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बेगूसराय संग्रहालय: इतिहास के पन्नों में दफन सभी राजवंशों से जुड़े अवशेष, अपने समृद्ध विरासत को जानें - खुदाई

आमलोग पौराणिक अवशेषों को देखकर गौरवान्वित महससूस करते है. लोग ये आस लगाए बैठे है कि कब फिर से खुदाई शुरू होगी. लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि अधिकारी से लेकर सरकारी तंत्र के लोग इस मसले पर चुप्पी साधे हुए है.

संग्रहालय में इतिहास से जुड़ी कई चीजे संरक्षित की गई हैं
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Published : Jun 15, 2019, 12:15 PM IST

बेगूसराय: जिले के संग्रहालय में इतिहास से जुड़ी कई चीजें संरक्षित की गई हैं. पहली शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी तक इतिहास के पन्नों में दफन सभी राजवंशों से जुड़े अवशेष समेत विभिन्न मूर्तियां यहां रखी हुई हैं. लोग दूर-दूर से यहां घूमने के लिये आते हैं.

इतिहास के पन्नों में दर्ज है बेगूसराय
बेगूसराय जिला देश के वैसे जिलों में शुमार है जहां पुरातत्व और इतिहास से जुड़ी एक से एक धरोहर मौजूद है. दूसरी शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक बेगूसराय की धरती ने पाल वंश, बौद्ध धर्म, मुस्लिम राजाओं का आक्रमण ,मौर्य साम्राज्य, सुंग काल, कुषाण काल तथा गुप्त काल का प्रादुर्भाव और अंत देखा है.

पेश है रिपोर्ट

खेती के दौरान मिली थी कई वस्तुएं
सभी काल खंडों के अंत के बाद उस समय के धर्म, सामाजिक वातावरण, मूर्तियां, कलाकृतियां और सभ्यता से जुड़ी तमाम चीजें जमींदोज होती चली गयी और नई सदी से जुड़ी चीजे सतह पर दिखने लगी. गौरतलब हो कि 70-80 के दशक में जयमंगला गढ़ और नौलागढ़ इलाके में खेती करने के दौरान किसानों को जमीन के अंदर से हिन्दू और बौद्घ धर्म से जुड़े कुछ मूर्तियां और वस्तुएं प्राप्त हुई थी जिसके बाद ये बात जंगल के आग की तरह फैल गयी.

खुदाई के दौरान मिली कई मूर्तियां
इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और पुरातत्व विभाग और इतिहासकारों के नेतृत्व में जिले के जयमंगलागढ़, बीरपुर ,नौलागढ़, बारैपूरा, संघोल आदि स्थानों पर खुदाई अभियान चलाया गया जिसमे कई चीजें बरामद हुई. बरामद अवशेषों में बुद्ध की तीन अलग अलग मुद्राओं की मूर्ति, एक नंदी और एक स्तंभ प्राप्त हुआ. दुर्लभतम नवग्रह मूर्ति, कई देव लिंग, अरघा मन्नत स्तूप,गणेश, विष्णु आदि की मूर्तियां भी मिली.

संग्रहालय कर्मी से खास बातचीत

चांदी और तांबा के सिक्के भी मिले
इसके साथ ताल पत्र और भोजपत्र पर लिखा हुआ श्लोक भी मिला. इसके साथ ही सभी शासन कालों के चांदी और तांबा के सिक्के भी प्राप्त हुए. सैकड़ों की संख्या में बरामद अवशेषों को बेगूसराय संग्रहालय में संग्रहित किया गया और खुदाई बंद कर दी गयी. पौराणिक काल की चीजें काफी अद्भुत हैं.

