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बदहाल बेगूसराय सदर अस्पताल: डॉक्टर के अभाव में यहां नर्स करती हैं मरीजों का इलाज

बेगूसराय के सदर अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. मरीज और उनके परिजन गर्मी में रहने को विवश हैं.

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Published : Jun 20, 2019, 11:28 AM IST

Updated : Jun 28, 2019, 1:05 PM IST

बदहाल सदर अस्पताल

बेगूसराय: चमकी रोग से बेगूसराय में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. एक्सपर्ट के मुताबिक इसका प्रमुख कारण गर्मी है. लेकिन जब चमकी के मरीज इलाज के लिए सदर अस्पताल के वार्ड में भर्ती किये जाते हैं तो वहां भी उन्हें भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है.

सदर अस्पताल में सुविधाओं की खुली पोल
एक तरफ चमकी से हो रहे बच्चों की मौत में लगातार इजाफा होता जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की भी पोल खुलती जा रही है. बेगूसराय के सदर अस्पताल को बिहार के बेहतर अस्पतालों में गिना जाता था. लेकिन अब इसकी हकीकत कुछ और ही है. चमकी रोग से ग्रसित बच्चों को जिन वार्डों में रखा जा रहा है वहां स्वास्थ्य सुविधाओं का घोर अभाव है.

खराब पड़े हैं पंखे और एसी
ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब सदर अस्पताल में मरीज के परिजनों से बातचीत की तो हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आए. चमकी से ग्रसित बच्चों को जिन वार्ड में रखा जा रहा है वहां AC खड़ाब पड़े हैं. कई पंखे बंद हैं. ऐसे में शीशे के बने केबिन और 40 डिग्री से ऊपर का तापमान, चमकी रोग से ग्रसित बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.

पेश है रिपोर्ट

डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही
पड़ताल में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही भी उजागर हुई है. जो मरीज सदर अस्पताल इलाज के लिए पहुंचते हैं उन्हें शुरुआत में डॉक्टर एक बार देख लेते हैं और फिर नर्सों के सहारे उनका इलाज चलता रहता है. कई मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि घंटों से कोई स्वास्थ्यकर्मी मरीज का हाल जानने नहीं आए. एक बार पानी चढ़ाने सिस्टर आयी फिर दोबारा देखने तक नहीं आयी. जबकि मरीज की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है.

नर्स के सहारे चल रहा अस्पताल
मरीज के परिजनों ने बताया कि इस वार्ड की जिम्मेदारी एक अनुराधा नामक सिस्टर के ऊपर है. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने वार्ड में सुविधाओं को लेकर सवाल किए तो उन्होंने भी स्वीकार किया की एसी खराब है. नर्स ने कहा कि कुछ तकनीकी खराबी के कारण एसी बंद पड़ा है, जल्द ही उसे चालू कराने का प्रयास किया जाएगा.

बेगूसराय: चमकी रोग से बेगूसराय में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. एक्सपर्ट के मुताबिक इसका प्रमुख कारण गर्मी है. लेकिन जब चमकी के मरीज इलाज के लिए सदर अस्पताल के वार्ड में भर्ती किये जाते हैं तो वहां भी उन्हें भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है.

सदर अस्पताल में सुविधाओं की खुली पोल
एक तरफ चमकी से हो रहे बच्चों की मौत में लगातार इजाफा होता जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की भी पोल खुलती जा रही है. बेगूसराय के सदर अस्पताल को बिहार के बेहतर अस्पतालों में गिना जाता था. लेकिन अब इसकी हकीकत कुछ और ही है. चमकी रोग से ग्रसित बच्चों को जिन वार्डों में रखा जा रहा है वहां स्वास्थ्य सुविधाओं का घोर अभाव है.

खराब पड़े हैं पंखे और एसी
ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब सदर अस्पताल में मरीज के परिजनों से बातचीत की तो हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आए. चमकी से ग्रसित बच्चों को जिन वार्ड में रखा जा रहा है वहां AC खड़ाब पड़े हैं. कई पंखे बंद हैं. ऐसे में शीशे के बने केबिन और 40 डिग्री से ऊपर का तापमान, चमकी रोग से ग्रसित बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.

पेश है रिपोर्ट

डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही
पड़ताल में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही भी उजागर हुई है. जो मरीज सदर अस्पताल इलाज के लिए पहुंचते हैं उन्हें शुरुआत में डॉक्टर एक बार देख लेते हैं और फिर नर्सों के सहारे उनका इलाज चलता रहता है. कई मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि घंटों से कोई स्वास्थ्यकर्मी मरीज का हाल जानने नहीं आए. एक बार पानी चढ़ाने सिस्टर आयी फिर दोबारा देखने तक नहीं आयी. जबकि मरीज की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है.

