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AES को लेकर डॉक्टरों ने की बैठक, बीमारी से बचाव पर हुई चर्चा

बिहार के मुजफ्फरपुर में एईएस बीमारी से करीब दो सौ से ज़्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. इसे लेकर अररिया सदर अस्पताल में बैठक बुलाई गई, जिसमें जिले के स्वास्थ विभाग से जुड़े सारे अधिकारी मौजूद रहे.

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Published : Jun 22, 2019, 8:54 AM IST

Updated : Jun 22, 2019, 10:07 AM IST

चिकित्सकों की बैठक

अररिया: मुजफ्फरपुर में बच्चों की हो रही मौत के बाद सदर अस्पताल अररिया के प्रांगण में एक बैठक की गई. इसमें इंसेफलाइटिस, इससे निबटने और जिले में मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था पर चर्चा की गई. इस दौरान जिले के सभी स्वास्थ कर्मी मौजूद रहे.

सदर अस्पताल में बैठक
बिहार के मुजफ्फरपुर में एईएस बीमारी से करीब दो सौ से ज़्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. इसे लेकर अररिया सदर अस्पताल में बैठक बुलाई गई, जिसमें जिले के स्वास्थ विभाग से जुड़े सारे अधिकारी मौजूद रहे. इस बैठक की अध्यक्षता जिला सीएस डॉक्टर सुरेश प्रसाद, डीपीएम रेहान अशरफ, बीडीओ डॉ. अजय कुमार सिंह के अलावा कई विभागीय लोग मौजूद थे.

AES को लेकर बैठक

चमकी से निबटने पर चर्चा
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य ये जानना था कि अररिया में इस बीमारी से बचाओ के लिए क्या इंतजाम किये गये है. इस बीमारी के लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर की टीम, दवाई और बेड उपलब्ध है. डॉक्टर अजय सिंह बताते हैं कि इस मीटिंग के माध्यम से सारे मेडिकल स्टाफ को अपडेट करने के लिए बुलाया गया था. इसके अवेयरनेस के लिए आंगनबाड़ी, एएनएम और जीविका के माध्यम से पहल किया जा रहा है.

ऐहतियात बरतना बेहद जरूरी
ग्रामीण क्षेत्रों में और अररिया में अभी तक इस तरह के मामले नहीं पाए गए हैं. इससे बचने का तरीका यही है कि बच्चों को रात में खाना खिला कर सुलाएं, हो सके तो दो बार स्नान कराएं, आसपास साफ सफाई रखें. बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होना या बेहोश हो जाना, इस तरह का कोई भी लक्षण दिखे तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं.

अररिया: मुजफ्फरपुर में बच्चों की हो रही मौत के बाद सदर अस्पताल अररिया के प्रांगण में एक बैठक की गई. इसमें इंसेफलाइटिस, इससे निबटने और जिले में मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था पर चर्चा की गई. इस दौरान जिले के सभी स्वास्थ कर्मी मौजूद रहे.

सदर अस्पताल में बैठक
बिहार के मुजफ्फरपुर में एईएस बीमारी से करीब दो सौ से ज़्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. इसे लेकर अररिया सदर अस्पताल में बैठक बुलाई गई, जिसमें जिले के स्वास्थ विभाग से जुड़े सारे अधिकारी मौजूद रहे. इस बैठक की अध्यक्षता जिला सीएस डॉक्टर सुरेश प्रसाद, डीपीएम रेहान अशरफ, बीडीओ डॉ. अजय कुमार सिंह के अलावा कई विभागीय लोग मौजूद थे.

AES को लेकर बैठक

चमकी से निबटने पर चर्चा
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य ये जानना था कि अररिया में इस बीमारी से बचाओ के लिए क्या इंतजाम किये गये है. इस बीमारी के लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर की टीम, दवाई और बेड उपलब्ध है. डॉक्टर अजय सिंह बताते हैं कि इस मीटिंग के माध्यम से सारे मेडिकल स्टाफ को अपडेट करने के लिए बुलाया गया था. इसके अवेयरनेस के लिए आंगनबाड़ी, एएनएम और जीविका के माध्यम से पहल किया जा रहा है.

ऐहतियात बरतना बेहद जरूरी
ग्रामीण क्षेत्रों में और अररिया में अभी तक इस तरह के मामले नहीं पाए गए हैं. इससे बचने का तरीका यही है कि बच्चों को रात में खाना खिला कर सुलाएं, हो सके तो दो बार स्नान कराएं, आसपास साफ सफाई रखें. बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होना या बेहोश हो जाना, इस तरह का कोई भी लक्षण दिखे तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं.

Intro:सदर अस्पताल अररिया के प्रांगण में बिहार के मुज़्ज़फरपुर मामले को लेकर बैठक की गई जिसमें यह निर्णय लिया गया कि इस बीमारी की सच्चाई क्या है जो अभी इस पर जांच हो रही है और अररिया ज़िले में इस बीमारी को लेकर किस तरह की व्यवस्था है और इसके लिए डॉक्टर की टीम कितनी सक्षम है इससे निपटने के लिए। इस बैठक में ज़िले के सारे स्वास्थ कर्मी शामिल हुए।


Body:इन दिनों बिहार के मुज़्ज़फरपुर में एईएस बीमारी से क़रीब दो सौ से ज़्यादा बच्चों की चुकी है जिसको लेकर आज अररिया सदर अस्पताल में बैठक बुलाई गई जिसमें ज़िले के स्वास्थ विभाग से जुड़े सारे अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक की अध्यक्षता ज़िला सीएस डॉक्टर सुरेश प्रसाद, डीपीएम रेहान अशरफ़, वीबीओ डॉ अजय कुमार सिंह के अलावा अन्य विभागीय लोग मौजूद थे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य था कि अररिया में बीमारी इस बीमारी से बचाओ के लिए किया इंतज़ाम है। इस बीमारी के लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर की टीम, दवाई, बेड सारे उपलब्ध है। डॉक्टर अजय सिंह बताते हैं कि सारे मेडिकल स्टाफ़ को इस मीटिंग के माध्यम से अपडेट करने के लिए बुलाया गया था। इसके अवेयरनेस के लिए आंगनबाड़ी, एएनएम, जीविका दीदी के माध्यम से पहल किया जा रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में और अररिया में अभी तक इस तरह के मामले नहीं पाए गए हैं। इससे बचने का तरीका बच्चे को रात खाना खिला कर सुलाएं, हो सके तो दो बार स्नान कराएं, आस पास साफ़ सफ़ाई रखें। बच्चे को सांस लेने में दिक्कत, बेहोश हो जाना इस तरह की चीज़ें हैं तो उसे पास के डॉक्टर को ले जाकर दिखाएं। ये 1 से 15 साल के बच्चों में देखा गया है पर एक से सात साल तक के बच्चे इस बीमारी से ही ग्रसित हुए हैं अभी तक


Conclusion:वाइट शर्ट अजय
Last Updated : Jun 22, 2019, 10:07 AM IST
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