दर्शकों के लिए कौतूहल का विषय
संग्रहालय के कर्मी बताते हैं की बेगूसराय संग्रहालय में संरक्षित की गई दूसरी शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी के तत्कालीन सभ्यताओं से जुड़ी हुई मूर्ति, स्तंभ, प्रस्तर देव मूर्तियां, बुद्ध की मूर्तियां, सिक्के, मुहर आदि दर्शकों के लिए कौतूहल का विषय होता है. सभी बारीकी से चीजों का अध्ययन करते हैं. लोग अपने इतिहास के बारे में सोच कर काफी अच्छा महसूस करते हैं.

प्रशासन व्यापक स्तर पर करे खुदाई
जितने भी दर्शक संग्रहालय में इतिहास की जानकारी लेने पहुंचते हैं, उन्हें काफी सुकून मिलता है. ज्यादातर दर्शकों का मानना है कि प्रशासन ने मामूली खुदाई की है जिसमें इतनी बड़ी तादाद में पौराणिक काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं. प्रशासन को चाहिए कि संभावित स्थलों पर व्यापक खुदाई कर इतिहास में दफन हो चुकी चीजों को सामने लाने का प्रयास करे.

बेगूसराय संग्रहालय: इतिहास के पन्नों में दफन सभी राजवंशों से जुड़े अवशेष, अपने समृद्ध विरासत को जानें

बेगूसराय: जिले के संग्रहालय में इतिहास से जुड़ी कई चीजें संरक्षित की गई हैं. पहली शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी तक इतिहास के पन्नों में दफन सभी राजवंशों से जुड़े अवशेष समेत विभिन्न मूर्तियां यहां रखी हुई हैं. लोग दूर-दूर से यहां घूमने के लिये आते हैं.

इतिहास के पन्नों में दर्ज है बेगूसराय
बेगूसराय जिला देश के वैसे जिलों में शुमार है जहां पुरातत्व और इतिहास से जुड़ी एक से एक धरोहर मौजूद है. दूसरी शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक बेगूसराय की धरती ने पाल वंश, बौद्ध धर्म, मुस्लिम राजाओं का आक्रमण ,मौर्य साम्राज्य, सुंग काल, कुषाण काल तथा गुप्त काल का प्रादुर्भाव और अंत देखा है.

पेश है रिपोर्ट

खेती के दौरान मिली थी कई वस्तुएं
सभी काल खंडों के अंत के बाद उस समय के धर्म, सामाजिक वातावरण, मूर्तियां, कलाकृतियां और सभ्यता से जुड़ी तमाम चीजें जमींदोज होती चली गयी और नई सदी से जुड़ी चीजे सतह पर दिखने लगी. गौरतलब हो कि 70-80 के दशक में जयमंगला गढ़ और नौलागढ़ इलाके में खेती करने के दौरान किसानों को जमीन के अंदर से हिन्दू और बौद्घ धर्म से जुड़े कुछ मूर्तियां और वस्तुएं प्राप्त हुई थी जिसके बाद ये बात जंगल के आग की तरह फैल गयी.

खुदाई के दौरान मिली कई मूर्तियां
इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और पुरातत्व विभाग और इतिहासकारों के नेतृत्व में जिले के जयमंगलागढ़, बीरपुर ,नौलागढ़, बारैपूरा, संघोल आदि स्थानों पर खुदाई अभियान चलाया गया जिसमे कई चीजें बरामद हुई. बरामद अवशेषों में बुद्ध की तीन अलग अलग मुद्राओं की मूर्ति, एक नंदी और एक स्तंभ प्राप्त हुआ. दुर्लभतम नवग्रह मूर्ति, कई देव लिंग, अरघा मन्नत स्तूप,गणेश, विष्णु आदि की मूर्तियां भी मिली.

संग्रहालय कर्मी से खास बातचीत

चांदी और तांबा के सिक्के भी मिले
इसके साथ ताल पत्र और भोजपत्र पर लिखा हुआ श्लोक भी मिला. इसके साथ ही सभी शासन कालों के चांदी और तांबा के सिक्के भी प्राप्त हुए. सैकड़ों की संख्या में बरामद अवशेषों को बेगूसराय संग्रहालय में संग्रहित किया गया और खुदाई बंद कर दी गयी. पौराणिक काल की चीजें काफी अद्भुत हैं.

