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जानिए, कैंसर वाले गांव की दर्दनाक हकीकत, तीन साल में 35 मौत

भोजपुर जिले में कैंसर ने अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है. इस जानलेवा बीमारी से अबतक दर्जनों लोगों का मौत हो चुकी है और 30-35 लोग इसकी जद में हैं.

भोजपुर में कैंसर का कहर
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Published : Jul 2, 2019, 1:01 PM IST

Updated : Jul 2, 2019, 3:05 PM IST

भोजपुर: ये जिला इन दिनों कैंसर जोन के रूप में जाने जाना लगा है. भोजपुर के कुछ ऐसे इलाके हैं जहां कैंसर के मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होने लगी है. भोजपुर जिले के पीरो प्रखण्ड के एक गांव में पिछले 2-3 सालों में कैंसर के मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है. वहां अबतक कैंसर से मरने वालों की संख्या लगभग 30-35 हो चुकी है.

कैंसर के मरीजों में इजाफा
बिहार की राजधानी से महज 60 किलोमीटर पश्चिम भोजपुर जिले के पीरो प्रखंड के चतुर्भुजी बरांव गांव में कैंसर ने अपना पांव पसारना शुरू कर दिया हैं. कैंसर से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. लेकिन ना ही कोई सरकारी अमला इसकी सुध लेने आ रहा है और ना ही राज्य सरकार इसपर ध्यान दे रही है. इस गांव में अब तक दर्जनों लोगों की कैंसर से मौत हो चुकी है.

bhojpur
कैंसर से लोगों में दहशत का माहौल

क्या कहता है ग्राउंड रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी दर्जनों लोग राजधानी पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान के चक्कर काट रहे हैं. इस गांव में ज्यादातर लोगों की मौत ब्लड कैंसर से हुई है. कैंसर से पीड़ित होने वालों की उम्र 25 से 45 के बीच है. अबतक 30 से 35 लोग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की गिरफ्त में हैं.

पेश है रिपोर्ट

सरकार कराए मामले की जांच
जिन्होनें अपने परिजनों को खोया है उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि विशेष टीम भेजकर इसकी जांच कराएं. कैंसर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों और भूमि जांच करने वाली टीम को गांव में जाकर कारणों की पड़ताल करनी चाहिए. भू-वैज्ञानिक टीम भेजकर पानी में आर्सेनिक और आयरन की मात्रा की जांच होनी चाहिए. ताकि ये पता चल सके कि सिर्फ इसी गांव में कैंसर एक महामारी का रूप क्यों धारण कर रही है.

bhojpur
सिविल सर्जन एल एन झा

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इस मुद्दे पर जब सिविल सर्जन एल पी झा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच के लिए एक टीम भेजी जा रही है. पानी में आर्सेनिक और आयरन की मात्रा की जांच कराने का निर्देश दिया गया है.

कैंसर से मरने वाले ये हैं कुछ लोग:-

  • स्वर्गीय सिपाही सिंह के पुत्र रामजी सिंह की मौत बीते 24 जून को कैंसर से हुई थी.
  • नंद कुमार साह की पत्नी कैंसर से 4 माह पहले गुजर चुकी हैं.
  • महादलित गुड्डू राम की पत्नी की मौत 1 साल पहले कैंसर से हुई थी.
  • कैंसर पीड़ित मिथिलेश चौधरी की मौत 3 वर्ष पहले हुई.
  • विनोद पांडे की पत्नी निर्मला देवी की भी मौत कैंसर से हुई है.
  • अशोक चौधरी की कैंसर पीड़ित पत्नी उषा देवी का इलाज चल रहा है.

भोजपुर: ये जिला इन दिनों कैंसर जोन के रूप में जाने जाना लगा है. भोजपुर के कुछ ऐसे इलाके हैं जहां कैंसर के मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होने लगी है. भोजपुर जिले के पीरो प्रखण्ड के एक गांव में पिछले 2-3 सालों में कैंसर के मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है. वहां अबतक कैंसर से मरने वालों की संख्या लगभग 30-35 हो चुकी है.