नर्स के सहारे चल रहा अस्पताल
मरीज के परिजनों ने बताया कि इस वार्ड की जिम्मेदारी एक अनुराधा नामक सिस्टर के ऊपर है. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने वार्ड में सुविधाओं को लेकर सवाल किए तो उन्होंने भी स्वीकार किया की एसी खराब है. नर्स ने कहा कि कुछ तकनीकी खराबी के कारण एसी बंद पड़ा है, जल्द ही उसे चालू कराने का प्रयास किया जाएगा.

Intro:एंकर-चमकी रोग से बेगूसराय में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।एक्सपर्ट के मुताबिक इसका प्रमुख कारण गर्मी है लेकिन जब चमकी के शिकार सदर अस्पताल के वार्ड में इलाज के लिए भर्ती किये जाते हैं तो वहां भी भीषण गर्मी से सामना होता है।सदर अस्पताल के वार्ड में लगे AC और ज्यादातर पंखे खडाब पड़े हैं जिससे मरीज और परिजन बेहाल हैं।खास बात ये की इलाज में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की घोर लापरवाही उजागर हुई है। देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट


Body:vo- चमकी रोग को लेकर जिस तरीके से लगातार जिले में बच्चे के मौतों का आंकड़ा बढ़ता चला जा रहा है, उसी तरह सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की भी पोल खुलती जा रही है ।
हम बात कर रहे हैं कागजी आंकड़ों के हिसाब से बिहार के टॉप फाइव अस्पतालों में से एक बेगूसराय सदर अस्पताल की।
सदर अस्पताल बेगूसराय कागजी आंकड़ों के मुताबिक बिहार स्तर पर अच्छी रैंकिंग रखता है ,लेकिन इसकी जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है। अब जबकि चमकी रोगने बेगूसराय में महामारी का रूप ले लिया है और जिले का सबसे प्रमुख अस्पताल होने के कारण इस अस्पताल से लोग बड़ी-बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं वैसे में चमकी रोग से ग्रसित बच्चों को जिन वार्डों में रखा जा रहा है वहां स्वास्थ्य सुविधाओं का घोर अभाव है ।
चाहे गर्मी से बचाव के लिए AC और पंखे की बात हो चाहे आईसीयू की बात हो या डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की देखरेख सभी बिंदुओं पर ईटीवी की पड़ताल में बेगूसराय सदर अस्पताल फिसड्डी साबित हुआ है।
चमकी से ग्रसित बच्चों को जिन वार्ड में रखा जा रहा है वहां AC खड़ाब पड़े हैं ,कई पंखे बंद हैं वैसे मैं शीशे से बने केबिन और 40 डिग्री से ऊपर का तापमान चमकी रोग से ग्रसित बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है ,जिससे मरीज के साथ साथ परिजन भी काफी व्यथित हैं। पड़ताल में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही भी उजागर हुई है जो मरीज सदर अस्पताल इलाज के लिए पहुंचते हैं तो शुरुआत में डॉक्टर एक बार उसे देख लेते हैं और फिर नर्सों के सहारे उनका इलाज चलता रहता है। कई मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि घंटों से कोई स्वास्थ्य कर्मी मरीज का हाल जानने नहीं आए हैं। एक बार पानी चढ़ाने सिस्टर आयी थी दोबारा देखने तक नहीं आए कि मरीज की स्थिति क्या है जबकि मरीज की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
बाइट-रामपरी देवी,परिजन
vo- वही मरीज के परिजनों ने बताया कि इस वार्ड की जिम्मेदारी एक अनुराधा नामकी सिस्टर के ऊपर है जिनसे ईटीवी भारत के संवाददाता ने वार्ड में सुविधाओं को लेकर सवाल किए तो उन्होंने भी स्वीकार किया की AC जरूर खराब है ।तकनीकी कुछ खराबी के कारण अभी बंद पड़े हैं उसे चालू करवाने का प्रयास किया जाएगा। मरीज के परिजन आरोप लगा रहे हैं कि डॉक्टर नहीं आते हैं तो उन्होंने कागज दिखाकर संतुष्ट करने का प्रयास किया और कहा डॉक्टर अभी आकर गए हैं लेकिन लगभग 1 घंटे की पड़ताल में डॉक्टर साहब के दीदार नहीं हुए।
बाइट- अनुराधा, सिस्टर ,सदर अस्पताल

वाक थ्रू



Conclusion:fvo-इतना तय है कि जिस तरीके से चमकी के रोगीयों की तादाद बढ़ती जा रही है वैसे में अगर इस अस्पताल की सुविधाओं को हाइटेक नही किया गया और डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही पर लगाम नही लगाया गया तो ये तय मानकर चले कि बेगूसराय दूसरा मुजफ्फरपुर बनने के मुहाने पर खड़ा है।
Last Updated : Jun 28, 2019, 1:05 PM IST
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