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'माउंटेन मैन' के समाधि स्थल पर पर्यटकों के लिए सुविधाओं का घोर अभाव

दशरथ मांझी के गांव में समाधी स्थल तो बना दिया गया है. लेकिन यहां पर्यटकों के लिए सुविधाओं का घोर अभाव है.

गया
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Published : May 18, 2019, 7:51 AM IST

गया: जिले में कई ऐतिहासिक स्थल है. इसमें प्रसिद्ध दशरथ मांझी का गांव भी है. यह जिले के पर्यटन स्थलों में शुमार तो हो गया है. लेकिन यहां पर्यटन सुविधाओं का घोर अभाव है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने इस लोकसभा चुनाव के माहौल में यहां के लोगों से खास बातचीत की.

जिले के गेहलौर घाटी में दशरथ मांझी का समाधि स्थल है. यहां देश-विदेश से पर्यटक आते हैं. जो भी श्रद्धालु गया में पिंडदान करने और बोधगया आते हैं वो यहां जरूर आते हैं. इसे पर्यटन स्थल बनाने की योजना थी. लेकिन पर्यटकों की सुविधाओं के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ती की गई है.

पर्यटकों के लिए मिले सुविधा
इसको लेकर दशरथ मांझी के पुत्र भगरीथी मांझी कहते हैं कि रोज सैकड़ों पर्यटक समाधि स्थल और प्रेम पथ पर आते हैं. लेकिन पर्यटकों के लिए पेयजल की सुविधा, शौचालय की सुविधा और बैठने का व्यवस्था तक नहीं है. यहां आने वाली सड़क को लोग प्रेम पथ कहते हैं. अब यह सड़क भी टूट गया है. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री एक बार यहां आये. यहां पर्यटकों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएं.

दशरथ मांझी के समाधी स्थल का जायजा लेते संवाददाता

पहाड़ काट बनाया था सड़क
बता दें कि इस गांव में जाने के लिए सड़क नहीं था. इसको लेकर दशरथ मांझी ने 22 वर्षो तक पहाड़ को काट कर एक सड़क ही बना दिया. इससे पूरे देश में काफी चर्चित भी हुए थे. वहीं, लोकसभा के सांतवे चरण में 19 मई को प्रदेश के आठ सीटों पर चुनाव है.

गया: जिले में कई ऐतिहासिक स्थल है. इसमें प्रसिद्ध दशरथ मांझी का गांव भी है. यह जिले के पर्यटन स्थलों में शुमार तो हो गया है. लेकिन यहां पर्यटन सुविधाओं का घोर अभाव है. ईटीवी भारत के संवाददाता ने इस लोकसभा चुनाव के माहौल में यहां के लोगों से खास बातचीत की.

जिले के गेहलौर घाटी में दशरथ मांझी का समाधि स्थल है. यहां देश-विदेश से पर्यटक आते हैं. जो भी श्रद्धालु गया में पिंडदान करने और बोधगया आते हैं वो यहां जरूर आते हैं. इसे पर्यटन स्थल बनाने की योजना थी. लेकिन पर्यटकों की सुविधाओं के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ती की गई है.

पर्यटकों के लिए मिले सुविधा
इसको लेकर दशरथ मांझी के पुत्र भगरीथी मांझी कहते हैं कि रोज सैकड़ों पर्यटक समाधि स्थल और प्रेम पथ पर आते हैं. लेकिन पर्यटकों के लिए पेयजल की सुविधा, शौचालय की सुविधा और बैठने का व्यवस्था तक नहीं है. यहां आने वाली सड़क को लोग प्रेम पथ कहते हैं. अब यह सड़क भी टूट गया है. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि प्रधानमंत्री एक बार यहां आये. यहां पर्यटकों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएं.

दशरथ मांझी के समाधी स्थल का जायजा लेते संवाददाता

पहाड़ काट बनाया था सड़क
बता दें कि इस गांव में जाने के लिए सड़क नहीं था. इसको लेकर दशरथ मांझी ने 22 वर्षो तक पहाड़ को काट कर एक सड़क ही बना दिया. इससे पूरे देश में काफी चर्चित भी हुए थे. वहीं, लोकसभा के सांतवे चरण में 19 मई को प्रदेश के आठ सीटों पर चुनाव है.