कैंसर के मरीजों में इजाफा
बिहार की राजधानी से महज 60 किलोमीटर पश्चिम भोजपुर जिले के पीरो प्रखंड के चतुर्भुजी बरांव गांव में कैंसर ने अपना पांव पसारना शुरू कर दिया हैं. कैंसर से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. लेकिन ना ही कोई सरकारी अमला इसकी सुध लेने आ रहा है और ना ही राज्य सरकार इसपर ध्यान दे रही है. इस गांव में अब तक दर्जनों लोगों की कैंसर से मौत हो चुकी है.

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कैंसर से लोगों में दहशत का माहौल

क्या कहता है ग्राउंड रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी दर्जनों लोग राजधानी पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान के चक्कर काट रहे हैं. इस गांव में ज्यादातर लोगों की मौत ब्लड कैंसर से हुई है. कैंसर से पीड़ित होने वालों की उम्र 25 से 45 के बीच है. अबतक 30 से 35 लोग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की गिरफ्त में हैं.

पेश है रिपोर्ट

सरकार कराए मामले की जांच
जिन्होनें अपने परिजनों को खोया है उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि विशेष टीम भेजकर इसकी जांच कराएं. कैंसर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों और भूमि जांच करने वाली टीम को गांव में जाकर कारणों की पड़ताल करनी चाहिए. भू-वैज्ञानिक टीम भेजकर पानी में आर्सेनिक और आयरन की मात्रा की जांच होनी चाहिए. ताकि ये पता चल सके कि सिर्फ इसी गांव में कैंसर एक महामारी का रूप क्यों धारण कर रही है.

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सिविल सर्जन एल एन झा

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इस मुद्दे पर जब सिविल सर्जन एल पी झा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच के लिए एक टीम भेजी जा रही है. पानी में आर्सेनिक और आयरन की मात्रा की जांच कराने का निर्देश दिया गया है.

कैंसर से मरने वाले ये हैं कुछ लोग:-

  • स्वर्गीय सिपाही सिंह के पुत्र रामजी सिंह की मौत बीते 24 जून को कैंसर से हुई थी.
  • नंद कुमार साह की पत्नी कैंसर से 4 माह पहले गुजर चुकी हैं.
  • महादलित गुड्डू राम की पत्नी की मौत 1 साल पहले कैंसर से हुई थी.
  • कैंसर पीड़ित मिथिलेश चौधरी की मौत 3 वर्ष पहले हुई.
  • विनोद पांडे की पत्नी निर्मला देवी की भी मौत कैंसर से हुई है.
  • अशोक चौधरी की कैंसर पीड़ित पत्नी उषा देवी का इलाज चल रहा है.
Intro:
भोजपुर इन दिनों कैंसर जोन के रूप में जाने जाना लगा है। दरअसल भोजपुर के कुछ इलाके ऐसे हो गए हैं जहां कैंसर के मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होने लगी है। भोजपुर जिले का पिरो प्रखण्ड के एक गांव में विगत 2 से 3 सालों में कैंसर से पीड़ित मरीजों की संख्याएं आश्चर्यजनक रूप में बढ़ी हैं।वहां कैंसर से मरने वालों की संख्या लगभग 30-35 को छू चुकी है जिसमे लोग कैंसर जैसी महामारी से काल के गाल में समा चुके हैं।


