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जलवायु परिवर्तन : 'शुद्ध शून्य' क्या है और क्या हैं इसके मायने?

जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते में 21वीं सदी में नेट जीरो उत्सर्जन समाज के लक्ष्य को शामिल किया गया है. कई देशों ने शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के मकसद से, हाल ही में अपने कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के लिए प्रतिबद्धताओं की घोषणा की है. आइए जानते हैं कि नेट-जीरो क्या है और यह महत्वपूर्ण क्यों है?

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Published : Jun 1, 2021, 3:26 PM IST

हैदराबाद : अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की मात्रा घटाकर शुद्ध शून्य करने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है. 2015 के पेरिस समझौते के तहत, 190 से अधिक देशों ने वैश्विक औसत तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस के करीब रखने पर सहमति व्यक्त की थी.

IEA की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से हमारे ग्रह की रक्षा के लिए आवश्यक महत्वाकांक्षी उपाय शामिल किए गए हैं.

रिपोर्ट की प्रमुख बातें :

  • 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों, जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की मात्रा घटाकर शून्य की जाएगी.
  • वर्ष 2050 तक दुनिया की कुल विद्युत ऊर्जा का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा पवन और सौर ऊर्जा से उत्पादन करने की भी मांग की गई है.
  • इस वर्ष तेल और गैस के नए कुओं तथा नई कोयला खानों में निवेश को रोकने और साथ ही वर्ष 2035 तक पेट्रोल से चलने वाली नई कारों की बिक्री बंद करने का आह्वान किया गया है.
  • कुल वार्षिक ऊर्जा निवेश 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 5 ट्रिलियन डॉलर हो जाना चाहिए, जो लाखों क्लीन एनर्जी के लिए नौकरियां पैदा कर सकता है और दशक के अंत तक वैश्विक जीडीपी को 4% अधिक बढ़ा सकता है.

NET ZERO क्या है?

NET ZERO उत्सर्जन प्राप्त करना सभी उत्सर्जन को समाप्त करने के समान नहीं है. इसका मतलब है कि किसी भी मानव-उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य गैसों को किसी न किसी तरीके से वातावरण से हटा देना. सीधे शब्दों में कहें, तो नेट-जीरो का मतलब है कि हम वायुमण्डल में नया उत्सर्जन नहीं जुड़ने दें. हालांकि उत्सर्जन जारी तो रहेगा, लेकिन वायुमण्डल से उसके बराबर मात्रा को सोखकर उसे संतुलित कर दिया जाएगा.

यह दो तरीकों से किया जा सकता है. पहला पेड़-पौधे लगा कर, पेड़-पौधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं. दूसरा, तकनीक का उपयोग करके किया जा सकता है, जो बिजली संयंत्रों और कारखानों से उत्सर्जन को पकड़ सकता है और संग्रहीत कर सकता है या सीधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड खींच सकता है.

दुनिया भर में अधिक पेड़ लगाना अधिक कार्बन को अवशोषित और संग्रहीत करने का एक लोकप्रिय तरीका है. वहीं, समान काम करने वाली प्रौद्योगिकियां अभी भी महंगी हैं और अभी तक बड़े पैमाने पर इनका इस्तेमाल नहीं होता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कार्बन निष्कासन, किसी भी रूप में, जितनी जल्दी हो सके ग्रह-ताप उत्सर्जन में कटौती का विकल्प नहीं हो सकता है.

पढ़ें - विश्वनाथ कॉरिडोर में बड़ा हादसा, 2 की मौत, कई घायल

शुद्ध शून्य के लिए प्रतिबद्ध देश :

ऑक्सफोर्ड-ईसीआईयू द्वारा 2020 के अंत में किए गए विश्लेषण में पाया गया कि वैश्विक स्तर पर शुद्ध शून्य प्रतिबद्धता ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के कम से कम 68%, वैश्विक आबादी के 56% (4.2 बिलियन से अधिक लोग) और वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 61% हिस्से को शामिल है, लेकिन इसमें कहा गया कि इससे नेट जीरो लक्ष्य के प्रमुख मानदंडों का केवल 5% ही पूरा करता है, जिसमें 2050 से पहले डी-कार्बोनाइजेशन का लक्ष्य भी शामिल है.

यूके स्थित एनर्जी एंड क्लाइमेट इंटेलिजेंस यूनिट (ECIU) द्वारा एक नेट जीरो ट्रैकर से पता चलता है कि दो छोटे विकासशील देशों, सूरीनाम और भूटान ने पहले ही नेट जीरो उत्सर्जन हासिल कर लिया है.

डेनमार्क, फ्रांस, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और स्पेन सहित सात देशों ने अपने लक्ष्यों को कानून में शामिल कर लिया है और यूरोपीय संघ आने वाले महीनों में ऐसा कर सकता है.

कुछ अन्य लोगों ने शुद्ध शून्य लक्ष्य पर कानून का प्रस्ताव रखा है, जबकि चीन, नॉर्वे, कोस्टा रिका और मार्शल द्वीप समूह सहित लगभग 20 देश और ने इसे नीति दस्तावेज में रखा है.

