पटना: बिहार में चमकी बुखार से अबतक सैकड़ों बच्चों की मौत हो चुकी है. इनमें अधिकांश बच्चे कुपोषण के शिकार थे. इस मामले को लेकर सामाजिक-आर्थिक सर्वे किया गया. रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. पीड़ित परिवारों में अधिकांश परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है. वहीं, कई पीड़ित के घर पक्के नहीं हैं.
AES पर विशेष बैठक
दरअसल, मुख्य सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में आज एईएस पर विशेष बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, खाद आपूर्ति विभाग के प्रधान सचिव, पीएचईडी विभाग के सचिव और आपदा विभाग के प्रधान सचिव मौजूद रहे.
सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य
संजय कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद जिन परिवारों के बच्चों की मौत हुई थी, उनका सामाजिक, आर्थिक सर्वे कराया गया था. इस सर्वे के प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार कई चीजें सामने आई हैं. कई लोगों के राशन कार्ड नहीं है, तो वहीं रहने के लिए पक्के घर भी नहीं हैं.
'विस्तार से होगा सर्वे'
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि इन इलाकों में जीविका समूह के माध्यम से विस्तृत रूप से सर्वे कराया जाएगा. इस सर्वे में सरकारी योजनाओं का कितना लाभ आम जनता तक पहुंचा है. इस पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
सरकार की कार्यशैली पर सवाल
सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर सोशियो-इकोनॉमिक सर्वे तो कराया गया. लेकिन, खुलासा बेहद चौंकाने वाला है. ऐसे में नीतीश कुमार खुद सवालों के कटघरे में खड़े हो गए हैं. बीपीएल या गरीब परिवारों के पास कच्चा मकान होना, राशन कार्ड न होना कई सवाल खड़े करते हैं.