दर्शकों के लिए कौतूहल का विषय
संग्रहालय के कर्मी बताते हैं की बेगूसराय संग्रहालय में संरक्षित की गई दूसरी शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी के तत्कालीन सभ्यताओं से जुड़ी हुई मूर्ति, स्तंभ, प्रस्तर देव मूर्तियां, बुद्ध की मूर्तियां, सिक्के, मुहर आदि दर्शकों के लिए कौतूहल का विषय होता है. सभी बारीकी से चीजों का अध्ययन करते हैं. लोग अपने इतिहास के बारे में सोच कर काफी अच्छा महसूस करते हैं.

प्रशासन व्यापक स्तर पर करे खुदाई
जितने भी दर्शक संग्रहालय में इतिहास की जानकारी लेने पहुंचते हैं, उन्हें काफी सुकून मिलता है. ज्यादातर दर्शकों का मानना है कि प्रशासन ने मामूली खुदाई की है जिसमें इतनी बड़ी तादाद में पौराणिक काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं. प्रशासन को चाहिए कि संभावित स्थलों पर व्यापक खुदाई कर इतिहास में दफन हो चुकी चीजों को सामने लाने का प्रयास करे.

Intro:डे प्लान स्टोरी एक्सक्लुसिव रिपोर्ट बेगूसराय के इतिहास से जुड़ी। एंकर- पहली शताब्दी से लेकर 12वीं शताब्दी तक इतिहास के पन्नों में दफन सभी राजवंशों से जुड़े अवशेषों का मिलना,खुदाई में पालवंश,बौद्ध धर्म, मौर्य काल,गुप्त काल,शुंग काल,कुषाण काल के राजघराने से जुड़ी बहुमूल्य चीजें बरामद होने के साथ साथ महात्मा बुद्ध से संबंधित मूर्तियां और साक्ष्य बरामद होने के बाद एक तरफ आमलोग पौराणिक अवशेषों को देखकर गौरवान्वित महशुश करते है वही ये भी आश लगाए बैठे है कि कब फिर से खुदाई शुरू होगी लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण पहलू ये है अधिकारी से लेकर सरकारी तंत्र के लोग इस मसले को लटकाने के प्रयाश में जुटे हुए हैं। एक रिपोर्ट