ईसीआईयू का कहना है कि 100 अतिरिक्त राष्ट्र शुद्ध शून्य लक्ष्य रखने पर विचार कर रहे हैं.

हैदराबाद : अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की मात्रा घटाकर शुद्ध शून्य करने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है. 2015 के पेरिस समझौते के तहत, 190 से अधिक देशों ने वैश्विक औसत तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस के करीब रखने पर सहमति व्यक्त की थी.

IEA की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से हमारे ग्रह की रक्षा के लिए आवश्यक महत्वाकांक्षी उपाय शामिल किए गए हैं.

रिपोर्ट की प्रमुख बातें :

  • 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों, जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की मात्रा घटाकर शून्य की जाएगी.
  • वर्ष 2050 तक दुनिया की कुल विद्युत ऊर्जा का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा पवन और सौर ऊर्जा से उत्पादन करने की भी मांग की गई है.
  • इस वर्ष तेल और गैस के नए कुओं तथा नई कोयला खानों में निवेश को रोकने और साथ ही वर्ष 2035 तक पेट्रोल से चलने वाली नई कारों की बिक्री बंद करने का आह्वान किया गया है.
  • कुल वार्षिक ऊर्जा निवेश 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 5 ट्रिलियन डॉलर हो जाना चाहिए, जो लाखों क्लीन एनर्जी के लिए नौकरियां पैदा कर सकता है और दशक के अंत तक वैश्विक जीडीपी को 4% अधिक बढ़ा सकता है.

NET ZERO क्या है?

NET ZERO उत्सर्जन प्राप्त करना सभी उत्सर्जन को समाप्त करने के समान नहीं है. इसका मतलब है कि किसी भी मानव-उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य गैसों को किसी न किसी तरीके से वातावरण से हटा देना. सीधे शब्दों में कहें, तो नेट-जीरो का मतलब है कि हम वायुमण्डल में नया उत्सर्जन नहीं जुड़ने दें. हालांकि उत्सर्जन जारी तो रहेगा, लेकिन वायुमण्डल से उसके बराबर मात्रा को सोखकर उसे संतुलित कर दिया जाएगा.

यह दो तरीकों से किया जा सकता है. पहला पेड़-पौधे लगा कर, पेड़-पौधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं. दूसरा, तकनीक का उपयोग करके किया जा सकता है, जो बिजली संयंत्रों और कारखानों से उत्सर्जन को पकड़ सकता है और संग्रहीत कर सकता है या सीधे वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड खींच सकता है.

दुनिया भर में अधिक पेड़ लगाना अधिक कार्बन को अवशोषित और संग्रहीत करने का एक लोकप्रिय तरीका है. वहीं, समान काम करने वाली प्रौद्योगिकियां अभी भी महंगी हैं और अभी तक बड़े पैमाने पर इनका इस्तेमाल नहीं होता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कार्बन निष्कासन, किसी भी रूप में, जितनी जल्दी हो सके ग्रह-ताप उत्सर्जन में कटौती का विकल्प नहीं हो सकता है.

पढ़ें - विश्वनाथ कॉरिडोर में बड़ा हादसा, 2 की मौत, कई घायल

शुद्ध शून्य के लिए प्रतिबद्ध देश :

ऑक्सफोर्ड-ईसीआईयू द्वारा 2020 के अंत में किए गए विश्लेषण में पाया गया कि वैश्विक स्तर पर शुद्ध शून्य प्रतिबद्धता ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के कम से कम 68%, वैश्विक आबादी के 56% (4.2 बिलियन से अधिक लोग) और वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 61% हिस्से को शामिल है, लेकिन इसमें कहा गया कि इससे नेट जीरो लक्ष्य के प्रमुख मानदंडों का केवल 5% ही पूरा करता है, जिसमें 2050 से पहले डी-कार्बोनाइजेशन का लक्ष्य भी शामिल है.

यूके स्थित एनर्जी एंड क्लाइमेट इंटेलिजेंस यूनिट (ECIU) द्वारा एक नेट जीरो ट्रैकर से पता चलता है कि दो छोटे विकासशील देशों, सूरीनाम और भूटान ने पहले ही नेट जीरो उत्सर्जन हासिल कर लिया है.

डेनमार्क, फ्रांस, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और स्पेन सहित सात देशों ने अपने लक्ष्यों को कानून में शामिल कर लिया है और यूरोपीय संघ आने वाले महीनों में ऐसा कर सकता है.

कुछ अन्य लोगों ने शुद्ध शून्य लक्ष्य पर कानून का प्रस्ताव रखा है, जबकि चीन, नॉर्वे, कोस्टा रिका और मार्शल द्वीप समूह सहित लगभग 20 देश और ने इसे नीति दस्तावेज में रखा है.

ईसीआईयू का कहना है कि 100 अतिरिक्त राष्ट्र शुद्ध शून्य लक्ष्य रखने पर विचार कर रहे हैं.

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