Intro:प्यार,इश्क,मोहब्बत शब्द अनेक है लेकिन इन शब्द सबको भाते हैं। हर के जीवन मे यह शब्द आता है जीवन में समाहित होता हैं। प्यार पसन्द लोगो के लिए गया के गेहलौर घाटी उनके मजहब का इबादत जैसा है। पर्वत पुरुष दशरथ मांझी ने 22 वर्षो तक पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था आज उस रास्ता को लोग प्रेम पथ कहते हैं। प्रेम पथ, दशरथ मांझी का गाँव और उनके परिवार का कितना विकास हुआ है , 19 मई को किस मुद्दे के साथ मतदान करने जाए गए ये जाने ईटीवी दशरथ मांझी के गाँव गेहलौर घाटी पहुँचा।


Body:चुनावी बिसात पर मुद्दे से गौण हो रहा है देश-विदेश के पर्यटको का केंद्र प्यार का मिसाल गेहलौर घाटी का प्रेम पथ। गया के पहाड़ ने प्यार के आगे झुककर एक गरीब मजदूर के हथौड़ी और छेनी से खुद को कटने दिया। प्यार की जुनून इतना हावी उस मजदूर पर था एक या दो दिन नही पूरे 22 वर्षो तक पहाड़ को काटते रहा। लोग पागल कहते थे पर पहाड़ उसके पागलपन को समझता था उसके एक हथौड़ी के जोर पर मोम के जैसा पिघल जाता था। जब पहाड़ कट गया रास्ता बन गया उस पागल को लोग पर्वत पुरुष नाम दे दिया। प्यार और पहाड़ की इस दास्तान को जो पर्यटक जानता है वो एक बार दशरथ मांझी के प्रेम पथ को जरूर देखने आता है। चुनाव के दौर में नेता दशरथ मांझी के समाधि स्थल पर दण्डवत करने तो आते हैं लेकिन समय के साथ इसके विकास के लिए कोई बात नही करता। 19 मई को मतदान है मतदान किस मुद्दे को लेकर दशरथ मांझी के गांव के लोग देगे ये जाने ईटीवी की टीम गेहलौर पहुँची।

दशरथ मांझी के पुत्र भगरीथी मांझी से चुनावी चर्चा का शुरुआत होता है। भगरीथी मांझी बताते हैं हर रोज सैकड़ो पर्यटक समाधि स्थल और प्रेम पथ पर आते हैं। पर्यटक आते हैं तुरन्त चले जाते हैं। पर्यटकों के लिए पेयजल की सुविधा , शौचालय की सुविधा और बैठने का व्यस्था नही है। जो सड़क बनी है जिसे लोग प्रेम पथ कहते हैं वो सड़क भी टूट रही है। मोदी जी कई बार गया आये लेकिन एक बार भी इस जगह पर नही आये हम चाहते हैं मोदी जी दुबारा प्रधानमंत्री बनकर गेहलौर घाटी आये और इसको पर्यटन स्थल बनाये साथ ही पर्यटकों के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध कराए।

चर्चा में ग्रामीणों ने गेहलौर घाटी और दशरथ मांझी के समाधि स्थल को पर्यटन स्थल बनाने के लिय बात कही। एक ग्रामीण ने कहा गया में पिंडदान करने जो श्रद्धालु आते हैं और बोधगया में जो महाबोधि मंदिर का दर्शन करने आते हैं वो यहां जरूर आते हैं। राजगीर जाने के लिए ये रास्ता है। इसके चलते देश - विदेश कर श्रद्धालु आते हैं। पर्यटकों के सुविधा और सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नही है।

एक ग्रामीण ने बताया दशरथ मांझी के सपनो का साकार नीतीश कुमार ने किया। स्कूल, थाना, अस्पताल बनवाया। सुंदर स्मारक भी बनवा दिया। बहुत बार नीतीश कुमार यहां आए हैं। एक बार नरेंद्र मोदी को आना चाहिए।

दिल्ली से आये दोनो भाइयों ने बताया हम हर्षोल्लास से आये थे। यहां आने पर एक पार्क में प्रतिमा है और मांझी ने जो पहाड़ को काटा है वो सड़क है। पर्यटक चाहकर भी रुक नही सकता है। कोई व्यवस्था नही है। दशरथ मांझी के बारे में जानकारी देने के लिए एक डिस्प्ले तक नही है।


Conclusion:
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