Body:बिहार की राजधानी से महज 60 किलोमीटर पश्चिम भोजपुर जिले के पीरो प्रखंड के एक गांव चतुर्भुजी बराव गांव में कैंसर ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं।कैंसर से पीड़ित लोगों में मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है बावजूद इसपर न तो जिला स्तर किसी की नजर पड़ रही है और न ही राज्य सरकार इसपर ध्यान दे रही है। इस गांव में अब तक मरने वालों की संख्या दर्जनों हो चुके हैं।
क्या कहती है ग्राउंड रिपोर्ट - ग्राउंड रिपोर्ट यह बताता है कि अभी भी दर्जनों लोग राजधानी पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान का चक्कर काट रहे हैं ।इस गांव में ज्यादातर लोगों की मौत ब्लड कैंसर से हुई है इस गांव की आबादी लगभग 11000 है जिसमें करीब 7000 लोग मतदाता है गांव के लोग अपने वंश को बचाने की सोच में दहशत में जी रहे हैं क्योंकि कैंसर से पीड़ित होने वालों की उम्र 25 से 45 के बीच है। इस बाबत ग्रामीण मुन्ना कुमार बताते हैं अब तक 30 से 35 लोग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार हो चुके हैं कैंसर से मरने वालों में सबसे पहले एक पिता और दो बेटों ने अपनी जान गवाई जिससे कि उसका पूरा परिवार ही उजड़ गया वही अपने पति को खो चुकी आशा देवी बताती हैं कि कैसे उसके हँसते खुशते जिंदगी में कैंसर ने उनकी खुशियों जलाकर राख कर दिया इतना ही नहीं गांव के नंदकुमार बताते हैं कैंसर के इलाज में उन्होंने अपना सारा जमीन जायदाद बेच दिया लेकिन बावजूद इसके वह अपनी पत्नी को नहीं बचा पाए ईटीवी भारत ने जब इस खबर की पड़ताल की तो मामला चौका देने वाली थी। बड़ा गांव के रहने वाले स्वर्गीय सिपाही सिंह के कैंसर पीड़ित पुत्र रामजी सिंह की मौत बीते 24 जून को हो गई थी रामवीर सिंह प्राइवेट ड्राइवर थे वह गाड़ी चला कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे इसी गांव के नंद कुमार साह की कैंसर पीड़ित पत्नी 4 माह पहले गुजर चुकी थी महादलित गुड्डू राम की कैंसर पीड़ित पत्नी 1 साल पहले मौत हो चुकी है 3 वर्ष पहले कैंसर पीड़ित मिथिलेश चौधरी की मौत हो चुकी है कैंसर से मरने वालों की एक लंबी कहानी है हाल के दिनों में इस गांव में कैंसर से पीड़ित विनोद पांडे की पत्नी निर्मला देवी सिंह की पत्नी शोभा देवी और अशोक चौधरी की पत्नी उषा देवी इलाज की प्रक्रिया से गुजर रही है।इस मुद्दे पर जब ईटीवी भारत ने सिविल सर्जन से अपनी बात रखी और जानकारी लेनी चाही तो सिबिल सर्जन एल पी झा ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच के लिए एक टीम भेजी जा रही है जिसमे उन्होंने स्पष्ट यूपी से पानी में आर्सेनिक और आयरन की मात्रा की भी जांच करने के निर्देश दिए हैं


Conclusion:पर सच तो यह है कि स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति ग्रामीण इलाकों में और भी ज्यादा बत्तर है अब सवाल यह उठता है कि क्या पीएचसी में कार्यरत चिकित्सक कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की जांच कर सकते हैं क्या पीएससी में होते हैं जो मावली से सड़क हादसे घायल में इलाज सही से नहीं कर पाते और उन्हें अस्पताल रेफर कर देते हैं
क्या होना चाहिए- जो परिवार अपने परिवार के सदस्य को गंवा चुके हैं या जो अन्य ग्रामीण है उनका यही कहना है कि सरकार को चाहिए कि विशेष टीम भेजकर इसकी जांच करवाये। कैंसर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों और भूमि जांच करने वाली टीम को गांव में जाकर उन कारणों की पड़ताल करनी चाहिए कि सिर्फ इसी गांव में कैंसर एक महामारी का रूप क्यों धारण कर रही है। भूवैज्ञानिक टीम भेजकर पानी में आर्सेनिक और आयरन की मात्रा की जांच होनी चाहिए ताकि स्पष्ट रूप से पता चल सके कि आखिर उसी गांव में कैंसर के मरीज क्यों बढ़ रहे हैं।

बाइट- एल एन झा, सिविल सर्जन भोजपुर
बाइट-वैजयंती देवी,मृतका की गोतनी
बाइट-मनोज पांडेय,ग्रामीण
बाइट-मदन पांडेय
बाइट-मुन्ना
बाइट- वैद्यनाथ चौधरी
Last Updated : Jul 2, 2019, 3:05 PM IST
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