Body:vo- बेगूसराय जिला देश के वैसे जिलों में शुमार है जहां पुरातत्व और इतिहास से जुड़ी एक पर एक धरोहर मौजूद है। दूसरी शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी तक बेगूसराय की धरती ने पाल वंश, बौद्ध धर्म, मुस्लिम राजाओं का आक्रमण ,मौर्य साम्राज्य, सुंग काल, कुषाण काल तथा गुप्त काल का प्रादुर्भाव और अंत देखा है।सभी काल खंडों के अंत के बाद उस समय के धर्म,सामाजिक वातावरण, मूर्तियां, कलाकृतियां, सभ्यता,से जुड़ी तमाम चीजें जमींदोज होती चली गयी और नई शदी से जुड़ी चीजे सतह पर दिखने लगी । गौरतलब हो कि 70-80 के दशक में जयमंगला गढ़ और नौलागढ़ इलाके में खेती करने के दौरान किसानों को जमीन के अंदर से हिन्दू और बौद्घ धर्म से जुड़े कुछ मूर्ति और बस्तुएं प्राप्त हुई जिसके बाद ये बात जंगल के आग के तरह फैल गयी ।जिला प्रशासन हरकत में आया और पुरातत्व विभाग और इतिहासकारों के नेतृत्व में जिलेके जयमंगलागढ़ बीरपुर नौलागढ़ बारैपूरा संघोल आदि स्थानों पर खुदाई अभियान चलाया गया जिसमे कई चीजें बरामद हुई ।बरामद अवशेषों में बुद्ध की तीन अलग अलग मुद्राओं की मूर्ति एक स्तंभ के ताखे में द्वारपाल हाथ में घट लिए खड़ा है तथा एक नंदी तथा एक स्तंभ प्राप्त हुआ। दुर्लभतम नवग्रह मूर्ति कई देव लिंग ,अरघा मन्नत स्तूप जिसके चारों और बुध की आकृति बनी है। गणेश विष्णु आदि की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। मृण मूर्तियां, मौर्यकालीन, शुंग काल, कुषाण काल तथा गुप्त काल आदि से जुड़े कई अवशेष। मोहर ,पशु नारी की आकृति पुरुष आकृति आदि प्रमुख हैं । इसके साथ साथ ताल पत्र एवं भोजपत्र पर श्लोकों का लिखा होना। इसके साथ ही सभी शासन कालों के चांदी और तांबा से जुड़े सिक्के भी प्राप्त हुए पाल कालीन शासक विग्रह पाल तृतीय के लगभग ढाई सौ चांदी के सिक्के भी बरामद हुए इसके अतिरिक्त फारसी लेख युक्त तुगलक राजाओं के सिक्के भी हैं। सैकड़ों की संख्या में बरामद अवशेषों को बेगूसराय संग्रहालय में संग्रहित किया गया और खुदाई बन्द कर दी गयी।पौराणिक काल की बरामद चीजें काफी अद्भुत हैं। वॉक थ्रू vo- संग्रहालय के कर्मी बताते हैं की बेगूसराय संग्रहालय में संरक्षित की गई दूसरी शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी के तत्कालीन सभ्यताओं से जुड़ी हुई मूर्ति, स्तंभ, प्रस्तर देव मूर्तियां, बुध की मूर्तियां ,सिक्के, मुहर आदि दर्शकों के लिए कौतूहल का विषय होता है और सभी बारीकी से चीजों का अध्ययन करते हैं लोग अपने इतिहास के बारे में सोच कर काफी अच्छा महसूस करते हैं। वन टू वन विथ अमिताभ मिश्रा,संग्रहालय के कर्मी vo- जितने भी दर्शक संग्रहालय में इतिहास की पड़ताल करने पहुंचते हैं या बेगूसराय में सदियों पहले किसका शासन था उस समय की चीजें कैसे होती थी मूर्तियां कैसे होती थी जब वो सभी अवशेष देखते हैं तो उन्हें काफी सुकून मिलता है। ज्यादातर दर्शकों का मानना है कि प्रशासन ने मामूली खुदाई की है जिसमें इतनी बड़ी तादाद में पौराणिक काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं।प्रशासन को चाहिए कि संभावित स्थलों पर ब्यापक खुदाई अभियान चला कर इतिहास में दफन हो चुके चीजों को सामने लाने का प्रयाश करे। बाइट-नीलम कुमारी, दर्शक बाइट-सरोज कुमार,दर्शक


Conclusion:fvo- इतना तय है की मामूली खुदाई में इतनी बड़ी तादात में पुरातत्व अवशेष मिलने के बाद आम लोग, इतिहासकार, साहित्यकार और पुरातत्व में रुचि रखने वाले तमाम इतिहास प्रेमी लोग बेगूसराय जिला प्रशासन और सरकार से यह उम्मीद लगाए बैठे हैं की बेगूसराय के वैसे स्थानों पर व्यापक खुदाई अभियान चलाई जाए जहां से इतिहास से जुड़ी अन्य जानकारी और अवशेष प्राप्त हो सके। लोगों का दावा है कि सरकार अगर ध्यान दें तो खुदाई कर बेगूसराय को बहुत बड़े पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है साथ ही साथ बेगूसराय के वैभवशाली इतिहास के दफन राज लोगों के सामने आ जाएंगे।
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