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'चमकी' पर आज होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

जनहित याचिका में केंद्र और बिहार सरकार को 500 आईसीयू की व्यवस्था करने के लिए निर्देश देने के साथ-साथ इंसेफेलाइटिस के प्रकोप से निपटने के लिए डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है.

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Published : Jun 24, 2019, 8:46 AM IST

सुप्रीम कोर्ट.

पटना/नई दिल्लीः बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. ये याचिका दो वकील मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी ने की थी. आज इस जनहित याचिका पर सुनवाई होगी.

100 मोबाइल आईसीयू की मांग
जनहित याचिका में केंद्र और बिहार सरकार को 500 आईसीयू की व्यवस्था करने के लिए निर्देश देने के साथ-साथ इंसेफेलाइटिस के प्रकोप से निपटने के लिए डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में मुजफ्फरपुर में 100 मोबाइल आईसीयू की व्यवस्था करने और वहां मेडिकल बोर्ड स्थापित करने की भी मांग की गई है.

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट


अब तक 186 बच्चों की मौत
बता दें कि बिहार में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार का कहर जारी है. इस बीमारी से अब तक 186 बच्चों की मौत हो चुकी है. इसी बीच बच्चों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. चमकी बुखार से हो रही मौत का मुद्दा देश भर में उठ रहा है.


जगह-जगह विरोध मार्च और प्रदर्शन
बच्चों की हो रही लगातार मौत के बाद विपक्षियों ने सरकार पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. जगह-जगह विरोध मार्च और प्रदर्शन जारी है. बहरहाल, सरकार के अलावा परिजनों को भी अपने तौर पर बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए अलर्ट रहने की जरूरत है. ताकि बच्चों को इस गंभीर बीमारी से बचाया जा सके.

मौत का कारण है हाईपोग्लाइसीमिया
मुजफ्फरपुर और इसके आस-पास के इलाकों में भयंकर गर्मी और उमस की वजह से बच्चे एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी कि चमकी बुखार का तेजी से शिकार हो रहे हैं. हालांकि सरकार का कहना है कि अधिकतर मौत का कारण हाईपोग्लाइसीमिया है, यानी लो ब्लड शुगर. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि हाईपोग्लाइसीमिया इस बुखार का ही एक भाग है.
जानिए क्या हैं इसके लक्षण :

  • एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है.
  • अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है.
  • इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं.
  • गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.
  • तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं.
  • साथ ही बच्चे के मुंह में झाग निकलना और उसको झटका लगना.
  • अगर बच्चों को सास लेने में दिक्कत हो या दांत बंद हो जाए. तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.
  • चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी देखी जा रही है.

जानिए क्या हैं इसके उपचार :

  • पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें.
  • बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें.
  • रात को खाना खाने के बाद मीठा जरूर दें.
  • बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.

इन बातों का रखें ध्यान :

  • बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें.
  • मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें.
  • तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें.
  • बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे.
  • अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं.
  • पीएचसी, आशा सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी.
  • चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है.
  • ओझा से झाड़फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को आएं.

पटना/नई दिल्लीः बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. ये याचिका दो वकील मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी ने की थी. आज इस जनहित याचिका पर सुनवाई होगी.

100 मोबाइल आईसीयू की मांग
जनहित याचिका में केंद्र और बिहार सरकार को 500 आईसीयू की व्यवस्था करने के लिए निर्देश देने के साथ-साथ इंसेफेलाइटिस के प्रकोप से निपटने के लिए डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में मुजफ्फरपुर में 100 मोबाइल आईसीयू की व्यवस्था करने और वहां मेडिकल बोर्ड स्थापित करने की भी मांग की गई है.

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट


अब तक 186 बच्चों की मौत
बता दें कि बिहार में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार का कहर जारी है. इस बीमारी से अब तक 186 बच्चों की मौत हो चुकी है. इसी बीच बच्चों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. चमकी बुखार से हो रही मौत का मुद्दा देश भर में उठ रहा है.


जगह-जगह विरोध मार्च और प्रदर्शन
बच्चों की हो रही लगातार मौत के बाद विपक्षियों ने सरकार पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. जगह-जगह विरोध मार्च और प्रदर्शन जारी है. बहरहाल, सरकार के अलावा परिजनों को भी अपने तौर पर बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए अलर्ट रहने की जरूरत है. ताकि बच्चों को इस गंभीर बीमारी से बचाया जा सके.

मौत का कारण है हाईपोग्लाइसीमिया
मुजफ्फरपुर और इसके आस-पास के इलाकों में भयंकर गर्मी और उमस की वजह से बच्चे एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी कि चमकी बुखार का तेजी से शिकार हो रहे हैं. हालांकि सरकार का कहना है कि अधिकतर मौत का कारण हाईपोग्लाइसीमिया है, यानी लो ब्लड शुगर. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि हाईपोग्लाइसीमिया इस बुखार का ही एक भाग है.
जानिए क्या हैं इसके लक्षण :

  • एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है.
  • अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है.
  • इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं.
  • गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.
  • तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं.
  • साथ ही बच्चे के मुंह में झाग निकलना और उसको झटका लगना.
  • अगर बच्चों को सास लेने में दिक्कत हो या दांत बंद हो जाए. तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.
  • चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी देखी जा रही है.

जानिए क्या हैं इसके उपचार :

  • पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें.
  • बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें.
  • रात को खाना खाने के बाद मीठा जरूर दें.
  • बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.

इन बातों का रखें ध्यान :

  • बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें.
  • मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें.
  • तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें.
  • बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे.
  • अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं.
  • पीएचसी, आशा सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी.
  • चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है.
  • ओझा से झाड़फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को आएं.
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