्थापित लोग तथा गरीब तबके के मजदूर यहां से पलायन करना शुरू कर देते हैं.
बंद पड़े हैं जूट मिल
कटिहार कभी जूट नगरी के नाम से जाना जाता था, लेकिन जूट मिल बंद हो जाने के कारण यहां के हजारों मजदूरों की नौकरी भी हाथ से निकल गई. ऐसे में लोगों ने पलायन करना शुरु कर दिया. जूट मिल के जल्द से जल्द चालू करने से हजारों लोगों को नौकरी मिल सकने की उम्मीद है. कृषि आधारित औद्योगिक मिल लगाने की भी जरुरत है.
क्या हुआ था पुणे में
मात्र तीन दिन पहले पुणे में दिवार गिरने से 15 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में मजदूर वर्ग के लोग थे, जिसमें अधिकतर मजदूर बिहार से थे.