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बांग्ला और मधुबनी पेंटिंग पर 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, कई लोगों ने लिया हिस्सा - साहित्य सम्मेलन

राजधानी पटना के हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के शताब्दी वर्ष के मौके पर बांग्ला और मधुबनी पेंटिंग की 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस पेंटिंग कार्यशाला में बच्चे और युवाओं से लेकर कई लोगों ने हिस्सा लिया.

बांग्ला और मधुबनी पेंटिंग की 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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Published : May 27, 2019, 8:30 AM IST

पटना: पटना में बांग्ला और मधुबनी पेंटिंग की 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस मौके पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के कला विभाग की अध्यक्ष पल्लवी विश्वास ने बताया कि इस कार्यशाला में हम पेंटिंग्स के माध्यम से कविता को भी इंक्लूड कर रहे हैं. एक कविता की विधा है हाईको, जो जापान की विधा है. आज की तारीख में यह भारत में बहुत ज्यादा प्रचलित है. यह अक्षरों की कविताएं होती है पंक्तियों की कविताएं नहीं होती. इसी प्रकार पेंटिंग पर जो कविता लिखी जाती है उसको हाईगा कहते हैं.

जानकारी देती कला विभाग की अध्यक्ष पल्लवी विश्वास

भारत की पहली हाईगा ब्लॉग एडिटर बिहार से
भारत की पहली हाईगा ब्लॉग एडिटर शेखर मधु है और वह बिहार की ही हैं. बता दें कि वह इस पेंटिंग कार्यशाला में प्रशिक्षण ले रही है. इस कार्यशाला के समाप्ति के बाद हम ये गर्व से कह सकेंगे कि बिहार की सबसे पहली हाईगा साड़ी कहीं तैयार हुई है तो वह इसी पेंटिंग कार्यशाला में तैयार हुई है और ये हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी.

दूसरे प्रांतों की कलाओं की जानकारी देना मुख्य उद्देश्य
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यह है कि बिहार के लोग दूसरे प्रांतों की चीजों को भी सीख सकें. दूसरे प्रांतों के कलाओं के बारे में यहां के बच्चे और स्त्रियां जान सके. बता दें कि इस सम्मेलन में एक साथ कई कलाओं के साथ काम करता है.

पटना: पटना में बांग्ला और मधुबनी पेंटिंग की 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस मौके पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के कला विभाग की अध्यक्ष पल्लवी विश्वास ने बताया कि इस कार्यशाला में हम पेंटिंग्स के माध्यम से कविता को भी इंक्लूड कर रहे हैं. एक कविता की विधा है हाईको, जो जापान की विधा है. आज की तारीख में यह भारत में बहुत ज्यादा प्रचलित है. यह अक्षरों की कविताएं होती है पंक्तियों की कविताएं नहीं होती. इसी प्रकार पेंटिंग पर जो कविता लिखी जाती है उसको हाईगा कहते हैं.

जानकारी देती कला विभाग की अध्यक्ष पल्लवी विश्वास

भारत की पहली हाईगा ब्लॉग एडिटर बिहार से
भारत की पहली हाईगा ब्लॉग एडिटर शेखर मधु है और वह बिहार की ही हैं. बता दें कि वह इस पेंटिंग कार्यशाला में प्रशिक्षण ले रही है. इस कार्यशाला के समाप्ति के बाद हम ये गर्व से कह सकेंगे कि बिहार की सबसे पहली हाईगा साड़ी कहीं तैयार हुई है तो वह इसी पेंटिंग कार्यशाला में तैयार हुई है और ये हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी.

दूसरे प्रांतों की कलाओं की जानकारी देना मुख्य उद्देश्य
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यह है कि बिहार के लोग दूसरे प्रांतों की चीजों को भी सीख सकें. दूसरे प्रांतों के कलाओं के बारे में यहां के बच्चे और स्त्रियां जान सके. बता दें कि इस सम्मेलन में एक साथ कई कलाओं के साथ काम करता है.

Intro:राजधानी पटना के हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के शताब्दी वर्ष के मौके पर बांग्ला और मधुबनी पेंटिंग की 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस पेंटिंग कार्यशाला में बच्चों, युवाओं से लेकर प्रौढ़ों ने हिस्सा लिया. इस पेंटिंग कार्यशाला में ट्रेनर शिखा कुमारी ने मधुबनी और बांग्ला पेंटिंग की बारीकियों के बारे में बताया.


Body:बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में मधुबनी और बांग्ला पेंटिंग पर 10 दिवसीय कार्यशाला का आज उद्घाटन हुआ. कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यह है कि बिहार के लोग दूसरे प्रांतों की चीजों को भी सीख सकें. दूसरे प्रांतों के कलाओं के बारे में यहां के बच्चे और स्त्रियां जान सके.

बता दें कि बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन साहित्य और कला की सारी विधाओं को समेकित रूप से साहित्य का अंग बनता है यह सम्मेलन एक साथ कई कलाओं के साथ काम करता है.


Conclusion:बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के कला विभाग की अध्यक्ष पल्लवी विश्वास ने बताया कि इस कार्यशाला के माध्यम से हम पेंटिंग्स ने कविता को भी इंक्लूड कर रहे हैं. एक कविता की विधा है हाईको जो जापान की विधा है. आज की तारीख में भारत में यह बहुत ज्यादा प्रचलित है और यह अक्षरों की कविताएं होती है पंक्तियों की कविताएं नहीं होती. इसी प्रकार पेंटिंग पर जो कविता लिखी जाती है उसको हाईगा कहते हैं. भारत की पहली हाईगा ब्लॉग एडिटर शेखर मधु है और वह बिहार की ही हैं. गैरों की बात यह है कि वह इस पेंटिंग कार्यशाला में प्रशिक्षण ले रही है और हम लोगों को यह सौभाग्य हासिल है कि इस कार्यशाला के समाप्ति के बाद यह गांव से कर सकेंगे की बिहार की सबसे पहली हाईगा साड़ी कहीं तैयार हुई है तो वह इसी पेंटिंग कार्यशाला में तैयार हुई है.

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश है कि कैसे हम विधान तरण को अपना सकें और अधिक से अधिक सुविधा में युवाओं बच्चों युवतियों और प्रौढ़ों को प्रशिक्षित कर सकें. कार्यशाला की विशेषता यह है कि कार्यशाला में शामिल होने नानी भी आई है और नातिन भी आई है.
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