बेगूसराय: जिले के संग्रहालय में इतिहास से जुड़ी कई चीजें संरक्षित की गई हैं. पहली शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी तक इतिहास के पन्नों में दफन सभी राजवंशों से जुड़े अवशेष समेत विभिन्न मूर्तियां यहां रखी हुई हैं. लोग दूर-दूर से यहां घूमने के लिये आते हैं.
इतिहास के पन्नों में दर्ज है बेगूसराय
बेगूसराय जिला देश के वैसे जिलों में शुमार है जहां पुरातत्व और इतिहास से जुड़ी एक से एक धरोहर मौजूद है. दूसरी शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक बेगूसराय की धरती ने पाल वंश, बौद्ध धर्म, मुस्लिम राजाओं का आक्रमण ,मौर्य साम्राज्य, सुंग काल, कुषाण काल तथा गुप्त काल का प्रादुर्भाव और अंत देखा है.
खेती के दौरान मिली थी कई वस्तुएं
सभी काल खंडों के अंत के बाद उस समय के धर्म, सामाजिक वातावरण, मूर्तियां, कलाकृतियां और सभ्यता से जुड़ी तमाम चीजें जमींदोज होती चली गयी और नई सदी से जुड़ी चीजे सतह पर दिखने लगी. गौरतलब हो कि 70-80 के दशक में जयमंगला गढ़ और नौलागढ़ इलाके में खेती करने के दौरान किसानों को जमीन के अंदर से हिन्दू और बौद्घ धर्म से जुड़े कुछ मूर्तियां और वस्तुएं प्राप्त हुई थी जिसके बाद ये बात जंगल के आग की तरह फैल गयी.
खुदाई के दौरान मिली कई मूर्तियां
इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और पुरातत्व विभाग और इतिहासकारों के नेतृत्व में जिले के जयमंगलागढ़, बीरपुर ,नौलागढ़, बारैपूरा, संघोल आदि स्थानों पर खुदाई अभियान चलाया गया जिसमे कई चीजें बरामद हुई. बरामद अवशेषों में बुद्ध की तीन अलग अलग मुद्राओं की मूर्ति, एक नंदी और एक स्तंभ प्राप्त हुआ. दुर्लभतम नवग्रह मूर्ति, कई देव लिंग, अरघा मन्नत स्तूप,गणेश, विष्णु आदि की मूर्तियां भी मिली.
चांदी और तांबा के सिक्के भी मिले
इसके साथ ताल पत्र और भोजपत्र पर लिखा हुआ श्लोक भी मिला. इसके साथ ही सभी शासन कालों के चांदी और तांबा के सिक्के भी प्राप्त हुए. सैकड़ों की संख्या में बरामद अवशेषों को बेगूसराय संग्रहालय में संग्रहित किया गया और खुदाई बंद कर दी गयी. पौराणिक काल की चीजें काफी अद्भुत हैं.
दर्शकों के लिए कौतूहल का विषय
संग्रहालय के कर्मी बताते हैं की बेगूसराय संग्रहालय में संरक्षित की गई दूसरी शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी के तत्कालीन सभ्यताओं से जुड़ी हुई मूर्ति, स्तंभ, प्रस्तर देव मूर्तियां, बुद्ध की मूर्तियां, सिक्के, मुहर आदि दर्शकों के लिए कौतूहल का विषय होता है. सभी बारीकी से चीजों का अध्ययन करते हैं. लोग अपने इतिहास के बारे में सोच कर काफी अच्छा महसूस करते हैं.
प्रशासन व्यापक स्तर पर करे खुदाई
जितने भी दर्शक संग्रहालय में इतिहास की जानकारी लेने पहुंचते हैं, उन्हें काफी सुकून मिलता है. ज्यादातर दर्शकों का मानना है कि प्रशासन ने मामूली खुदाई की है जिसमें इतनी बड़ी तादाद में पौराणिक काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं. प्रशासन को चाहिए कि संभावित स्थलों पर व्यापक खुदाई कर इतिहास में दफन हो चुकी चीजों को सामने लाने का प्रयास करे.